दिव्यराष्ट्र, मुंबई: एचडीएफसी बैंक की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता ने आगे ब्याज दरों में कटौती के लिए सीमित गुंजाइश की संभावना व्यक्त की है । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की आज आयोजित मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट में बदलाव नहीं किये जाने और तटस्त रुख को देखते हुए साक्षी गुप्ता ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि तटस्त रुख आगे दरों में कटौती के लिए सीमित गुंजाइश दर्शाता है, हालांकि गवर्नर ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य की कार्रवाई आर्थिक वृद्धि (ग्रोथ) के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी-यानी दरों में और कटौती की संभावना पूरी तरह बंद नहीं हुई है।
मुद्रास्फीति के अनुमानों को देखते हुए, अगले 25-50बीपीएस (बेसिस पॉइंट्स) की कटौती के लिए जगह बनी हुई है, लेकिन आरबीआई इस विकल्प का उपयोग तभी करेगा जब आर्थिक वृद्धि को लेकर बड़ा नकारात्मक जोखिम सामने आए—चाहे वह घरेलू गतिविधियों के कमजोर प्रदर्शन के कारण हो या टैरिफ के प्रभाव के कारण। यदि अब और अक्टूबर की नीति बैठक के बीच टैरिफ का नतीजा निर्णायक रूप से नकारात्मक होता है, तब अक्टूबर की नीति में दर कटौती की संभावना बढ़ सकती है। फिलहाल हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 26 में नीति दर 5.5 प्रतिशत पर ही स्थिर रहेगी।
हमारे आधारिक अनुमान में, हम वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी ग्रोथ को 6.3 प्रतिशत मानते हैं, जो आरबीआई के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से कम है। हालांकि, यदि टैरिफ इस समय के उच्च स्तर पर बने रहते हैं और/ अथवा बढ़ाए जाते हैं, तो हमारी ग्रोथ अनुमान में 20-25बीपीएस तक की नकारात्मक जोखिम बन सकती है। एक ओर जहां हम रुपया मूल्य में अपेक्षाकृत कमजोरी, ग्रामीण क्षेत्रों में गतिविधियों में तेजी, और मौद्रिक तथा वित्तीय प्रोत्साहन को ग्रोथ के लिए समर्थन के रूप में देखते हैं, वहीं दूसरी ओर ऊंचे टैरिफ से खासतौर पर निर्यातकों (विशेषकर एमएसएमई), कैपेक्स योजनाओं में देरी और हायरिंग में कमी जैसे कारकों से आर्थिक परिदृश्य पर प्रमुख जोखिम पाए जाते हैं।