दिव्यराष्ट्र, नई दिल्ली: भारत के अग्रणी व्यापारिक समूह एवं मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स की मूल कंपनी मलाबार समूह ने 2025-26 में अपनी सीएसआर पहलों को आगे बढ़ाने के लिए 150 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. ये पहलें स्वास्थ्य, शिक्षा, भूख एवं गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और वंचितों के लिए आवास पर केंद्रित हैं.
समूह ने अपनी प्रमुख सीएसआर पहल ‘हंगर फ्री वर्ल्ड’ के तहत भारत और जाम्बिया में वंचितों को प्रतिदिन 70 हजार भोजन वितरित करने की प्रतिबद्धता जताई है. इस तरह 2025-26 में में कुल 2.50 करोड़ भोजन बांटे जाएंगे. यह पिछले 3 सालों में बांटे गए 2.5 करोड़ भोजन की अब तक की पूरी उपलब्धि से एक बड़ी छलांग है. यह खाद्य सुरक्षा के लिए समूह की ठोस प्रतिबद्धता के बारे में भी बताता है. यह पहल संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 2- जीरो हंगर के अनुरूप है.
नीति आयोग के पूर्व सीईओ एवं जी-20 शेरपा डॉ. अमिताभ कांत ने नई दिल्ली के जनपथ स्थित डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में 28 मई 2025 को आयोजित एक कार्यक्रम में समूह के सीएसआर कार्यक्रमों के अगले चरण का शुभारंभ किया. 28 मई को ही वर्ल्ड हंगर डे मनाया जाता है. इस कार्यक्रम में मौजूद अन्य गणमान्य व्यक्तियों में मलाबार समूह के चेयरमैन एम.पी. अहमद, मलाबार समूह के वाइस चेयरमैन के.पी. अब्दुल सलाम और मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स के भारतीय परिचालन के मैनेजिंग डायरेक्टर ओ. अशर शामिल थे.
मलाबार समूह के चेयरमैन एम.पी. अहमद ने इस पहल के बारे में कहा, ‘‘मलाबार समूह में सीएसआर हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और हम समाज को वापस देने में विश्वास करते हैं. हम 28 मई को अपने वार्षिक सीएसआर दिवस के रूप में समर्पित करते हैं. हम निरंतर और प्रभावशाली कदमों के माध्यम से वंचितों के साथ खड़े होने की अपनी प्रतिज्ञा को दोहराते हैं. हमारी सीएसआर पहल उस स्थायी प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब हैं. हम अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं. अगर अन्य संगठन इस मिशन में शामिल हों तो इसका प्रभाव बढ़ सकता है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 29.5 करोड़ लोग ‘अक्यूट हंगर’ से जूझ रहे हैं, इसलिए तत्काल कदम उठाना जरूरी है. यही जरूरत हमारी भोजन बांटने की पहल के लिए प्रेरणा का काम करती है. इसके साथ ही, भोजन वितरण के अलावा उत्पादन को बढ़ावा देने, रोजगार का सृजन करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि स्थायी बदलाव लाया जा सके.’’