जयपुर, दिव्यराष्ट्र/एक ऐसी शख्सियत और व्यक्तित्व डॉ. गरिमा जो कि मेडिकल कॉलेज जयपुर में हार्ट के बेहोशी की डॉक्टर थी। बहुत कम उम्र की थी कल ऑपरेशन थिएटर में एक मरीज की सर्जरी के लिए बेहोश करने आए थे। ऑपरेशन मरीज का चल रहा था तभी थोड़ी देर पश्चात डा .गरिमा को घबराहट हुई तभी अचानक दर्द होने पर सीने में वहा ओटी से बाहर आकर बैठ गई और कर्मभूमि पर मृत्यु को प्राप्त हुई।
महत्वपूर्ण बात यह है कि वे विश्व स्तरीय मेडिकल कॉलेज में हार्ट की विषेज्ञा थी।
उन्होंने अब तक हजारों ओटी के अंदर मरीजों को सीपीआर देकर जान बचाई।
कहा जाता था कि वे रोज 4 से 5 मरीजों को छाती पर दबाव सीपीआर देकर ऑपरेशन से मरीज को मौत के मुंह से छीन लाया करती थी। परन्तु उनके स्वयं के लिए जहां उन्नत तकनीकी विशेषज्ञ डॉ और तुरंत इलाज और ऑपरेशन होने की संभावना थी। परन्तु ऐसा कुछ नही हो पाया क्युकी विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा कितना भी तरक्की कर ले। मृत्यु और जीवन ईश्वर के हाथ है।
भले ही डॉक्टर बोलते रहे की जल्दी ले आते तो बचा लेते। वो तो वहींअस्पताल मे ही थी। इसलिए सब कुछ ईश्वर के हाथ है ।