दिव्यराष्ट्र, जयपुर: विद्युत मंत्रालय की 2023–24 वार्षिक रैंकिंग में राजस्थान की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) का प्रदर्शन कमजोर रहा। अजमेर, जयपुर और जोधपुर डिस्कॉम्स क्रमशः 42 राज्य-स्वामित्व वाली यूटिलिटीज़ में 28वें, 30वें और 32वें स्थान पर रहे। ये रैंकिंग ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन (T&D) हानि कम करने, संग्रह दक्षता बढ़ाने, सतत और सुरक्षित बिजली आपूर्ति और उपभोक्ता शिकायतों के समाधान जैसे महत्वपूर्ण मानकों पर आधारित होती है। कम रैंकिंग इस बात का संकेत है कि राजस्थान के बिजली वितरण नेटवर्क में विश्वसनीयता से जुड़ी चुनौतियां लगातार बनी हुई हैं।
समता पावर के निदेशक डी. डी. अग्रवाल ने कहा, “2024 तक राजस्थान के डिस्कॉम्स को लगभग ₹1.10 लाख करोड़ का संचयी घाटा हो चुका है, जो सुधारों की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है। सबसे गंभीर चिंता वितरण या डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मरों की उच्च विफलता दर है, जो बिजली वितरण प्रणाली का हृदय माने जाते हैं। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में हर साल लगभग 16% ट्रांसफॉर्मर जल जाते हैं या खराब हो जाते हैं। यह असामान्य रूप से उच्च दर सामग्री या डिजाइन में तकनीकी खामियों, ओवरलोडिंग और ऑयल लीकेज जैसी समस्याओं की ओर इशारा करती है। खास बात यह है कि 30–35 साल पहले लगाए गए कई पुराने ट्रांसफॉर्मर आज भी बेहतर ढंग से चल रहे हैं। ये ज्यादातर कॉपर वाउंड वितरण ट्रांसफॉर्मर हैं, जिनकी प्रदर्शन क्षमता और टिकाऊपन दशकों तक साबित हुई है।“
श्री अग्रवाल ने आगे कहा “डिस्कॉम्स को कम से कम परीक्षण के तौर पर, ऐसे क्षेत्रों में जहां चोरी की समस्या नहीं है, कॉपर वाउंड वितरण ट्रांसफॉर्मर लगाने पर विचार करना चाहिए। इनकी लंबी उम्र और मजबूती साबित हो चुकी है। प्राथमिकता उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री को दी जानी चाहिए, जो यांत्रिक और थर्मल दबाव सह सके और दीर्घकालिक मूल्य प्रदान करे। खरीद निर्णय जीवनचक्र लागत के आधार पर होने चाहिए, न कि केवल शुरुआती कीमत पर।“
श्री अग्रवाल ने उपकरण मानकों को सख्त बनाने, प्रदर्शन-आधारित खरीद और विक्रेता जवाबदेही बढ़ाने पर भी जोर दिया। “विश्वसनीयता को संचालन के हर पहलू में शामिल करना होगा—ट्रांसफॉर्मर चयन से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक। टिकाऊ उपकरण और प्रिडिक्टिव मेंटेनेंस तकनीक में निवेश से सेवा गुणवत्ता और वित्तीय प्रदर्शन दोनों बेहतर होंगे।”
उन्होंने बढ़ती मांग वाले क्षेत्रों में उच्च क्षमता और अधिक दक्षता वाले वितरण ट्रांसफॉर्मर लगाने की सिफारिश भी की। “परिनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च क्षमता वाले डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर लगाने से निकट भविष्य के लोड वृद्धि को संभालना और कोर लॉस कम करना संभव होगा।”
श्री अग्रवाल ने आगे कहा की भारत सरकार की रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS), जो 2021 में शुरू हुई थी, का उद्देश्य AT&C हानियों को कम करना और डिस्कॉम्स की वित्तीय स्थिति मजबूत करना है। इस योजना के तहत 2026 तक देशभर में 25 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य है, लेकिन राजस्थान में इसकी प्रगति काफी धीमी रही है। स्मार्ट मीटर और सोलर फीडर प्रोजेक्ट, जो बिजली चोरी रोकने, बिलिंग को सटीक बनाने और ग्रिड की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जरूरी हैं, इन क्षेत्रों में भी राज्य पिछड़ रहा है।