
दिव्यराष्ट्र, जयपुर: जयपुर जल्द ही संगीत, भाव और कहानियों से भरी एक खास शाम का गवाह बनेगा। (पद्मश्री) गीता चंद्रन और उनका नाट्य वृक्ष डांस कलेक्टिव सोमवार, 25 अगस्त 2025 को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में अपनी प्रस्तुति काव्य कथा पेश करेंगे। इस नृत्य कार्यक्रम में परंपरा की सुंदरता और आज के समय की ऊर्जा मिलकर दर्शकों के लिए यादगार अनुभव बनाएंगे।
दुनियाभर में नृत्यांगना, गुरु, नृत्य -र्देशक, विदुषी और सांस्कृतिक दूत के रूप में प्रसिद्ध गीता चंद्रन ने भरतनाट्यम की उज्ज्वल परंपरा को आगे बढ़ाने में पाँच दशकों से अधिक समय समर्पित किया है। नाट्य वृक्ष के माध्यम से उन्होंने ऐसे शिष्यों की पीढ़ी तैयार की है, जो तकनीकी निपुणता और भावनात्मक गहराई—दोनों को साथ लेकर चलते हैं, जिससे यह नृत्य शैली अपनी जड़ों से जुड़ी रहते हुए लगातार विकसित हो रही है।
जयपुर में दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की तैयारी करते हुए गुरु गीता चंद्रन काव्य कथा के बारे में बताती हैं: “काव्य कथा कहानियों का उत्सव है—भाव (अभिव्यक्ति), राग (संगीत) और ताल (लय) की शाश्वत कथाएँ, जिन्हें विशेष नाट्य शिल्प से मंच पर जीवंत किया जाता है। इसमें विष्णु की कथाएँ, कृष्ण का वृंदावन, भगवद गीता, देवी के विविध रूप और शिव का तांडव शामिल हैं। यह प्रस्तुति वैष्णव, शैव और शक्त परंपराओं के सूत्रों को पिरोते हुए दैवीय, मानव और प्रकृति—तीनों को जोड़ती है। प्रतीकों की गहराई इन कहानियों में झलकती है—पंचभूतों (पाँच तत्वों) से लेकर ऋतु परिवर्तन तक और अशांत दुनिया में देवी के शाश्वत उपदेश तक।”
वह आगे कहती हैं: “काव्य कथा के माध्यम से हम केवल नृत्य नहीं कर रहे—हम अपनी सभ्यता की धड़कन को आगे बढ़ा रहे हैं। हर कहानी अतीत और वर्तमान के बीच एक सेतु है। यह दर्शकों को याद दिलाती है कि हमारे मिथक, मूल्य और दर्शन केवल इतिहास नहीं, बल्कि जीवंत धरोहर हैं, जो आज की दुनिया में भी राह दिखा सकते हैं और प्रेरित कर सकते हैं।”
नाट्य वृक्ष डांस कलेक्टिव की नृत्यांगनाएँ – राधिका कथल, मधुरा भ्रुशुंडी, सौम्यलक्ष्मी नारायणन और यादवी शकदर मेनन – लंबे समय से साथ सीखने और अभ्यास करने के कारण गहरी समझ और भरोसे के साथ इन कहानियों को मंच पर सजीव करेंगी। प्रस्तुति का तकनीकी निर्देशन राहुल चौहान कर रहे हैं और वाचन राजीव चंद्रन करेंगे।
शाम की प्रस्तुतियों में शामिल हैं:
– शिव स्तुति
– गोविंद वंदना
– ओंकारा करिणी
– कृष्ण को सुनाई जाने वाली लोरी के रूप में रामायण की पुनर्कथा
– तिलाना
– वनमाली
गीता चंद्रन और नाट्य वृक्ष के लिए काव्य कथा केवल एक प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक अर्पण है। यह एक परंपरा की मशाल को आगे बढ़ाना है, भारत की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना है, और यह स्मरण कराना है कि हमारी प्राचीन दर्शन, मूल्य और सुंदरता आज भी जीवित हैं—वे विकसित होते रहते हैं और नई पीढ़ियों से संवाद करते हैं।