-(दिव्यराष्ट्र के लिए कुलदीप शर्मा)
वर्तमान समय इंग्लिश भाषा को समय की जरूरत बताया है, आज की जेनरेशन को, स्टूडेंट्स को इंग्लिश अब केवल एक सब्जेक्ट तक ही सीमित नहीं रही है, बल्कि आज के इस मॉडर्न दौर में एक अच्छा रोजगार पाने का जरिया भी बन गई है, चाहे प्राइवेट सेक्टर हो या गवर्नमेंट सेक्टर दोनों ही जगह अंग्रेजी भाषा की समझ उपयोगी और आवश्यक हो गई है। अंग्रेजी की समझ होना एक स्किल डेवलपमेंट का पार्ट है, आज की एक सामान्य सी जरूरत है, इससे बचा नहीं जा सकता, अंग्रेजी एक भाषा है, और भाषा का अर्थ स्वयं को अभिव्यक्त और अपने भावों को अभिव्यक्त करना होता है।हमारी पहचान हमारे भावों और विचारों की अभिव्यक्ति से ही होती है। हम हमारी भाषा के माध्यम से ही स्वयं को प्रस्तुत करते हैं।अच्छा बोलने वाला आदमी सबको भाता है, सबके दिलों में जगह बना पाता है। समय के साथ-साथ हमें स्वयं को अपडेट करते रहना चाहिए, आज की जरूरतों के हिसाब से स्वयं को ढाँल लेना चाहिये।हिन्दी भाषा पर कमांड होना अच्छी बात है, लेकिन हिन्दी के साथ-साथ हम इंग्लिश में भी अच्छे हो जाएं, यह और भी अच्छी बात है। अंग्रेजी की समझ होने पर हम कई किताबें और सूचनाएं समझ सकते हैं, जिससे हमारे ज्ञान में वृद्धि ही होती है।कई बार ऐसा देखने को मिलता है, हम में से बहुत से लोग अपने खुद के फील्ड की अच्छी नॉलेज रखने के बावजूद भी, केवल अंग्रेजी में अच्छी पकड़ न होने के कारण, हिचकिचाहट के कारण स्वयं को कमजोर आँकने लगते हैं, और अच्छा प्लेटफार्म नहीं पकड़ पाते, क्योंकि शुरुआती दौर में ही अंग्रेजी के इंटरव्यूज़ का सामना करना पड़ता है, और व्यक्ति कमजोर पड़ जाता है, या आत्मविश्वास खत्म होने लगता है, आजकल तो कई अच्छे स्कूल्स और कॉलेज में हिन्दी के टीचर्स को भी इंटरव्यूज अंग्रेजी में देने पड़ रहें हैं। क्योंकि अंग्रेज़ी अब एक सामान्य बोलचाल का माध्यम बन गई है। हिंदी मीडियम से पढ़े हुए लोग भी अच्छी अंग्रेजी बोल सकते हैं, और अच्छी अंग्रेजी पढ़ा सकते हैं, इसलिए इस डर को दिमाग से निकाल दें, कि हिंदी मीडियम वाले अंग्रेजी नहीं बोल सकते और नहीं लिख सकते।धीरे-धीरे अंग्रेजी में इंटरेस्ट बनाना चालू करें, अच्छे -अच्छे शब्दों को पढ़ना और समझना चालू करें, अंग्रेजी बोलने वालों को, पढ़ाने वालों को समझना शुरू करें। धीरे-धीरे अंग्रेजी के सेंटेंसेज़ को आम जीवन में बोलना शुरू करें, कभी भी टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलने से शरमाएँ नहीं। सब मेहनत करके ही आगे बढ़ते हैं और सीखते हैं।