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50 वर्ष से अधिक उम्र के ज्यादातर भारतीय शिंगल्स बीमारी से अनजान, जोखिम के बावजूद जागरूकता की कमी

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दिव्यराष्ट्र, मुंबई: एक नए वैश्विक सर्वेक्षण में सामने आया है कि 50 साल या इससे ज्यादा उम्र के 56.6 प्रतिशत भारतीय शिंगल्स बीमारी के बारे में बहुत कम या कुछ नहीं जानते हैं, जबकि इस उम्र के 90 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के शरीर में इसका वायरस है और उन्हें शिंगल्स होने का खतरा है। वैश्विक स्तर पर मात्र 44 प्रतिशत लोगों को शिंगल्स के बारे में कुछ जानकारी है।1 शिंगल्स जागरूकता सप्ताह (24 फरवरी से 2 मार्च, 2025) की शुरुआत के मौके पर लॉन्च सर्वेक्षण के नतीजे दिखाते हैं कि लोगों में बढ़ती उम्र से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी खतरों को लेकर बहुत सीमित जागरूकता है। विशेषरूप से ऐसे लोगों में भी जागरूकता की कमी है, जिन्हें पहले से कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है। भारत में सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 61 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्हें डायबिटीज, सीओपीडी, अस्थमा, कार्डियोवस्कुलर डिसीज या क्रोनिक किडनी डिसीज जैसी कोई समस्या है। हालांकि मात्र 49.8 प्रतिशत ने ही शिंगल्स होने को लेकर कोई चिंता जताई। वैश्विक स्तर पर 54 प्रतिशत लोग किसी न किसी क्रोनिक बीमारी का शिकार हैं, लेकिन मात्र 13 प्रतिशत ने ही शिंगल्स को लेकर चिंता व्यक्त की।

जीएसके इंडिया की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. शालिनी मेनन ने कहा, ‘जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, बीमारियों से लड़ने की हमारी क्षमता कम होती जाती है, जिससे शिंगल्स जैसी कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। जब बढ़ती उम्र के साथ कुछ क्रोनिक बीमारियां भी हो जाती हैं, तो खतरा और भी बढ़ जाता है। सर्वेक्षण में सामने आया है कि 50 साल से ज्यादा उम्र के अधिकतर लोग इन खतरों से अनजान हैं, जो चिंता बढ़ाने वाली बात है। बढ़ती उम्र के लोगों के लिए यह समझना जरूरी है कि उम्र उनके स्वास्थ्य पर किस तरह से असर डालती है। इन खतरों को समझना और बचाव के कदम उठाना जरूरी है। इनमें स्वस्थ खानपान (हेल्दी डाइट) अपनाना, नियमित रूप से व्यायाम करना, लक्षणों को शुरुआती स्तर पर ही समझना, समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराना और अपने चिकित्सकों से उपलब्ध टीकों के बारे में विमर्श करने जैसे कदम शामिल हैं। जागरूकता और सक्रियता से उठाए गए कदमों की मदद से हम बढ़ती उम्र के लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने में सक्षम हो सकते हैं।’

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