नई दिल्ली,, दिव्यराष्ट्र/ जीएसटी मंत्री समूह (जीओएम) ने बीमा उत्पादों को और अधिक किफायती बनाने और भारत के कम बीमा वाले बाजार में पैठ बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव रखा है।
हालांकि, विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि जब तक बीमा कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट बनाए रखने की अनुमति नहीं दी जाती, तब तक इस कदम से प्रीमियम में आनुपातिक कमी नहीं आएगी।
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के सीईओ राकेश जैन ने कहा, “18 प्रतिशत कर का बोझ हटाने से मध्यम वर्गीय परिवारों, वरिष्ठ नागरिकों और समाज के कमजोर वर्गों को सीधा लाभ होगा, जो अक्सर प्रीमियम को वित्तीय बोझ मानते हैं। लागत की बाधा कम होने से अधिक लोग स्वास्थ्य बीमा अपनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे देश का समग्र सामाजिक सुरक्षा ढांचा मजबूत होगा।”
हालांकि यह सुधार एक बड़ा बदलाव ला सकता है, लेकिन उलटे शुल्क ढांचे और अप्रयुक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट जैसी समस्याओं के कारण परिचालन संबंधी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जो लागत बढ़ा सकती हैं। जैन ने कहा, “इन अक्षमताओं को दूर किए बिना, भले ही ग्राहकों को कुछ राहत मिले, बीमा कंपनियों को मार्जिन पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है।”
बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीमा मंत्री समूह के संयोजक सम्राट चौधरी ने कहा कि राज्यों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद जीएसटी परिषद अंतिम निर्णय लेगी। राज्यों ने बीमा को जीएसटी से छूट दिए जाने पर संभावित राजस्व हानि की ओर इशारा किया है।
हालांकि, विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि जब तक बीमा कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट बनाए रखने की अनुमति नहीं दी जाती, तब तक इस कदम से प्रीमियम में आनुपातिक कमी नहीं आएगी।
बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी छूट एक स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि इससे पॉलिसीधारकों पर बोझ कम होता है और बीमा अधिक किफायती हो जाता है। इंडियाफर्स्ट लाइफ के एमडी और सीईओ रुषभ गांधी ने कहा कि यह लाभ तभी मिलेगा जब छूट के साथ बीमा कंपनियों के लिए इनपुट क्रेडिट की उपलब्धता भी होगी।
गांधी ने कहा, “इसके बिना, इनपुट क्रेडिट रिवर्सल से होने वाली अतिरिक्त लागत को बीमा पॉलिसियों के मूल्य निर्धारण में शामिल किया जाएगा, जिससे ग्राहकों को मिलने वाली राहत का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा।”