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लाल बहादुर शास्त्री को तोलने के लिए मारवाड़ी ने दिया सोना

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(उमेन्द्र दाधीच) देश के दितीय प्रधान मंत्री लालबहादुर शास्त्री का राजस्थान से भारी लगाव रहा है। वे प्रधान मंत्री रहते हुए सिरोही राज परिवार के मेहमान भी बने। शास्त्री को तोलने के लिए उनके वजन के बराबर का सोना छोटी सादडी के गणपत लाल आंजना ने दिया था हालाकि इस सोने से शास्त्री जी को तोला नहीं जा सका लेकिन उनके निमित इस स्वर्ण को सरकारी कोष मे जरूर जमा कराया गया। इस मामले को लेकर आंजना को कोर्ट का ड्रवाजा भी खट खटाना पड़ा। छोटी सादड़ी के गोमाना ग्राम निवासी गणपत लाल आंजना ने कोर्ट मे शिकायत की थीं की उन्होने वर्ष 1965मे तत्कालीन प्रधान मंत्री शास्त्री को तोलने के लिए डोना दीया था जब शास्त्री जी का निधन होंगया तो चितौड़गढ़ के कलेक्टर के पास सोना जमा कराकर उन्होने रसीद लेली थीं। पूर्व प्रधान मंत्री शास्त्री को तोलने के लिए जुटाए गए 31करोड़ के सोने की 55साल तक कानूनी लड़ाई राज्य सरकार के पक्ष मे गई 56किलो 863ग्राम सोने से शास्त्री को छोटी सादडी बुलाकर तोलने काकार्यक्रम तय हुआथा लेकिन शास्त्री की मृत्यु होजाने से यह आयोजन सफल नहीं हो पाया। बाद में यह सोना सुरक्षा की दृष्टि से सरकार के पास जमा करा दिया गया लेकिन कुछ समय बाद इस सोने को पाने के लिए कई दावेदार सामने आगए। गोमाना ग्राम के ही गुणवंत ने गणपत लाल और उनके साथियों के खिलाफ् इस सोने को लेकर धोखा धडी का मामला दर्ज करा दिया जिससे मामला कानूनी विवाद में फस गया। सरकार ने सोने को जब्त कर लिया और यह विवाद अदालत मे चला गया। निचली अदालत ने गणपत लाल को सजा सुनाई और कहा इस सोने को स्वर्ण नियंत्रक अधिकारी को सोपा जाए। सजा केबाद गणपत लाल ने डीजे कोर्ट मे अपील की जिसपर 7अप्रैल 1978को वह बरी हो गया। इसके बाद इस सोने को लेकर कोई भी वाद नहीं आने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ब्रजेंद्र रावत ने चितौड़ गढ़ के सीजेएसटी को सोना सोपने का आदेश दिया। चितौड़ गढ़ के छोटी सादडी मे 16डिसांबर्ट 1965को शास्त्री का आने का कार्यक्रम तय हुआ था उस समय गणपत लाल ने शास्त्री को तोलने के लिए 56.863ग्राम सोना इक्ट्ठा कर कार्यक्रम तय किया था ताशकंद समझाते के लिए मास्को गए शास्त्री का निधन होजाने से कार्यक्रम नहीं हो पाया और सोना विवाद का कारण बन गया। गणपत लाल आंजना ने उस वक्त 26फरवरी 1966को सरकार के गोल्ड बांड स्कीम के तहत सोना जमा कराकर रसीद लेली थीं । उस समय देश मे अनाज की कमी के कारण शास्त्री ने वर्ष 1962मे गोल्ड कंट्रोल एक्ट के तहतगोल्ड बांड स्कीम निकाली थीं जिसमे कोई भी व्यक्ति सोना जमा कराकर बांड ले सकता था। सोना जमा कराने वाले से कोई पूछताछ नहीं होती थीं।

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