Home न्यूज़ संस्कारा रिज़ॉर्ट के मदन जैन को झूठे दावों के लिए नोटिस

संस्कारा रिज़ॉर्ट के मदन जैन को झूठे दावों के लिए नोटिस

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ओयो के खिलाफ कार्यवाई पर रोक

जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ राजस्थान हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने ओयो के खिलाफ जीएसटी देनदारी मामले में किए गए भ्रामक और गलत दावों को गंभीरता से लेते हुए संस्कारा रिज़ॉर्ट के डायरेक्टर मदन जैन को नोटिस जारी किया है। यह मामला 2.66 करोड़ रुपये के जीएसटी नोटिस से जुड़ा है। कोर्ट ने शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए अस्पष्ट और भ्रामक बयानों पर चिंता जताई और इसी आधार पर ओयो को जबरन कार्रवाई से संरक्षण दिया। कोर्ट ने यह भी देखा कि संस्कारा रिज़ॉर्ट ने मामले से जुड़ी अहम जानकारियाँ, जैसे चेक-आउट रिकॉर्ड, बंद कमरों का डेटा और ऑपरेशनल एग्रीमेंट की कॉपी प्रस्तुत नहीं की, जो इस केस के लिए बेहद जरूरी थे। कोर्ट ने यह संकेत भी दिया कि ऐसा प्रतीत होता है कि रिज़ॉर्ट का मालिक टैक्स संबंधित मामलों, खासकर जीएसटी देनदारी से जुड़ी चिंताओं से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है।
कोर्ट ओयो द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने संस्कारा रिज़ॉर्ट (सबू सोडियम क्लोरो लिमिटेड) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।
जस्टिस प्रवीर भटनागर ने कंपनी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ओयो के पक्ष में स्टे (रोक) का आदेश दिया और यह भी स्वीकार किया कि बुकिंग सेल रजिस्टर, एग्रीमेंट आदि जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत न करना संस्कारा की ही चूक को दर्शाता है। कोर्ट ने एक विस्तृत और स्पष्ट आदेश जारी किया है और पुलिस को दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट (स्टेटस रिपोर्ट) पेश करने का निर्देश दिया है।
ओयो की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर.बी. माथुर और लिपि गर्ग ने कहा, “माननीय न्यायालय ने यह स्वीकार किया कि संबंधित एफआईआर अनावश्यक और अनुचित थी। ऐसा लगता है कि यह शिकायतकर्ता की जीएसटी देनदारियों से ध्यान भटकाने की एक सोची-समझी कोशिश है। ओयो का होटल के साथ कई वर्षों से कोई व्यावसायिक संबंध नहीं रहा है। ओयो के रिकॉर्ड साफ़ तौर पर दिखाते हैं कि उस संपत्ति पर की गई बड़ी संख्या में बुकिंग्स ‘वॉक-इन’ थीं, जिन्हें संभवतः होटल के अपने स्टाफ द्वारा ओयो के साथ कॉन्ट्रैक्ट टर्म के दौरान सीधे दर्ज किया गया था। इसके अलावा, हमने संस्कारा रिज़ॉर्ट के निदेशक मदन सिंह जैन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि की कार्यवाही शुरू की है।”
ओयो ने कोर्ट के सामने तथ्यात्मक रूप से यह साबित किया कि कंपनी ने सभी आवश्यक नियमों का पूरी तरह पालन किया है, जिसमें पूरी और सटीक बुकिंग जानकारी के साथ-साथ समर्थनकारी दस्तावेजों का प्रस्तुत करना भी शामिल है। कोर्ट ने इस बात को भी नोट किया कि जीएसटी विभाग ने जानकारी सीधे संस्कारा रिज़ॉर्ट से मांगी थी, न कि ओयो से, और यह भी स्पष्ट किया गया कि ओयो पहले ही सभी जरूरी जानकारी उपलब्ध करा चुका है।
इसके अलावा यह भी उल्लेख किया गया कि संस्कारा इससे पहले जयपुर हाईकोर्ट में एक दीवानी(सिविल) रिट याचिका लेकर गया था, जिसे खारिज कर दिया गया था। उस फैसले में यह स्पष्ट रूप से दोहराया गया कि चालान (इनवॉइस) जारी करने की जिम्मेदारी संस्कारा की ही थी, क्योंकि ओयो की भूमिका केवल एक सेवा और कमीशन आधारित प्लेटफॉर्म तक सीमित है।
इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की गई है।
ओयो ने कहा है कि वह किसी भी जांच में पूरी तरह सहयोग करेगा और जब भी किसी एजेंसी को ज़रूरत होगी, सही और उपयुक्त जानकारी उपलब्ध कराएगा।

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