Home हेल्थ शहर के सीके बिरला हॉस्पिटल में डॉक्टर्स ने किया बेहद जटिल एंडोवैस्कुलर...

शहर के सीके बिरला हॉस्पिटल में डॉक्टर्स ने किया बेहद जटिल एंडोवैस्कुलर ट्रीटमेंट

188 views
0
Google search engine

जयपुर: अत्याधिक मोटापे, अनियंत्रित डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहीं 65 वर्षीय सरिता देवी (परिवर्तित नाम) को अचानक सीने में तेज दर्द के साथ खांसी में खून भी आने लगा था। उन्हें तुरंत सीके बिरला हॉस्पिटल की इमरजेंसी में लाया गया जहां पता लगा कि यह हार्ट अटैक नहीं, बल्कि एओर्टिक रपचर (महाधमनी के फटने) की समस्या है। ऐसे में हॉस्पिटल की कार्डियक साइंस टीम ने एंडोवैस्कुलर ट्रीटमेंट की मदद से बिना सर्जरी के उनकी फटी हुई महाधमनी को ठीक कर दिया। इस बेहद जटिल केस को हॉस्पिटल के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमित गुप्ता ने किया।

थोड़ी देर से हो सकता था मरीज को जान को खतरा – डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि हार्ट के बायें चैम्बर से शरीर को जाने वाली महाधमनी को एओर्टा कहते हैं। इस महाधमनी में कोलेस्ट्रॉल जमने पर कई बार अल्सर जैसा घाव बन जाता है। अगर यह अल्सर गहरा बन जाता है तो महाधमनी फट सकती है। यह स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है कि मिनटों में अत्यधिक रक्त स्राव से मरीज़ की मृत्यु हो जाती है।

बाएं फेफड़े ने रोक रखा था महाधमनी का पूरी तरह फटना – इस केस में खास बात था थी कि मरीज की महाधमनी पूरी तरह से नहीं फटी थी क्योंकि धमनी के पूरे फटने को बायें फेंफड़े ने रोक रखा था। बायें फेंफड़े में रक्तस्राव होने से खांसी में खून आ रहा था। सामान्यतः ऐसी समस्या के साथ आने वाले मरीज़ों को ओपन हार्ट सर्जरी से ठीक करने की कोशिश की जाती थी, जिसमे मृत्यु दर 50 प्रतिशत से भी ज्यादा होती थी। मरीज को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्या भी थी। ऐसे में सीके बिरला हॉस्पिटल के कार्डियक साइंस टीम के डॉ. अमित गुप्ता, डॉ. संजीब रॉय, डॉ. आलोक माथुर, डॉ. हरीश खन्ना एवं डॉ. कुलदीप चितौड़ा की टीम ने बिना ऑपरेशन पैर की जांघ की नस के माध्यम से अत्याधुनिक ग्राफ्ट लगाकर एओर्टा महाधमनी के फटने वाली जगह को सफलतापूर्वक ठीक किया और मरीज की जान बचा ली। प्रोसीजर के 2-3 दिन बाद ही मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

बेहद जटिल था प्रोसीजर – डॉ. अमित गुप्ता ने बताया कि एओर्टा महाधमनी की बीमारियाँ काफी गंभीर होती हैं। इनमें इलाज करना जटिल है, देरी होने पर मरीज की जान का बहुत खतरा होता है। ऑपरेशन द्वारा इलाज करने पर बड़ी ओपन सर्जरी होती है जिसमें खतरा और बढ़ जाता है।अब अत्याधुनिक एंडोवैस्क्यूलर ग्राफ़्ट्स को पैर की बड़ी नस के माध्यम से लगाकर एऑर्टिक रपचर का इलाज संभव है और प्रोसीजर के बाद मरीज की जल्दी रिकवरी होती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here