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जे.पी यूं ही नहीं बने लोकनायक

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लोकनायक जय प्रकाश नारायण को श्रद्धांजलि स्वरूप

(डॉ. सीमा दाधीच)

देश की आजादी के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे पहले किसी जन नेता ने आवाज उठाई और देश की राजनीति में विभिन्न विचारो के दलों को एक झंड़े के नीचे लाकर सरकार बदलने का काम किया उस जन नेता का नाम जय प्रकाश नारायण है जिसे लोकनायक के रुप में विशिष्ट पहचान मिली।जिनके आह्वान पर वैचारिक मतभेद रखने वाले दल, राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय लोक दल, जनसंघ,सोशलिस्ट पार्टी , स्वतंत्र पार्टी ने अपना अस्तित्व समाप्त कर जनता पार्टी के रूप मे एकजुट होकर हलधर किसान चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़कर तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की सरकार को पदच्युत कर दिया। इस चुनाव मे कांग्रेस के धुरंधर नेताओ को हार का मुंह देखना पड़ा।भारत की आजादी के बाद यदि जन आंदोलन के माध्यम से करोड़ो देश वासियों का दिल जीत कर लोक नायक के रूप मे अपनी पहचान बनाई वह शख्सियत जयप्रकाश नारायण है जिन्हे जे.पी या लोकनायक के नाम से भारत वासियों ने स्नेह और सम्मान दिया । जे.पी का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सीताब दियारा में हुआ यह क्षैत्र आज भी जे.पी की कर्म भूमि के नाम से मशहूर हे। जेपी ने मौलाना अब्दुल कलाम आजाद द्वारा अंग्रेजी शिक्षा त्याग के आह्वान के बाद परीक्षा से महज 20 दिन पहले अपने पटना कॉलेज को छोड़ दिया और राजेंद्र प्रसाद द्वारा स्थापित बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गए, उच्च शिक्षा की ललक और धन की व्यवस्था के लिए उन्हें खेतों, कारखानो और खदानों तक में कार्य करना पड़ा तब उन्होने श्रमिक वर्ग की कठिनाइयों को भली भांति महसूस किया।विदेश से शिक्षा 1929 में पूर्ण कर वे भारत लौटे तब वे कार्ल मार्क्स के कुछ विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे लेकिन वामपंथी दलों से नहीं जुड़े। बाद में महात्मा गांधी के भी सबसे प्रिय लोगो मे से एक रहे। इनके कार्यों की शैली सबसे अलग रही।देश की आजादी के बाद जेपी ने वर्ष 1948 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और देश में कांग्रेस विरोधी अभियान शुरू किया।
वर्ष 1952 में उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) का गठन किया।
वर्ष 1954 में उन्होंने अपना जीवन विनोबा भावे के भूदान यज्ञ आंदोलन को समर्पित किया, इस आंदोलन के तहत उनकी मांग भूमिहीनों को भूमि पुनर्वितरण की थी।
वर्ष 1959 में उन्होंने गाँव, जिला, राज्य और संघ परिषदों (चौखंबा राज) के चार-स्तरीय नामांकन के माध्यम से “भारतीय राजनीति के पुनर्निर्माण” के लिए तर्क प्रस्तुत किया।
संपूर्ण क्रांति मे जे. पी की भूमिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा विलेक्सी क्लाइमेट के अपमान का आरोप पाए जाने के कारण उन्होंने इंदिरा गांधी शासन के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्त्व किया।
उन्होंने वर्ष 1974 में सामाजिक परिवर्तन के एक कार्यक्रम में ‘संपूर्ण क्रांति’ कहा था, यह सार्वजनिक जीवन के खिलाफ़ था।
संपूर्ण क्रांति में राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, सांस्कृतिक, सांस्कृतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक क्रांतियाँ शामिल हैं।
यह उनके जीवन का दूसरा महत्वपूर्ण चरण था। फिर सत्तर के दशक की शुरुआत में तीसरा चरण आया जब आम आदमी बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई की विकृतियों से पीड़ित था। 1974 में गुजरात के छात्रों ने उनसे नव निर्माण आंदोलन के नेतृत्व का आग्रह किया। उसी वर्ष जून में उन्होंने पटना के गांधी मैदान में एक जनसभा से शांतिपूर्ण “सम्पूर्ण क्रांति” का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों से भ्रष्ट राजनीतिक संस्थाओं के खिलाफ खड़े होने का आह्वान किया और एक साल के लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को बंद करने के लिए कहा, क्योंकि वह चाहते थे कि इस समय के दौरान छात्र अपने को राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए समर्पित करें। यह इतिहास का वह समय है जब उन्हें लोकप्रिय रूप से “जे.पी” बुलाया जाने लगा। इस आंदोलन के अंत में आपातकाल की घोषणा हुई और जो बाद में “जनता पार्टी” की जीत में तब्दील हुई तथा मार्च 1977 में केंद्र में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी। जनता पार्टी की छत्रछाया के तहत सभी गैर-कांग्रेसी दलों को एकत्रित करने का श्रेय उनको ही जाता है। हमारे देश के हर स्वतंत्रता प्रेमी व्यक्ति को जे.पी हमेशा याद रहेंगे।
इसका उद्देश्य अटल समाज में बदलाव लाना था जो सर्वोदय (गांधीवादी दर्शन- सभी प्रगति के लिए) के आदर्शों के ढांचे हो।
जय प्रकाश नारायण को “तंत्रतंत्र और गरीबों एवं अन्याय के खिलाफ अमूल्य योगदान” के लिए सम्मानित किया गया । भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित, भारत रत्न (1999) से सम्मानित किया गया।
जे॰ पी॰ के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। लालमुनि चौबे, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान या फिर सुशील मोदी, आज के ज्यादातर नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।
भारतरत्न (1999 में , मरणोपरान्त) जेपी को अनेक सम्मान प्राप्त हुए उनमें राष्ट्रभूषण सम्मान (एफ आई ई फाउण्डेशन),रमन मैगसेसे पुरस्कार (1965 में, लोकसेवा के लिए) प्रमुख है। वर्तमान मे लोकनायक जयप्रकाश नारायण की स्मृति में कुछ प्रमुख संस्थानों के नाम रखे गये हैं इनमे
जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय,
जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा,लोकनायक जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय अपराधशास्त्र एवं विधि-विज्ञान संस्थान नईदिल्ली,लो‍कनायकजयप्रकाश नारायण राष्‍ट्रीय अपराध तथा न्‍याय विज्ञान संस्‍थान,
लोकनायक जयप्रकाशअस्पताल , दिल्लीप्रमुख है।
मैं सोने के पक्ष में हूं और जो कुछ भी पहले हो चुका है उसे भूल जाना चाहता हूं, मैं चुपचाप लेटे रहना चाहता हूं और जो भी मेरे दरवाजे पर दस्तक देगा उसे आने देना चाहता हूं, मैं चाहता हूं कि मेरे जीवन का सूर्य अस्त हो जाए और मैं फिर कभी उदय न होऊं*
जयप्रकाश नारायण ने ये पंक्तियां अपने आजीवन मित्र और पूना के समाजवादी नेता एस.एम. जोशी को सोमवार, 8 अक्टूबर की सुबह अपने निधन से कुछ घंटे पहले सुनाई थीं, जो उनके 78 वें जन्मदिन से तीन दिन पहले था। जे. पी जैसे लोकनायक को भी अवसाद ने घेर लिया था और वो इस संसार से विदा हो गए ऐसे महान लोकनायक मरते हुए भी लोगो के दिलों पर राज कर गए और संदेश दे गए गलत के खिलाफ आवाज उठाने की।

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