‘अखंड भारत के आधे अधूरे भारतीय लोकतंत्र की त्रासदी’
सत्ता प्राप्ति के औजार बने दबाव समूह अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करें
जयपुर/दिव्यराष्ट्र। (मोहनलाल वर्मा, श्रमिक प्रतिनिधि; पूर्व निदेशक, जयपुर मेटल्स एंड इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, जयपुर)
परंपरागत रूप से 1886 में अमेरिका के मजदूरों द्वारा शुरू किए मजदूर दिवस की रस्म अदायगी ,आज पूरी दुनिया में मजदूर संगठनों द्वारा की जा रही है। यथार्थ में आज का दिन स्वयं मजदूरों, मजदूर संगठनों, दुनिया भर में राष्ट्रीय सरकारों और सामाजिक -आर्थिक दबाव समूहो के लिए आत्मावलोकन का दिन है। अपने द्वारा निर्धारित अपनी भूमिका के साथ उन्होंने न्याय किया है या नहीं किया है?
कुछ मिडिया ने अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर कथित मजदूर संगठनों, राज्य सरकार, भारतीय श्रम कानून-प्रचलित न्याय व्यवस्था एवं लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में सामाजिक -आर्थिक दबाव समूह की यथार्थ भूमिका और नैतिक दायित्व पर प्रश्न चिन्ह अंकित किया है।
जयपुर मेटल्स एंड इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड कंपनी वर्ष 2000 से बंद है। जयपुर मेटल कंपनी के 1558 मजदूरों को राज्य सरकार, श्रम संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संगठन और सामाजिक आर्थिक समूह द्वारा 240वर्ष के समय में ₹1 की भी आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं करवाई गई है। जयपुर मेटल्स एंड इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड कंपनी भारत वर्ष की एकमात्र ऐसी औद्योगिक इकाई थी, जिसमें मजदूरों की अपनी सहकारी समिति के माध्यम से 59% की अंश भागीदारी थी और जयपुर मेटल्स का प्रबंधन राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा था।
पिछले 240 वर्ष से राज्य सरकार अपने नैतिक दायित्व से मुकरती रही है, राज्य सरकार की यही नीति जयपुर मेटल्स मजदूरों की दुर्दशा और बर्बादी का कारण बन गई। आखिर वर्ष 1919 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं तत्कालीन मुख्य उद्योग सचिव के .के .पाठक ने अपने नैतिक दायित्व और कंपनी की यथार्थ स्थिति को स्वीकार करते हुए मजदूरों और संस्थान के साथ न्याय करने का संकल्प लिया।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिशा निर्देशों के अनुसार जयपुर मेटल्स के मजदूरों के हित एवं कंपनी के हितों की सुरक्षा हेतु राज्य के उद्योग एवं विधि विभाग द्वारा क्रियान्विति के प्रयास जारी हैं। दिसंबर 2023 के पश्चात राजस्थान में भाजपा की सरकार है, उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ एवं उद्योग विभाग के अधिकारियों से मजदूरों द्वारा संपर्क साधने पर कहा जाता रहा है कि मजदूरों के हित में कार्यवाही की जा रही है। जहां तक जानकारी में है प्रबंध को द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में जो याचिका दायर की गई है, उसमें पिछली पेशी पर प्रबंध को द्वारा कहा गया है कि आगे की तारीख पर हम अपना प्रपोज अथवा समझौता प्रस्तुत कर देंगे। लेकिन अधिकारियों व मंत्री द्वारा अभी तक यह नहीं बताया गया है, जयपुर मेटल्स गर्मियों के हित में उनके द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
सरकार का सारा अमला लोकसभा चुनाव को लेकर व्यस्त है, किसी को इस बात की फिक्र नहीं है कि जयपुर मेटल के 1500 से अधिक भुखमरी के शिकार मजदूर परिवार किस प्रकार तड़प तड़प कर अपनी जान देते जा रहे हैं, जयपुर मेटल की मजदूर बीमारियों से त्रस्त है, भुखमरी से पीड़ित है। सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य करने वाले अन्य संगठन एवं श्रम संगठनो सभी ने चुप्पी साथ रखी है।
जयपुर मेटल्स एंड इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड कंपनी के मजदूरों की विडंबना है कि अकाल राहत, बाढ़ पीड़ितों तथा आपदा ग्रस्त प्रदेश के नागरिकों की मदद करने वाली राज्य सरकार ने जयपुर मेटल्स मजदूर परिवारों के समक्ष उपस्थित आपदा में उनको आर्थिक राहत देने के लिए कोई सकारात्मक कदम आज तक नहीं उठाया है।
जयपुर महानगर एवं राजस्थान प्रदेश में कार्य कर रहे सामाजिक आर्थिक दबाव समूह ने भी जयपुर मेटल्स मजदूरों की सहायतार्थ कोई कदम आज तक नहीं उठाया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि जयपुर मैटल्स मजदूरों का व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जीवन विभिन्न सामाजिक- आर्थिक समूहों की पहचान भी रहा है। विडंबना यह है कि किसी भी पहचान समूह ने जयपुर मेटल्स मजदूरों के संकट के निवारण हेतु किसी प्रकार की पहल आज तक नहीं की है।
वर्तमान समय में आवश्यकता है कि जयपुर मेटल्स एंड इलेक्ट्रिकल्स राज्य सरकार के उपक्रम में नियोजित व्यक्तियों के अधिकारों के प्रति राज्य सरकार, कानून और समाज को अपनी संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए। जयपुर मेटल्स मजदूरों के साथ राज्य सरकार, कानून और समाज का रुख भारतीय नागरिक जीवन के प्रति भविष्य में एक आदर्श प्रस्तुत करने की पहल होगी। मुझे विश्वास है कि भारतीय मजदूर संघ नेतृत्व एवं भारतीय जनता पार्टी ने इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाकर मजदूर जगत को यह विश्वास दिलाएगा कि भारतीय जनता पार्टी की नीतियां मजदूरों के हित में कार्य कर रही है।