जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ जाने माने डायमंड एटेलियर नानाग्राम फाइन ज्यूल्स ने प्राकृतिक हीरों के साथ जयपुर की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने वाला भव्य जश्न का आयोजन किया। इस मौके पर कई जाने माने गणमान्य लोगों, जिनमें नानाग्राम फाइन ज्यूल्स के संरक्षक श्री सुभाष जैन; श्रुति ठक्कर, को-फाउंडर एवं एडिटोरियल डायरेक्टर, द इस्टेब्लिश्ड; नैचुरल डायमंड काउंसिल, इंडिया की मैनेजिंग डायरेक्टर ऋचा सिंह समेत फाइन ज्यूलरी तथा लग्ज़री की दुनिया से जुड़े प्रमुख लोगों ने प्रतिभाग किया।
इस भव्य समरोह में दुनिया के सर्वाधिक विशिष्ट आकर्षण वाले पन्ने को भी प्रदर्शित किया गया, जिसे रूस की जगप्रसिद्ध यूराल खदानों से कई दशक पहले निकाला गया था। इसकी अभूतपूर्व नफासत और अष्टफलकीय सौंदर्य आज भी बरकरार है और यह दुर्लभ रत्न वास्तव में, असाधारण सौंदर्य से भरपूर नगीनों को पेश करने के नानाग्राम के समर्पण का सबूत है।
भरत जैन, डायरेक्टर, नानाग्राम फाइन ज्यूल्स ने कहा, “पन्ना सही मायने में हीरे का सच्चा साथी होता है। पिछली कई पीढ़ियों से, हमारे परिवार ने दुर्लभ तथा खास रत्नों की खोज में दुनियाभर की यात्राएं की हैं, यूराल खानें हमारे सबसे पसंदीदा स्रोतों में से हैं। ”
ऋचा सिंह, मैनेजिंग डायरेक्टर, नैचुरल डायमंड काउंसिल ने कहा, “नैचुरल डायमंड्स हमारे इतिहास के सबसे पुराने नमूनों में से हैं, ये डायनासौर से भी कहीं अधिक पुरातन हैं। हर हीरा दूसरे से फर्क होता है, वैसे ही जैसे कि हमारी उंगलियों की छाप अलग-अलग होती है। हीरे अद्भुत होते हैं और इन्हें आभूषणों में जाड़कर हर ग्राहक के मुताबिक खास बनाया जाता है। ये ऐसी विरासत के संकेत चिह्न होते हैं जिन्हें पीढ़ी-दर-पीढ़ी पारिवारिक धरोहर के रूप में सौंपा जाता है। हीरे वास्तव में, प्रेम का जश्न होते हैं जो किसी खास अवसर को हमेशा के लिए यादगार बनाते हैं।”
धवल जैन, डायरेक्टर, नानाग्राम फाइन ज्यूल्स ने कहा, “प्राकृतिक हीरे सदा के लिए होते हैं। उनका समयातीत आकर्षण सदियों से लोगों के दिलों पर राज़ करता आया है, और हमें जेन जेड ग्राहकों के बीच इनकी लोकप्रियता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी दिखायी दे रही है जो हीरों की नफासत और हर अवसर के अनुकूल इनकी खूबियों को पसंद करते हैं। सॉलिटेयर्स तो सौम्यता और व्यक्तिगत पसंद के नए प्रतीक बनकर उभरे हैं।”
जयपुर के जाने-माने डायमंड एटेलियर नानाग्राम ज्यूल्स ने रूस की यूराल खदानों से प्राप्त एक दुर्लभ पन्ना जयपुर राजवंश के संस्थापक महाराजा जयसिंह द्वीतीय को समर्पित किया।