दिव्यराष्ट्र, नई दिल्ली: न्यू इंडियन कंज्यूमर इनिशिएटिव (एनआईसीआई) ने पीईएन मीडिया लिटरेसी के साथ मिलकर “भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग के लिए उपभोक्ता हित और रेगुलेशन की जरूरत” शीर्षक से एक वर्चुअल वर्कशॉप आयोजित की। इस सत्र में तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे कई राज्यों के उपभोक्ता हित संगठनों ने भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग के तेजी से बढ़ते चलन, उपभोक्ताओं के लिए जोखिम और एक संरचित नियामक ढांचे (रेलुलेटरी फ्रेमवर्क) की आवश्यकता पर चर्चा की। ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में यूज़र चुनाव, शेयर बाजार की गतिविधियों और मौद्रिक दांव के साथ आर्थिक रुझानों जैसी वास्तविक दुनिया की घटनाओं पर दांव लगा सकते हैं। ये प्लेटफॉर्म खुद को गेमिंग प्लेटफॉर्म, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और यहां तक कि निवेश प्लेटफॉर्म के रूप में कई तरीकों से पेश करते हैं, लेकिन संबंधित नियामक निकायों के दायरे से बाहर हैं, जिससे उपभोक्ताओं के लिए जोखिम बढ़ जाता है। सालाना ₹50,000 करोड़ रुपये से अधिक के लेन-देन की मात्रा और 5 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ, ये प्लेटफॉर्म विज्ञापनों के दम पर बढ़े हैं जो अक्सर बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जाने वाले जीत और दांव को आय के एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में पेश करते हैं।
एनआईसीआई के संयोजक श्री अभिषेक कुमार ने कहा, “भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का तेजी से बढ़ना उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय है, जहां गेमिंग, ट्रेडिंग और निवेश के बीच की रेखाएं तेजी से धुंधली होती जा रही हैं। इन प्लेटफॉर्म को अक्सर आय के विश्वसनीय स्रोत के रूप में बेचा जाता है, जो महत्वपूर्ण तरीके से पैसे और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े जोखिमों को जन्म दे रहे हैं। उपभोक्ताओं की सुरक्षा, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है। हमारा लक्ष्य सावधानी बरतने और इन प्लेटफॉर्म के खिलाफ हस्तक्षेप का अनुरोध करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार विभिन्न मंत्रालयों से जुड़ना है।”