दिव्यराष्ट्र, नई दिल्ली: भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 का शुभारंभ करेंगे। इसकी घोषणा सहकारी संस्था इफको, भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई।
भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी ने बताया कि भारत सरकार के माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह 25 नवंबर 2024 को दोपहर 3 बजे अपनी गरिमामयी उपस्थिति से इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। वे मुख्य अतिथि के रूप में वैश्विक सहकारी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करेंगे। इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष – 2025 पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया जाएगा।
इफको लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने प्रेस को बताया कि भूटान के माननीय प्रधानमंत्री महामहिम दाशो शेरिंग तोबगे जी और फिजी के माननीय उप प्रधानमंत्री महामहिम मनोआ कामिकामिका भी सम्मानित अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि यह कार्यक्रम 25 नवंबर से 30 नवंबर 2024 तक भारत मंडपम, आईटीपीओ, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का विषय होगा ‘सहकारिता से सभी की समृद्धि का निर्माण’ और उप-विषय होंगे –
- सक्षम नीति और उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र
- सभी के लिए समृद्धि बनाने को उद्देश्यपूर्ण नेतृत्व का पोषण
- सहकारी पहचान की पुष्टि
- भविष्य को आकार देना: 21वीं सदी में सभी के लिए समृद्धि का एहसास करना।
सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी ने प्रेस को बताया कि इस आयोजन का विषय ‘सहकारिता से सभी की समृद्धि का निर्माण’ भारत सरकार के नारे ‘सहकार से समृद्धि’ के अनुरूप है, जिसका सही अर्थ है ‘सहकारिता के माध्यम से समृद्धि’। अलग सहकारिता मंत्रालय के गठन और श्री अमित शाह के पहले केंद्रीय सहकारिता मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के साथ भारतीय सहकारी क्षेत्र ने सहकारी आंदोलन के विकास और वृद्धि के लिए 54 बड़ी पहलों को शुरू करके राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में अधिक योगदान प्राप्त करते हुए नई उपलब्धियां हासिल की हैं। चाहे वह पैक्स का कंप्यूटरीकरण हो या उन क्षेत्रों में तीन नई बहुराज्यीय सहकारी समितियों का गठन, जहां सहकारी समितियों की राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति नहीं थी, इन सभी कदमों ने भारत को वैश्विक सहकारी आंदोलन में सबसे आगे रखा है और भारत सबसे तेजी से बढ़ते सहकारी क्षेत्रों में से एक बन गया है।