(दिव्यराष्ट्र के लिए अंजलि दाधीच टोरडी)
जैसा की हम सभी जानते है बच्चो के बोर्ड परिक्षा शुरू,हो रहे है ।इस समय बच्चे बाकी समय की अपेक्षा अधिक तनाव मे रहते है ।क्योकी आजकल के कॉम्पिटिशन भरे माहौल की वजह से माता पिता भी अपने बच्चो पर अधिक दबाव डालते है अच्छे नम्बर लाने के लिए, इस कारण पढने वाले बच्चे भी और अधिक तनाव मे रहते है ।इस तनाव से निपटने के लिए सबसे अच्छा उपाय मेडिटेशन हो सकता है ।हालांकि सेशन की शुरुआत से ही बच्चो को ध्यान का अभ्यास शुरू करवा देना चाहिए। क्योकी किसी भी उदेश्य की प्राप्ति के लिए एकाग्रचित होना बहुत आवश्यक होता है ।ध्यान शरीर के कई होर्मोनस को सही रूप से कार्य करने मे सहायक हो सकता है ,जैसे डोपामाइन मोटिवेशन होर्मोन के रूप मे भी जाना जाता है ।और याददाश्त एवं प्रेरणा जैसी क्रियाओ के लिए जिम्मेदार होता है ।योगासन ओर ध्यान के मिलेजुले अभ्यास से बच्चे शारिरिक व मानसिक स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकते है क्योकी ।जब आप ध्यान की स्थिति मे शांत होकर तनावमुक्त महसूस करते है तब शरीर मे अल्फा तरंगो का उत्पादन बढता है परिणामस्वरूप सतर्कता, बुद्धिमत्ता,बेहतर स्मृति ओर रचनात्मकता की प्राप्ति होती है इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी को चौबीस घण्टो मे कम से कम दो बार ध्यान का अभ्यास जरूर करना चाहिए दो मिनिट से शुरुआत करके धीरे ,धीरे अभ्यास की अवधि को बढाया जा सकता है ।अगर सम्भव हो तो ब्रह्म मुहूर्त मे पहला अभ्यास करे और दूसरा अभ्यास रात को सोने से पहले करे ।एग्जाम हाॅल मे ऐग्जाम देने से पहले भी बच्चे पाच से सात बार डीप इनहेल एक्सेल करे इससे उनके मस्तिष्क मे आक्सीजन लेवल बढेगा और बच्चे अधिक एकाग्रचित होकर अपना पेपर कर पायेगे ।माता,पिता से भी अनुरोध है की वे बच्चो को बहुत कुछ करने को तो कहते है लेकिन पाच मिनिट कुछ भी ना करके केवल शांत बैठने को जरूर कहे अर्थात ध्यान करने के लिए जरूर कहे ।इन्फेक्ट बच्चो के साथ पेरेंट्स को भी कुछ देर बैठकर ध्यान जरूर करना चाहिए। अच्छे नम्बर लाने के लिए बच्चो को प्रेरणा जरूर दे लेकिन किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए उन्हे मानसिक रूप से मजबूत भी बनाए और ध्यान का अभ्यास इसमे बहुत अधिक सहायक हो सकता है इसलिए सभी विद्यार्थीओ को ध्यान का अभ्यास जरूर करना चाहिए।