(दिव्यराष्ट्र: के लिए आशीष तिवारी, चीफ़ मार्केटिंग ऑफ़िसर, होम क्रेडिट इंडिया )
नई दिल्ली,, दिव्यराष्ट्र*घर किराए पर लेना है या नहीं, इसका फ़ैसला करना हमेशा ही बहस का एक मुद्दा रहा है। यह मुद्दा तेज़ी-से बढ़ती अर्थव्यवस्था, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव और अचानक होने वाली मुद्रास्फीति के दौरान अधिक दबाव डालता है। इसका ऐसा कोई एक जवाब नहीं है जो सभी सवालों को शांत करे; लेकिन हर विकल्प के फ़ायदे और नुकसान को समझने और उनकी जाँच-पड़ताल से एक जानकारीपरक फ़ैसला करने में मदद मिल सकती है जो संबंधित वित्तीय लक्ष्यों और मनचाही जीवनशैली के साथ एकसार है।
किराए पर लेने के फ़ायदे
लचीलापन:
घर किराए पर लेने से बेजोड़ लचीलापन मिलता है, खास कर उन लोगों के लिए जो नौकरी में बदलाव या व्यक्तिगत परिस्थितियों के कारण अक्सर रीलोकेट होते हैं या एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। यह गतिशीलता संपत्ति जैसी उच्च मूल्य की अचल संपत्ति को बिना किसी समस्या के बनाए रखने के पेशेवराना विकास के लिए अनमोल है। किराए पर लेने के लिए ख़रीदारी की तुलना में काफ़ी कम प्रारंभिक वित्तीय ख़र्च की भी ज़रूरत होती है, जिसमें प्राथमिक ख़र्च आम तौर पर एक रीफ़ंड योग्य सेक्योरिटी डिपॉज़िट होता है। इससे किराएदारों को अपनी बचत को निवेश के दूसरे अवसरों में आवंटित करने की सुविधा मिलती है जिससे उन्हें ज़्यादा रिटर्न भी मिल सकता है।
रख-रखाव और मरम्मत:
किराए पर लेने के बाद अहम और अक्सर नज़र न आने वाले लाभों में से एक यह है कि रख-रखाव और मरम्मत की ज़िम्मेदारी मकान मालिक की होती है। यह व्यवस्था न सिर्फ़ किराएदारों के पैसे बचाती है, बल्कि उन्हें ख़ूब समय भी देती है, जिससे वे जीवन की दूसरी प्राथमिकताओं पर ध्यान दे सकते हैं।
जोखिम कम करना:
संपत्ति के मालिकाना अधिकार से जुड़े आने वाले वित्तीय जोखिमों के सामने किराए पर लेने की प्रक्रिया से एक बफ़र तैयार होता है। रियल एस्टेट मार्केट का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है और संपत्ति के मालिक होने से संपत्ति के मूल्यों में उतार-चढ़ाव का ख़तरा बना रहता है। दूसरी ओर, किसी की वित्तीय स्थिरता को बनाए रखते हुए किराए पर लेने की प्रक्रिया लोगों को ऐसे जोखिमों से बचाती है।
घर ख़रीदने के फ़ायदे
बिल्डिंग इक्विटी: घर ख़रीदने से लोग समय के साथ इक्विटी तैयार कर सकते हैं। गिरवी रखने के बाद किए जाने वाले हर भुगतान के साथ, संपत्ति में मालिक की हिस्सेदारी बढ़ती है, जिससे पर्याप्त संपत्ति बनती है। लंबी अवधि में, यह इक्विटी किसी की संपत्ति में अहम योगदान देने वाली बन सकती है।
वृद्धि की क्षमता*: रियल एस्टेट में, विशेष रूप से मनचाहे स्थानों पर, अक्सर समय के साथ काफ़ी वृद्धि होने की क्षमता होती है। संपत्ति के मूल्य में इस वृद्धि से काफ़ी वित्तीय लाभ हो सकता है, जिससे यह संभावित रूप से आकर्षक निवेश बन सकता है।
स्थिरता और सुरक्षा*: किसी घर का मालिक होना स्थिरता और सुरक्षा की भावना पैदा करता है। इससे किराए पर लेने की प्रक्रिया से जुड़े क़रारों और समझौतों की अनिश्चितताएँ ख़त्म होती हैं, जैसे किराए में अप्रत्याशित वृद्धि या समय से पहले बेदख़ली का जोखिम। स्थिरता की यह भावना परिवारों और सेवानिवृत्त लोगों के लिए विशेष रूप से फ़ायदेमंद हो सकती है।
टैक्स का लाभ*: किसी घर का मालिक होने पर हमें अक्सर सरकारों की ओर से दिए जाने वाले टैक्स लाभ मिलते हैं, जिसमें होम लोन के ब्याज और मूल रीपेमेंट पर कटौती शामिल है। ऐसे लाभ घर ख़रीदने के फ़ैसले को आर्थिक रूप से और ज़्यादा आकर्षक बना सकते हैं।
वित्तीय नियोजन पर विचार
घर किराए पर लेने या ख़रीदने के बीच फ़ैसला करते समय, किसी के वित्तीय स्वास्थ्य का अच्छी तरह से आकलन करना काफ़ी अहम होता है। इसमें डाउन पेमेंट, ईएमआई, रख-रखाव, संपत्ति टैक्स और बीमा सहित मालिकाना हक हासिल करने की कुल लागत पर विचार करना शामिल है – इसकी तुलना में इसी समान अवधि में किराए पर लेने की लागत और किराए में संभावित वृद्धि भी मायने रखती है।
वैकल्पिक निवेश के अवसरों का मूल्यांकन करना भी ज़रूरी है, क्योंकि डाउन पेमेंट के लिए फ़ंड को म्यूचुअल फ़ंड, स्टॉक या फ़िक्स्ड डिपॉज़िट में निवेश किया जा सकता है जिससे बेहतर रिटर्न मिल सकता है। यह फ़ैसला लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों के साथ मेल खाने वाला होना चाहिए; संपत्ति के मूल्यों में वृद्धि करने वाले बाज़ार में एक घर ख़रीदना धन संचय के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है, जबकि किराए पर लेना अधिक तरलता और लचीलापन देता है। साथ ही, बाज़ार की स्थितियाँ भी एक अहम भू…
[4:49 pm, 19/12/2024] Umendra Dadhich: सुप्रिया लाइफसाइंस लि. ने महाराष्ट्र के लोटे परशुराम में अत्याधुनिक सुविधाओं वाले मॉड्यूल ई प्रोडक्शन ब्लॉक का उद्घाटन किया*
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