
2025 टाटा ट्रांस्फॉर्मेशन पुरस्कार तीन भारतीय वैज्ञानिकों का चयन
मुंबई, दिव्यराष्ट्र*:/ न्यूयॉर्क अकैडमी ऑफ साइंसेज़ और टाटा संस ने 2025 टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की है। इस पुरस्कार से तीन असाधारण भारतीय वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया है, जिनके नवोन्मेष खाद्य सुरक्षा, वहनीयता और स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करते हैं। 27 राज्यों के 212 नामांकनों में से चुने गए इन विजेताओं का चयन एक अंतरराष्ट्रीय निर्णायक मंडल ने किया जिसमें प्रमुख विशेषज्ञ शामिल रहे। चुने गए हर वैज्ञानिक को अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए 2 करोड़ रुपये मिलेंगे। पुरस्कार समारोह अगले महीने, दिसंबर में मुंबई में आयोजित किया जाएगा।
एन.चंद्रशेखरन, अध्यक्ष,टाटा संस ने कहा,”इस साल के विजेताओं की वैज्ञानिक उपलब्धियां-जलवायु रोधी फसल का विकास, वहनीय जैव-विनिर्माण और कम दुष्प्रभाव वाले कैंसर का इलाज – कई साल के समर्पण और बलिदान का परिणाम हैं। उनका शोध भारत और समग्र मानवता के लिए महत्वपूर्ण है। टाटा समूह का लंबे समय से मानना रहा है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी व्यापक मानव प्रगति का मार्ग प्रशस्त करते हैं, ऐसे में हमें इस साल के विजेताओं के उत्कृष्ट प्रयासों में सहयोग देने पर गर्व है।”
खाद्य सुरक्षा:नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ से पीएचडी करने वाले, पदुबिद्री वी. शिवप्रसाद ने एपिजेनेटिक इंजीनियरिंग और आरएनए-आधारित मामूली संशोधन कर जलवायु-रोधी चावल विकसित किया है। उनके द्वारा विकसित यह चावल जलवायु संबंधी किसी तरह के बदलाव को झेल सकता और पोषण के मूल्य को बढ़ाता है, उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करता है, और भारत की तेज़ी से बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के लिए व्यापक समाधान प्रदान करता है।
वहनीयता: इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से पीएचडी करने वाले, बालसुब्रमण्यम गोपाल ने एक अत्याधुनिक हरित रसायन मंच तैयार किया है जो इंजीनियर्ड ई. कोलाई और एआई-संचालित एंज़ाइम डिज़ाइन का उपयोग कर फार्मास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधनों और कृषि के लिए महत्वपूर्ण रसायनों का वहनीय उत्पादन करता है। उनके दृष्टिकोण से प्रदूषण होता है, उत्पादन लागत में कमी होती है, और वैश्विक जैव-विनिर्माण (बायोमैन्युफैक्चरिंग) में भारत की स्थिति मज़बूत होती है।
स्वास्थ्य सेवा: इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से पीएचडी करने वाले, अंबरीश घोष, ऐसे चुंबकीय (मैग्नेटिक) नैनोरोबोट विकसित कर रहे हैं जो मानव शरीर में घूमकर सीधे ट्यूमर तक दवा पहुंचा सकते हैं। ये बेहद छोटे, सर्पिल (हेलिकल) उपकरण कैंसर का अपेक्षाकृत अधिक सटीक, कम चीर-फाड़ वाला उपचार कर सकते हैं जिसका दुष्प्रभाव काफी कम होगा। इस तरह कैंसर के सुलभ और बेहतर उपचार की नई उम्मीद जगी है।





