(दिव्यराष्ट्र के लिए लेखराम विश्नोई)
भारत एक प्राचीन सांस्कृतिक राष्ट्र है, जिसकी पहचान विविधता में एकता से होती है। परंतु इस शांति और समरसता को कई बार विघटनकारी ताक़तों ने चुनौती दी है। रेडिकल इस्लाम, पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद और भारत के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अस्थिरता फैलाने की कोशिशें हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए एक गंभीर खतरा बन चुकी हैं। हाल ही में कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुई आतंकी घटना ने एक बार फिर इस खतरे की भयावहता को उजागर कर दिया है।
रेडिकल इस्लाम केवल एक धार्मिक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक कट्टरपंथी और हिंसात्मक राजनीतिक विचारधारा है, जिसका उद्देश्य शरिया आधारित शासन की स्थापना करना है। यह विचारधारा लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और मानवाधिकारों के पूर्ण विरोध में है
1947 में विभाजन के पश्चात से ही पाकिस्तान ने भारत विरोध को अपनी विदेश नीति का आधार बना लिया है। कश्मीर को हथियाने के लिए उसने बार-बार युद्ध किए, पर विफल रहा। 1989 के बाद से उसने ‘हजार जख्म’ देने की नीति के तहत आतंकवाद को एक औजार की तरह प्रयोग करना शुरू किया। आईएसआई जैसे संगठनों के माध्यम से पाकिस्तान ने कश्मीर घाटी में चरमपंथ को हवा दी, युवाओं को उकसाया और भारत-विरोधी सोच को भड़काया।
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवादी संगठन अभी भी सक्रिय हैं और वे भारत के धार्मिक व सांस्कृतिक प्रतीकों को निशाना बना रहे हैं। यह हमला न केवल निर्दोष यात्रियों पर हुआ, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना पर भी हमला है।
कश्मीर के अलावा देश के कुछ अन्य मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार के संकेत मिले हैं। कुछ अलगाववादी नेता और संस्थाएं युवाओं को गुमराह कर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल कर रही हैं। यह स्थिति चिंता का विषय है क्योंकि इससे देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द पर खतरा उत्पन्न होता है।
जब बार-बार हिन्दू तीर्थों, धार्मिक यात्राओं और धार्मिक पहचान को निशाना बनाया जाता है, तब यह आवश्यक हो जाता है कि हिन्दू समाज सतर्क रहे और संगठित होकर अपनी सांस्कृतिक पहचान व धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करे। यह केवल एक समुदाय की नहीं, भारत की आत्मा की सुरक्षा का प्रश्न है। यह हमला भारत की राष्ट्रीय चेतना पर हमला है।
आज जब भारत विविध प्रकार की आंतरिक व बाहरी चुनौतियों से जूझ रहा है, तब एक प्रबल राष्ट्रीय चेतना ही हमें इन संकटों से उबार सकती है।
भारत को यदि एक सुरक्षित, समरस और शक्तिशाली राष्ट्र बनाना है, तो हमें रेडिकल इस्लाम और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से सख्ती से निपटना होगा। साथ ही, हमें समाज के सभी वर्गों को राष्ट्रीय सोच से जोड़ते हुए आतंकवादी संगठनों और उनके आकाओं को कड़ा और बड़ा जवाब देना होगा। पहलगाम की घटना हमें चेतावनी देती है — अब समय आ गया है कि हम केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई करें।