दिव्यराष्ट्र, जयपुर: मैटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमआरएआई) ने आज जयपुर में अपना बहुप्रतीक्षित 12वां अंतर्राष्ट्रीय मैटेरियल रिसाइक्लिंग कॉन्फ्रेंस (आईएमआरसी) शुरू किया, जिसमें 50 से अधिक देशों के 2,500 से अधिक वैश्विक प्रतिनिधि शामिल हुए। 28 से 30 जनवरी, 2025 तक आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में रिसाइक्लिंग उद्योग में महत्वपूर्ण मुद्दों और प्रगति को लेकर विचार मंथन किया जाएगा।
एमआरएआई के वाइस प्रेसिडेंट नवीन शर्मा ने इस आयोजन को रीसाइक्लिंग उद्योग का महाकुंभ बताया और इस बात पर जोर दिया कि, ‘‘सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ग्रीन प्रेक्टिसेज को बढ़ावा देना और वैश्विक स्तर पर स्थिरता को बढ़ावा देना है।‘‘
उद्घाटन समारोह में सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के जाने माने लीडर्स मौजूद रहे, जिनमें नीति आयोग के कार्यक्रम निदेशक मेजर जनरल के नारायणन और इस्पात मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विनोद कुमार त्रिपाठी शामिल थे। उनके साथ एमआरएआई के अध्यक्ष संजय मेहता और निदेशक धवल शाह समेत दुनिया भर के विचारक भी मौजूद रहे।
सम्मेलन की शुरुआत करते हुए, एमआरएआई के प्रेसिडेंट श्री संजय मेहता ने एक प्रभावशाली मुख्य भाषण दिया, जिसमें उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मिशन लाइफ़स्टाइल (लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरमेंट) के दृष्टिकोण पर अपना संदेश दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया, ‘‘‘लाइफ़‘ एक सार्वजनिक आंदोलन है जो लोगों को ‘प्रो-प्लैनेट पीपल‘ बनने के लिए प्रेरित करता है। अगर आप दुनिया को बदलना चाहते हैं, इसकी शुरूआत खुद अपने से करें।‘‘
उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहा कि समाज कचरे को कैसे देखता है और उसका मैनेजमेंट कैसे करता है, इसमें एक आदर्श बदलाव की आवश्यकता है, उन्होंने कहा, ‘‘पृथ्वी के संसाधन सीमित हैं। हमारा ग्रह, जिसने अरबों वर्षों से जीवन को पोषित किया है, अब संघर्ष कर रहा है। यह व्यक्तिगत और सामूहिक कार्यों के माध्यम से जागरूक जीवन जीने का आह्वान है। जब रीसाइक्लिंग रणनीतिक और सही तरीके से की जाती है, तो यह मिशन लाइफ के साथ सहजता से जुड़ जाती है, जिससे प्रकृति पर बोझ कम होता है। आइए हम अपने कचरे का ख्याल रखें घर में, कार्यालयों में और कारखानों में सही तरीके से अलगाव का अभ्यास करके।
उनकी टिप्पणियों ने प्रत्येक हितधारक, चाहे वह व्यक्ति हो या बड़ी कम्पनी, के लिए रीसाइक्लिंग को महज एक दायित्व के बजाय लाइफस्टाइल च्वाइस के रूप में अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
रीसाइक्लिंग के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलनः
कार्रवाई के इस आहवान में एमआरएआई के निदेशक धवल शाह ने जन जागरूकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा ‘‘हमें एक राष्ट्रव्यापी अभियान, ‘रीसाइक्लिंग इंडिया‘ बनाने की आवश्यकता है, जो जागरूकता बढ़ाने और रीसाइक्लिंग क्षेत्र में अवसरों को खोलने के लिए एक वास्तविक आंदोलन है। उन्होंने रेस्पॉंसेबल रिसोर्सेज मैनेजमेंट की संस्कृति को बढ़ावा देने और सर्कूलर इकोनॉमी में इनोवेशन के अवसर पैदा करके भारत को रीसाइक्लिंग लीडर के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
स्थिरता के लिए सरकार का दृष्टिकोण: सरकार के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हुए, इस्पात मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विनोद कुमार त्रिपाठी ने एक मजबूत रीसाइक्लिंग ईको सिस्टम के निर्माण के महत्व पर जोर देते हुए कहा ‘‘हमारे रीसाइक्लिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करके, शिक्षा और जागरूकता अभियानों का समर्थन करके, और उद्योगों को सर्कूलर इकोनॉमी के सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके, हम सभी के लिए एक संपन्न, टिकाऊ भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।‘‘
ग्लोबल रिसाइकिलिंग चैलेन्ज: इनोवेशन के लिए आहवान
कॉन्फ्रेंस में उद्योग के सामने आने वाली कई महत्वपूर्ण चुनौतियों पर चर्चा की गईः
● इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट: पूरे भारत में आधुनिक, विकेन्द्रित रिसाइकिलिंग सेन्टर्स की आवश्यकता।
● अवेयरनेस गैप: उपभोक्ताओं और उद्योगों के बीच पुनर्चक्रण के बारे में सीमित जागरूकता।
● विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर): निर्माताओं के बीच असंगत कार्यान्वयन।
● तकनीकी अंतरालः एडवांस रिसाइकिलिंग टेक्नोलॉजीज में सीमित निवेश।
● विनियामक बाधाएं: सुचारू संचालन के लिए अनुपालन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना आवश्यक है।
प्रमुख स्टेटिक्स इस आवश्यकता को उजागर करती हैः
● सामग्री की खपत में वृद्धि: ग्लोबल रॉ मैटेरियल की खपत 1970 से चार गुना बढ़ गई है, जिसके 2060 तक 60 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।
● जल उपयोग ‘ अकेले कृषि में वैश्विक मीठे पानी की निकासी का 70 प्रतिशत हिस्सा है, जिसकी मांग 2050 तक 30 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
● वेस्ट मैनेजमेंट का कुप्रबंधन: भारत में प्रतिवर्ष 62 मिलियन टन से अधिक नगरपालिका अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें से केवल 30 प्रतिशत का ही उचित तरीके से प्रोसेसिंग किया जाता है।
सर्कूलर इकोनॉमी के लिए विजन:
सम्मेलन में रीसाइक्लिंग की क्षमता को उजागर करने के लिए कार्रवाई योग्य रणनीतियों पर जोर दिया गया, जिसमें शामिल हैं:
- ईपीआर अनुपालनः वेस्ट मैनेजमेंट के लिए उद्योग की जवाबदेही को मजबूत करना।
- उपभोक्ता जागरूकता: उचित अपशिष्ट पृथक्करण को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रव्यापी शैक्षिक कार्यक्रम।
- उद्योग नवाचार के लिए प्रोत्साहनः रीसाइक्लिंग मील के पत्थर से जुड़े वित्तीय पुरस्कार।
- सार्वजनिक निजी भागीदारीः टिकाऊ प्रथाओं के लिए सहयोगी ढांचे की स्थापना।
- सर्कूलर इकोनॉमी सेन्टर: टिकाऊ वेस्ट मैनेजमंेंट को बढ़ावा देने के लिए इको पार्क विकसित करना।
सरकारी सहयोग के लिए कार्रवाई योग्य प्रस्ताव
एमआरएआई ने नीति निर्माताओं के समक्ष कई सिफारिशें प्रस्तुत कीं:
● 33 प्रतिशत रिसाइकिल्ड सामग्री का अधिदेश: सरकारी खरीद के लिए
● विनियामक सुधारः प्री-शिपमेंट निरीक्षण प्रमाणपत्र (पीएसआईसी) आवश्यकताओं को हटाना
● प्रोत्साहन योजनाएं: पुरस्कारों को रिसाइकिलिंग इनिशिटिव्स से जोड़ना
● शैक्षिक कार्यक्रम: प्राथमिक विद्यालय स्तर पर रिसाइकिलिंग अवेयरनेस को एकीकृत करना
● सर्कुलर इकोनॉमी हब्स: प्रमुख शहरी क्षेत्रों में इको पार्क विकसित करना
उद्योग और व्यापार जिम्मेदारियां:
वक्ताओं ने व्यवसायों से आग्रह किया किः
● सरकार की स्थिरता नीतियों के साथ तालमेल बिठाएं
● अत्याधुनिक रीसाइक्लिंग तकनीकों में निवेश करें
● स्रोत पर वेस्ट सेगरेशन को प्राथमिकता दें
● नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को बनाए रखें
उद्योग जगत के दूरदर्शी व्यक्तियों का सम्मान: इस कार्यक्रम का विशेष आकर्षण शबरो ग्रुप के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री विजय शारदा और सीएमआर ग्रीन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल को भारतीय रीसाइक्लिंग और निर्माण क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान करना था।
एक सस्टेनेबल फ्यूचर को प्रेरित करना
आइएएमआरसी 2025 का मकसद परिवर्तनकारी विचारों को प्रज्वलित करना, सहयोग को बढ़ावा देना और रीसाइक्लिंग उद्योग को इनोवेशन और सस्टेनेबलिटी की ओर ले जाना है। सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से, भारत जिम्मेदार सामग्री प्रबंधन में एक वैश्विक नेता के रूप में उभर सकता है, जिससे आने वाली पीढ़ियों को सशक्त बनाया जा सके।