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सीके बिरला हॉस्पिटल में डॉक्टर्स ने अत्याधिक जटिल केस होने के बावजूद महिला को दिलाया मातृत्व का सुख

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जयपुर: गर्भनाल से जुड़ी एक गंभीर स्थिति से जूझ रही एक 32 वर्षीय महिला को जान के जोखिम से बचाते हुए डॉक्टर्स ने मातृत्व का सुख दिलाया। शहर के सीके बिरला हॉस्पिटल के गायनोकोलॉजी विभाग में हुए एक बेहद जटिल केस में गर्भवती महिला की गर्भनाल बच्चेदानी से आर-पार होने से उनकी जान को खतरा था। लेकिन हॉस्पिटल के डायरेक्टर ऑब्सट्रेटिक्स एंड गायनोकोलॉजी, डॉ. सीपी दाधीच और उनकी टीम ने जटिल सर्जरी कर महिला की न सिर्फ जान बचाई, बल्कि उन्हें मातृत्व का सुख भी दिलाया।

पेशाब की थैली से भी जुड़ गई गर्भनाल – डॉ. सीपी दाधीच ने बताया कि कई बार प्लेसेंटा (गर्भनाल) नीचे की ओर आ जाता है और बच्चेदानी के आर-पार हो जाता है। इस स्थिति को प्लासेंटा परक्रीटा कहते हैं। इस केस में गर्भनाल के आर-पार निकलकर पेशाब की थैली (ब्लैडर) से भी जुड़ गया। ऐसे में यह बहुत हाई रिस्क प्रेग्नेंसी हो गई। इसके उपचार में सर्जरी से ही बच्चे की डिलीवरी करके प्लेसेंटा निकालने की कोशिश नहीं की जाती क्योंकि इसे अलग होने पर अत्यधिक रक्तस्राव होने के कारण महिला की ऑपरेशन टेबल पर ही मृत्यु हो सकती थी। रक्तस्राव से बचाने के लिए हमें प्लेसेंटा को अलग न करके बच्चेदानी को निकालना पड़ा। साथ ही ब्लैडर का भी कुछ हिस्सा निकालना पड़ा और उसे रिपेयर किया गया।

इस स्थिति में गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर 40 प्रतिशत से ज्यादा – गर्भवती महिलाओं में प्लासेंटा परक्रीटा होने पर इसकी मृत्यु दर 40 प्रतिशत से ज्यादा होती है। महिला की पहले भी दो सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी थी। ऐसे में सर्जरी में और भी जोखिम थे। 2 घंटे चली इस सर्जरी के बाद सफलतापूर्वक मां और बच्चे, दोनों को बचा लिया गया। करीब 6 दिन तक हॉस्पिटल में पोस्ट ऑपरेटिव केयर के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

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