
भारतवर्ष तीज त्यौहारों के रंग में रंगा खूबसूरत देश है। यहां की संस्कृति, संस्कार ,मान्यताएं जीवन में उत्साह ,उमंग ,प्रेम ,सौहार्द को बनाए रखते हैं। इंसान जीवन की भागदौड़ में जब अपने परिवार और रिश्तों को समय नहीं दे पाता तब ये त्यौहार हमें रिश्तों का महत्व समझाने के लिए बारी बारी से आते हैं। परिवार की खुशहाली, सुख-समृद्धि, रिश्तों के प्रति लगाव, उनके हमारे जीवन में होने का मोल, अहमियत को जताने के लिए ये व्रत त्यौहार मनाए जाते हैं। चाहे हम कितना भी कह लें कि व्रत करने से क्या होगा। मगर बारीकी से विचार किया जाए तो व्रत करना हमें शारीरिक दृष्टि से स्वास्थ्य लाभ देते हैं। व्रत करने से शरीर डिटॉक्स होता है इसके साथ ही हम अपने आप को संयमित रखना सीखते हैं।
देखा जाए तो वर्तमान पीढ़ी कीटो डाइट पर रहकर अपने आप को फिट रखती है वहीं पुरानी पीढ़ी इसे व्रत उपवास का नाम देकर स्वयं और अपने परिवार को स्वस्थ रखने का प्रयास करती थी।
अब प्रश्न यह उठता है कि एक इंसान के व्रत रखने से दूसरे इंसान की उम्र कैसे बढ़ सकती हैं । लॉजिक ढूंढने वाले चाहे जो कहें लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि एक व्यक्ति का समर्पित भाव दूसरे व्यक्ति में जीवन जीने की इच्छा को बल देता है। ये व्रत उपवास इसलिए किए जाते हैं ताकि हम अपने साथी को अपने प्यार से अवगत करा सकें। हमारे जीवन में उसकी कितनी अहमियत है ये जता सकें। और ईश्वर से अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मांग सके। क्योंकि किसी भी जोड़े की पूर्णता एक दूसरे के साथ होने से है।इस बात को वर्तमान युवा पीढ़ी अच्छी तरह जानती और समझती है इसीलिए करवा चौथ जैसे व्रत न सिर्फ पत्नी रखती है अपितु पति भी रखते हैं। मेरे ख्याल से इससे खूबसूरत बात कोई हो नहीं सकती। क्यों कि जीवन तो सभी का अनमोल है और एक दूसरे के साथ के बिना जीवन अधूरा ही होता है। इसलिए यही कहूंगी कि समय अक्सर अपने साथ परिवर्तन लेकर आता है ,चाहे यह समय की मांग है लेकिन कुछ परिवर्तन सच में अच्छे होते हैं।
इतिहास के पन्नों में झांका जाए तो हम पाते हैं कि करवा चौथ महाभारत के समय से चला आ रहा हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है । यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस पर्व पर विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार करवा चौथ की शुरुआत देवी पार्वती द्वारा भगवान शिव के लिए रखे गए व्रत से हुई। जिसके लिए उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिला। इसके साथ ही दूसरी कथा पतिव्रता सावित्री की है जिसने अपने पति सत्यवान को यमराज से बचाने के लिए यह व्रत रखा। ऐसी मान्यता है कि पति की लम्बी आयु,संकट से मुक्ति, उन्नति एवं स्वस्थ जीवन की कामना से यह व्रत किया जाता है।
यही कारण है कि हमारा समाज कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाएं, फिर भी पत्नियां अपने अपने पतियों की लम्बी उम्र की कामना से करवा चौथ का व्रत रखती हैं और रात को चांद को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलती हैं।
पति-पत्नी के रिश्ते को प्रगाढ़ता प्रदान करने वाला यह त्यौहार सच में अनूठा त्यौहार है और हमारी सांस्कृतिक विरासत भी , जिसे हमें सहेजकर रखना है।