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पारिवारिक खुशहाली का पर्व करवाचौथ

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(डॉ . सीमा दाधीच )
भारतीय सनातन परंपरा में वैवाहिक जीवन को जन्मजनमांतरण का संबंध माना गया है यानि पति पत्नी (दंपति) को लक्ष्मी विष्णु का स्वरुप माना गया है इस लिए हमारे यहां कोई भी पर्व, त्यौहार हो या व्रत, उत्सव इसमें महिलाओ को ही मुख्य भागीदार एवं रचनाकार माना गया है इसको हम यू भी कह सकतें हैं सनातन परम्परा मे कोई भी कार्य बग़ैर मातृ शक्ति के नहीं हो सकता ।नारियों को अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला यह व्रत करवाचौथ है |करवाचौथ सदा सुहागिन रहने के लिए भगवान से प्रार्थना करने का महापर्व है| इस लिए इस पर्व पर महिलाएं विशेष श्रृंगार कर अपने खुशहाल दापत्तिकजीवन की कामना कर व्रत रख कर रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान् गणेश एवं चौथ माता की पूजा कर उनका आशिर्वाद प्राप्त करती है।यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है| विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति के स्वास्थ्य एवं दीर्घायु के लिए चंद्रमा का पूजन एवं दर्शन कर व्रत पूर्ण करती हैं वहीं कुंवारी कन्याएभी अच्छे वर की कामना के लिए पूजा करती है परंतु ज्यादातर विवाहित महिलाएं ही व्रत रखती हैं।|इस दिन निर्जल तथा निराहार व्रत रखकर रात्रि को जब चंद्रमा उदय होता है|उसके प्रकाश में अपने पति की सूरत को देखकर तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन ग्रहण करती हैं| वस्तुतः करवा चौथ का त्यौहार भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बंधन का प्रतीक है जो पति पत्नी के बीच होता है |भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है| करवाचौथ पति और पत्नी दोनों के लिए नवप्रणय निवेदन और एक दूसरे के प्रति अपार प्रेम, त्याग एवं उत्सर्ग की चेतना लेकर आता है |इस दिन स्त्रियों को पूर्ण सुहागिन का रूप धारण कर वस्त्राभूषणों को पहनकर भगवान चंद्र देव से अखंड सुहाग की प्रार्थना करनी चाहिए| स्त्रियां श्रृंगार करके ईश्वर के समक्ष दिन भर के व्रत के बाद यह प्रण भी लेती है कि वह मन, वचन एवं कर्म से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेगी |इस व्रत के संबंध में ऐसी मान्यता है कि पांडवों के वनवास काल में जब अर्जुन तप करने के लिए इंद्रनील पर्वत की ओर चले गए तो बहुत दिनों तक उनके वापस ना लौटने पर द्रोपदी को चिंता हुई| कृष्ण ने आकर द्रोपदी की चिंता दूर करते हुए करवाचौथ का व्रत करने को कहा |प्रभु श्री कृष्ण के कहने पर द्रोपदी ने विधि विधान से व्रत एवं चंद्र देव का पूजन किया जिससे अर्जुन सकुशल वापस आ गए| तभी से सुहागिन स्त्रियां इस व्रत को करती आ रही है|
करवा चौथ का वास्तविक संदेश दिन भर भूखा रहना ही नहीं अपितु यह है नारी अपने पति की प्रसन्नता के लिए,सलामती के लिए इस हद तक जा सकती है कि पूरा दिन भूखी प्यासी भी रह सकती हैlकरवा चौथ नारी के लिए एक व्रत है और पुरुष के लिए एक शर्त|
शर्त केवल इतनी की जो नारी आपके लिए इतना कष्ट सहती है उसे कष्ट न दिया जाए| दिनभर स्वयं भूखी प्यासी रहकर रात्रि को जब मांगने का अवसर आया तो अपनी पतिदेव के मंगलमय, सुखमय और दीर्घायु जीवन की ही याचना करना यह नारी का त्याग और समर्पण नहीं तो और क्या है |जो नारी आपके लिए समर्पित है उसको और संतप्त न किया जाए| जो नारी प्राणों से बढ़कर आपका सम्मान करती है जीवन भर उसके सम्मान की रक्षा करने का प्रण आप भी लो|उसे उपहार नहीं आपका प्यार चाहिए|

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