
जोधपुर, दिव्य राष्ट्र/ जीत यूनिवर्स के फार्मेसी कॉलेज के डिप्लोमा इन फार्मेसी प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स ने एरिड फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एएफआइआई) का दौरा कर वानिकी, औषधीय पौधों और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हो रही रिसर्च गतिविधियों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया। इसका उद्देश्य छात्रों को कक्षा में सीखी गई शिक्षा को वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों से जोड़ने में सक्षम बनाना था।
यहां इन्होंने ममता भाटिया के नेतृत्व में वानिकी और पारिस्थितिकी में अनुसंधान के बारे में समझा और वन संरक्षण व रेगिस्तानी पारिस्थितिकी में एएफआइआई की गतिविधियों व योगदान का अवलोकन किया। साइंटिस्ट डॉ. अनिल सिंह चौहान ने स्टूडेंट्स को इस विजिट में जानकारी दी कि निरंतर वृक्षारोपण और वैज्ञानिक अनुसंधान ने बंजर रेगिस्तानी भूमि को किस प्रकार सफलतापूर्वक हरे-भरे क्षेत्रों में बदल दिया है। यहां उन्होंने हर्बल गार्डन में कई प्रकार के औषधीय पौधों को देखा और मधुमेह के निदान में काम में ली जाने वाली ‘गुडबेल’ जैसी प्रजातियों पर विशेष ध्यान दिया। इस विजिट के जरिए पारंपरिक हर्बल ज्ञान और आधुनिक औषधीय अनुप्रयोगों के बीच संबंध को व्यावहारिक रूप से समझा।
फार्मेसी कॉलेज की प्रिंसिपल नेहा विजय ने स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए फार्मेसी में हर्बल पौधों और वैज्ञानिक अनुसंधान के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि प्राकृतिक संसाधनों को स्वास्थ्य सेवा के लिए चिकित्सा समाधानों में कैसे बदला जा सकता है।
इस दौरे से न केवल हर्बल दवाओं, वानिकी अनुसंधान और पर्यावरण संरक्षण के संबंध में स्टूडेंट्स की समझ को व्यापक बनाया, बल्कि भविष्य के फार्मेसी प्रोफेशनल्स के रूप में इनमें सामाजिक और पारिस्थितिकी जिम्मेदारी की भावना भी जगाई।