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नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्‍ड्रेन हॉस्पिटल ने दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहे मासूम को दी नई जिंदगी

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मुंबई, , दिव्यराष्ट्र/: नारायणा हेल्थ द्वारा संचालित एसआरसीसी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ने एक बार फिर अपनी विशेषज्ञता और संवेदनशील देखभाल का परिचय दिया है। केवल छह महीने की उम्र में दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहे एक मासूम ने यहां एक साल लंबा इलाज सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। अब यह बच्चा 2.5 साल का हो चुका है और अस्पताल की विश्वस्तरीय पीडियाट्रिक न्यूरो-ऑन्कोलॉजी टीम की देखरेख में पूरी तरह स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ रहा है।

इस मासूम की कहानी साहस, उम्मीद और चिकित्सकीय उत्कृष्टता की मिसाल है। जब उसके माता-पिता ने उसके शरीर पर कई काले धब्बे और गर्दन ठीक से न संभाल पाने की समस्या देखी, तो उन्होंने कई विशेषज्ञों से परामर्श लिया। एमआरआई ब्रेन स्कैन में मस्तिष्क के निचले हिस्से (पोस्टीरियर फोसा) में बड़ा ट्यूमर पाया गया। कई डॉक्टरों ने यह तक कह दिया कि बच्चा ज्‍यादा दिन नहीं जी पाएगा। ऐसे मुश्किल वक्‍त में एसआरसीसी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में उन्हें एक नई उम्मीद मिली।

बच्चे को नारायणा हेल्‍थ एसआरसीसी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, मुंबई के आउट पेशेंट विभाग में लाया गया, जहां वरिष्ठ पीडियाट्रिक न्यूरोसर्जन डॉ. सौरव समंतराय ने जांच और इलाज का जिम्मा संभाला। अस्पताल की न्यूरो-ऑन्कोलॉजी मल्टीडिसिप्लिनरी टीम (एमडीटी) ने तुरंत एमआरआई रिपोर्ट की समीक्षा की। कनाडा के टोरंटो स्थित सिककिड्स हॉस्पिटल के सहयोग से जेनेटिक टेस्ट कराए गए, जिनकी मदद से सटीक निदान तय कर इलाज की रणनीति तैयार की गई।

जुलाई 2023 में बच्चे के ट्यूमर को सर्जरी के जरिए पूरी तरह निकाल दिया गया। इसके बाद अगस्त 2023 से मई 2024 के बीच विशेष रूप से तैयार की गई कीमोथेरेपी (सिस्टमिक और इन्ट्रावेंट्रिकुलर दोनों) दी गई।

हालांकि इलाज की राह आसान नहीं थी। यह सर्जिकल और मेडिकल टीम के लिए कई चुनौतियाँ लेकर आई। इतनी छोटी उम्र के बच्चे में सर्जरी के लिए बेहद सूक्ष्म सटीकता और एडवांस एनेस्थीसिया योजना की जरूरत थी। इतना छोटा और कम वजन वाला बच्चा होने के कारण कीमोथेरेपी देना भी एक बड़ी चुनौती थी। इलाज के दौरान बच्चे को ऑब्सट्रक्टिव हाइड्रोसेफेलस नामक गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ा, जिसमें मस्तिष्क से तरल निकालने के लिए तुरंत वीपी शंट लगाना पड़ा।

आमतौर पर इस स्थिति में इन्ट्रावेंट्रिकुलर कीमोथेरेपी जारी रखना मुश्किल होता है। लेकिन नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की टीम ने अपनी तकनीकी विशेषज्ञता का परिचय देते हुए प्रोग्रामेबल शंट का इस्तेमाल किया, जिससे इलाज बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सका। इस फैसले ने बच्चे को पूरी तरह स्वस्थ होने का सर्वोत्तम मौका दिया।
कई बार अस्पताल में भर्ती रहने और 24 घंटे समर्पित देखभाल के बाद अब बच्चे ने अपना इलाज पूरा कर लिया है। आज वह सामान्य रूप से बढ़ रहा है, नए विकासात्मक लक्ष्य हासिल कर रहा है और एक खुशहाल बचपन जी रहा है — जो कभी असंभव सा लग रहा था।

डॉ. सौरव समंतराय, वरिष्ठ सलाहकार, पीडियाट्रिक न्यूरोसर्जरी, नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, मुंबई ने कहा, “यह मामला हमें यह याद दिलाता है कि बच्चों के लिए विशेष केंद्र में समय पर रेफरल कितना जरूरी होता है। सही संसाधनों, विशेषज्ञता और समर्पित टीम के साथ हमने मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में इलाज को संभव बनाया। आज उसे स्वस्थ देखकर हमारी सबसे बड़ी संतुष्टि है।”

डॉ. कृति हेगड़े, सलाहकार पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी, नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, मुंबई ने कहा, “इस बच्चे में एक दुर्लभ और तेज़ी से बढ़ने वाले ब्रेन ट्यूमर का पता चला था। यह स्थिति बहुत कम बच्चों में होती है और अक्सर देर से पहचानी जाती है। यह मामला बताता है कि छोटे बच्चों में समय पर न्यूरोलॉजिकल जांच कितनी जरूरी है। हमारी मल्टीडिसिप्लिनरी टीम ने मिलकर समय पर बीमारी की पहचान की, सटीक सर्जरी की और उन्नत कीमोथेरेपी दी, जिससे बच्चे को ठीक होने का सबसे अच्छा मौका मिल सका। हम सभी माता-पिता से अनुरोध करते हैं कि यदि बच्चों में विकास में देरी या कोई असामान्य लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।”

डॉ. जुबिन परेरा, फैसिलिटी डायरेक्टर, नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ने कहा, “यह असाधारण मामला दिखाता है कि हमारी टीम दुर्लभ और जटिल बीमारियों के इलाज के लिए कितनी प्रतिबद्ध और सक्षम है। हमारी विशेषज्ञता और टीमवर्क ही हमें हर बार बेहतरीन नतीजे देने में मदद करता है।”

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