अटल बिहारी वाजपेई की जयंती पर विशेष
(डॉ.सीमा दाधीच)
देश आज राष्ट्र नायक अटल बिहारी वाजपेई की जयंती मना रहा है। वाजपेई चाहे सरकार में रहे हो या विपक्ष में वे समस्त भारतीयों के चहेते बने रहे। तीन बार भारत के प्रधान मंत्री पद की शपथ लेने वाले वाजपेई कवि हृदय होने के साथ ही प्रखर वक्ता ओर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निष्ठावान स्वयं सेवक रहे। भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेई कर 52कविताएं युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रही है। वाजपेई ने 40वर्ष सक्रिय राजनीति में रहकर राजनीति में ईमानदारी का उदाहरण प्रस्तुत किया। उनकी इस ईमानदारी के कारण ही उन्हें एक वोट के अभाव में अपनी सरकार खोनी पड़ी। सयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार हिंदी में भाषण देना और परमाणु परीक्षण उनकी जीवंत राजनीति का एक सशक्त उदाहरण है।अटल बिहारी वाजपेयी: एक काव्यात्मक राजनीतिज्ञ की प्रेरक गाथा
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति का एक ऐसा नाम हैं, जो न केवल एक दूरदर्शी नेता के रूप में बल्कि एक संवेदनशील कवि और विचारक के रूप में भी अमर हैं। उनका व्यक्तित्व ऐसा था जिसमें राजनीति और साहित्य का अद्भुत समन्वय दिखाई देता था। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने कहा था, “छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।” यह पंक्तियां उनके जीवन और दृष्टिकोण का सार प्रस्तुत करती हैं।
25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी ने बचपन से ही साहित्य और समाज सेवा के प्रति गहरी रुचि विकसित की। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी, जो स्वयं एक कवि थे, ने उन्हें साहित्य और काव्य का संस्कार दिया। यही कारण था कि अटल जी ने बचपन से ही लेखन और वाद-विवाद में रुचि ली। उनकी कविताओं में उनकी इसी गहन दृष्टि का परिचय मिलता है।
राजनीतिक यात्रा*
1951 में जनसंघ के सदस्य के रूप में उन्होंने राजनीति की यात्रा शुरू की। लेकिन उनके लिए राजनीति केवल सत्ता का माध्यम नहीं थी। जैसा कि उन्होंने लिखा, “हम युद्ध न होने देंगे, लेकिन सारा जोर लगा देंगे कि हम कमजोर न पड़ें।” यह विचार उनके राजनीतिक जीवन की मूल भावना को दर्शाता है।
1957 में बलरामपुर से सांसद बनने के बाद वे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने लगे। उनकी वाणी में ऐसा ओज और प्रभाव था कि पंडित नेहरू ने कहा था, “यह युवा एक दिन देश का नेतृत्व करेगा।”
प्रधानमंत्री के रूप में योगदान*
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। उनके नेतृत्व में भारत ने अनेक ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं।
पोखरण परमाणु परीक्षण (1998)*: उन्होंने कहा था, “हम न युद्ध चाहते हैं, न पराजय स्वीकार करेंगे।” इस दृढ़ निश्चय के साथ उन्होंने भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया।
लाहौर बस यात्रा*: भारत-पाकिस्तान के संबंधों को सुधारने के लिए उनका यह कदम ऐतिहासिक था। उन्होंने लिखा, “शांति और विकास का मार्ग संवाद से ही निकलता है।”
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना*: उन्होंने देश के विकास के लिए सड़कों के नेटवर्क को मजबूत किया। इस परियोजना ने भारत के परिवहन और व्यापार को एक नई ऊंचाई दी।
अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन में कविता केवल एक अभिव्यक्ति नहीं थी, बल्कि उनकी आत्मा की आवाज थी। उनकी कविताएं गहन मानवीय भावनाओं और राष्ट्रप्रेम से भरी हुई थीं। उनकी कविता “गीत नया गाता हूं” में उनका जीवन-दर्शन झलकता है:
हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा,काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूं*”
यह पंक्तियां उनके संघर्षशील जीवन और अडिग आत्मविश्वास का प्रतीक हैं।
उनकी कविताएं जैसे “मौत से ठन गई” और “आओ फिर से दिया जलाएं” उनके जीवन के उतार-चढ़ाव और राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व ऐसा था, जो सभी राजनीतिक विचारधाराओं के लोगों को जोड़ता था। उनकी एक और प्रसिद्ध कविता में उन्होंने लिखा:
बाधाएं आती हैं आएं,घिरें प्रलय की घोर घटाएं।पांवों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसेंयदि ज्वालाएं।निज हाथों में हंसते-हंसते,आग लगाकर जलना होगा*
यह उनके साहस और दृढ़ संकल्प की झलक है।
निधन और अमरता*
16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी वाजपेयी ने इस संसार को अलविदा कह दिया। लेकिन उनकी कविताएं, उनके विचार और उनके कार्य उन्हें अमर बनाते हैं। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि राजनीति भी काव्यात्मक हो सकती है और एक नेता भी साहित्यिक संवेदनशीलता का धनी हो सकता है।
अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन उनके इन शब्दों में संपूर्णता पाता है:
जीवन की ढलने लगी सांझ,लेकिन मन का दीप अचल है।*
उन्होंने अपने विचारों, नेतृत्व और कविताओं के माध्यम से भारत को नई दिशा दी। उनके शब्द और कर्म आज भी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।