
जयपुर, दिव्यराष्ट्र* राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर और आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय, जयपुर के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक सहयोग को मजबूत करना, अनुसंधान पहलों को प्रोत्साहित करना और छात्र विकास को बढ़ावा देना है।
यह समझौता दो प्रतिष्ठित संस्थानों के बीच एक दूरदर्शी साझेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो शैक्षणिक नवाचार और अनुसंधान उत्कृष्टता के लिए समर्पित हैं। यह एमओयू प्रो. अल्पना कटेजा, कुलगुरु, राजस्थान विश्वविद्यालय, और डॉ. पी.आर. सोडानी, अध्यक्ष, आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय के नेतृत्व में संपन्न हुआ। यह एमओयू आशु चौधरी, कुलसचिव, राजस्थान विश्वविद्यालय, और डॉ. पी.आर. सोडानी, अध्यक्ष, आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय द्वारा हस्ताक्षरित किया गया तथा तीन वर्षों तक प्रभावी रहेगा, जिसे आगे बढ़ाने का विकल्प रहेगा।
इस समझौता ज्ञापन पर राजस्थान विश्वविद्यालय से प्रो. आर.एन. शर्मा, मुख्य कुलानुशासक; प्रो. रेशमा बूलचंदानी, समन्वयक; डॉ. लता चंचलानी, सह-समन्वयक तथा श्रुति शेखावत, उप-कुलसचिव; वहीं, आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय से डॉ. हिमाद्रि सिन्हा, प्रोवोस्ट एवं प्रोफेसर; डॉ. विनोद कुमार एस.वी., प्रोफेसर एवं डीन, एसडीजी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ; डॉ. पियुषा मजूमदार, एसोसिएट प्रोफेसर; और किर्ति अग्रवाल, प्रबंधक (साझेदारी) की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
यह सहयोग अनेक क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगा इनमें इंटर्नशिप और छात्र प्रशिक्षण: व्यावहारिक अनुभव, मार्गदर्शन और कौशल विकास के अवसर प्रदान करना।छात्र और संकाय विनिमय कार्यक्रम: अनुसंधान, फील्डवर्क और अंतर-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देना पाठ्यक्रम विकास: जनस्वास्थ्य, समाजशास्त्र और सतत विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संयुक्त रूप से पाठ्यक्रम, केस स्टडी और डिजिटल संसाधन तैयार करना।
अनुसंधान सहयोग: नगरीय विकास, लैंगिक अध्ययन और सार्वजनिक नीति पर संयुक्त अनुसंधान प्रस्ताव, सलाहकार समितियाँ और साझा वित्त पोषण ढाँचे बनाना।संकाय सहभागिता: अतिथि व्याख्यान, सहयोगात्मक अनुसंधान और मार्गदर्शन पहलों को प्रोत्साहित करना।शोध प्रबंध सह-पर्यवेक्षण और मूल्यांकन: शैक्षणिक परियोजनाओं के संयुक्त मार्गदर्शन और मूल्यांकन को सुगम बनाना।कार्यशालाएँ, सेमिनार और सम्मेलन: ज्ञान के आदान-प्रदान और नवाचार के लिए सहयोगी मंचों का आयोजन करना। मुख्य है।
यह साझेदारी अनुसंधान, नवाचार और अनुभवजन्य शिक्षण के नए आयाम खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे दोनों विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी और संकाय सदस्य अपने शैक्षणिक एवं व्यावसायिक क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकेंगे।





