(डा. सीमा दाधीच)
सृष्टि नहीं नारी बिना, यही जगत आधार।
नारी के हर रूप की, महिमा बड़ी अपार।
भारत देश में अनादि काल से ही नारी शक्ति को मां भवानी, दुर्गाका रुप मानकर पूज्यनीय और वंदनीय माना गया है। वर्ष मे दो बार आने वाले नवरात्रि पूजन हमे मातृ शक्ति की वंदना का संदेश देते हैं। भले ही हमारी सामाजिक व्यवस्था पुरुष प्रधान होने का संदेश देती हे लेकिन किसी भी समाज का अस्तित्व नारी के बिना अधूरा सा रहता है।जब ब्रह्मांड में देवता सभी राक्षस के उत्पात से अधीर हुए तब उन्होंने जगत कल्याण के लिए सभी देवताओं ने अतुल्य तेज से नारी का सृजन किया और मां दुर्गा बन राक्षस का वध किया। हमारे पूज्य देवताओ के नाम की महत्ता भी नारी शक्ती से ही हुई है जैसे।
लक्ष्मीनारायण, सीता राम, राधे कृष्ण, उमापति यह नारी का सम्मान ही जो देवताओ ने अपने नाम मे प्रथम नारी को रखा ।
आज की नारी भी मां दुर्गा की तरह ही बुराई के खिलाफ खड़ी हो रही हैं अपनी शक्ति को जागृत कर रही हैं और सफलता की राह पर चल रही है। हमारे देश में नारी उच्च पद पर रहकर शोभायमान रही उनमें नेतृत्व की कला कौशल से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री,तक बनी हैं। नारी ने जब मां का मातृत्व धारण किया तब जीजाबाई ने शिवाजी को महान शासक बनाया बचपन में ही महाकाव्यों और लोककथाओं की कहानियाँ सुनाकर रणनीति, मूल्यों और धर्म का महत्व सीखा उन्हें राजनीति की कला सिखाई और उन्हें एक न्यायप्रिय और ईमानदार शासक बना दिया । रानी लक्ष्मीबाई एक मराठी ब्राह्मण कुल की थी उन्हें बचपन में ही निशानेबाजी, घुड़सवारी, तलवारबाजी और अपने बचपन के के साथ मल्लखंभ की शिक्षा प्राप्त हुई रानी लक्ष्मीबाई को वह शत्रुओं से वीर योद्धाओं की तरह लड़ती थी । वह घुड़सवारी में चतुर थी और अत्याधिक साहसी थी। रानी का अपने राज्य और देश के प्रति स्वाभिमान था और उसकी खातिर कुर्बानी देकर शक्ति की मिसाल दी,देश के लिए मर मिटने, स्वाभिमान से जीने, विपत्तियों से न घबराने, साहस, दृढ़ निश्चय यही लक्ष्मी बाई का चरित्र है ।नारी अबला नहीं सबला है लक्ष्मीबाई के जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए और बेटी को शिक्षा के साथ आत्म रक्षा कौशल प्रशिक्षण देना चाहिए।
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा स्कंदमाता,कात्यायनी कालरात्रि ,महागौरी रूप से सृष्टि का पालनहार कर जगत मैं स्त्री कन्या रूप, छात्र रूप, मातृरूप, शक्ति रूप, काली रूप पार कर के माँ गौरी का श्वेत सौम्य रूप धारण कर लेती है तब उसके लिए सिद्धि के मार्ग खुल जाते हैं और वह माँ सिद्धिदात्रि बन के परम निर्वाण का आशीर्वाद देने वाली माँ हो जाती है।
हमारे देश में गाय को माता, नदी को गंगा, धरती को धरती मां कहा गया और जहा पुरुष भी विद्या प्रारंभ करते समय मां सरस्वती देवी का ध्यान करते हैऔर धन सम्पदा की देवी भी लक्ष्मी को ही माना गया है।, इस देश में नारी शक्ति को स्वय समझने की जरूरत है वो अबला थी ही नहीं।
नारी अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं। नारी ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को साबित किया है उनमें किरण बेदी ,पीटी ऊषा, सायना नेहवाल, सानिया मिर्जा, मदर टेरेसा का ममत्व, पन्नाधाय का बलिदान कौन भूल पाया ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्होंने देश का नाम रोशन किया।