सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव से बच्चे हो रहे चिड़चिड़े और एकाकीपन के शिकार

67 views
0
Google search engine

माता-पिता एवं परिवारजन को बच्चों के सामने मोबाइल का कम से कम उपयोग करना चाहिए

(राम नरेश शर्मा दिव्यराष्ट्र के लिए दयापुरा चाकसू ,जयपुर)

4G के बाद 5G नेटवर्क के देश और दुनिया में छा जाने के बाद सोशल मीडिया में तथा मोबाइल में क्रांति का यह दौर चरम पर चल रहा है। ऐसे में बच्चों के द्वारा मोबाइल के माध्यम से सोशल मीडिया का अधिकाधिक उपयोग करना उनके लिए घातक सिद्ध हो सकता है जिसके कारण बच्चे चिड़चिड़ापन एवं एकाकीपन के शिकार हो रहे हैं ऐसे में बच्चों के द्वारा मोबाइल का अधिक उपयोग उनकी आंखों को ही नहीं उनके मानसिक विचारों का भी शोषण करता है। प्राय देखा जा रहा है कि बच्चे मोबाइल व इंटरनेट का उपयोग कर सोशल मीडिया में लगातार कंटेंट देखते रहते है। जिसके कारण वह वीडियो में होने वाली एक्टिविटी को देखकर स्वयं भी ऐसी ही प्रतिक्रियाएं करते हैं। जिससे उनमें मानसिक विकार उत्पन्न होने लगे हैं। यहां तक कि छोटा बच्चा कुछ देर के लिए रोने लग जाए तो उसके पेरेंट्स के द्वारा उसको मोबाइल पकड़ा दिया जाता है जिससे वह लगातार वीडियो देखता रहता है या गेम खेलता रहता है। लगातार 10 से 15 सेकंड जिस कंटेंट को बच्चा देखता है उसी प्रकार के कंटेंट लगातार सोशल मीडिया पर आते रहते हैं तथा बच्चा उसे लगातार देखते रहता है और उसी तरह की प्रतिक्रियाएं करता रहता है। ऐसे में माता-पिता का कार्य तो आसानी से हो जाता है लेकिन बच्चा लगातार वीडियो देखने के कारण या तो नींद आकर सो जाता है या फिर चिड़चिड़ा हो जाता है जिससे कि वह भूख प्यास का अंदाजा नहीं लगा पता है और बिना कुछ खाए ही सो जाता है जिसके कारण बीमार होने की श्रेणी में आता है ऐसे में बच्चों को मोबाइल देना एवं सोशल मीडिया पर लगातार बच्चों द्वारा वीडियो देखना चिड़चिड़ा एवं एकाकीपन का कारण बन रहा है। वीडियो देखने के कारण बच्चे अपने स्कूल का होमवर्क भी टाइम से नहीं कर पाते हैं जिससे कि उन्हें स्कूल में भी क्लास टीचर एवं विषय अध्यापक के द्वारा डांट पड़ती है इस कारण बच्चा पढ़ाई में भी धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है। ऐसे में लगातार इंटरनेट का अधिक उपयोग करना बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहा है। वही सोशल मीडिया पर अनचाहे कंटेंट लगातार आते रहते हैं जिसका बच्चों के मन पर बुरा असर पड़ता है।
अब बात आती है कि बच्चों को इस आधुनिक युग में चल रहे सोशल मीडिया के इस युद्ध में फंसने से कैसे रोका जाए। तो इसके लिए बच्चों को पुराने आउटडोर खेलों क्रिकेट, फुटबाल, बालीबाल, बास्केटबाल आदि के बारे में सीखाना होगा तथा आउटडोर खेलों की ओर कदम बढ़ाना होगा एवं उनके साथ आउटडोर खेल में पेरेंट्स को भी कुछ समय बिताना होगा जिससे कि बच्चों का रुझान खेलों की ओर बढ सके एवं उनका शारीरिक विकास संभव हो सके। हालांकि कुछ इंन्डोर गेम्स भी खेले जा सकते हैं जिसमें कैरम बोर्ड, सांप सीढ़ी आदि कई खेल शामिल है। शारीरिक रूप से खेल खेलने के बाद बच्चों में जो थकान का अनुभव होता है उसके बाद नींद अच्छी आती है और नींद अच्छी आने के बाद उसका मस्तिष्क सही रूप से कार्य करने लग जाता है ऐसे में वह पढ़ाई की ओर आकर्षित भी होगा। तथा समय से अपना आहार लेगा जिससे कि बच्चे का अवरुद्ध विकास हो सकेगा। सोशल मीडिया के दुष्परिणामों को रोकने के लिए एवं बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए माता-पिता एवं परिवारजन को बच्चों के सामने मोबाइल का कम से कम उपयोग करना चाहिए जिससे बच्चों को मोबाइल की याद नहीं आवे और यदि बच्चा मोबाइल लेने के लिए जिद भी करता है तो उसको कोई बहाना बनाकर मोबाइल नहीं देना ही उचित होगा, जैसे कि मोबाइल में इंटरनेट उपलब्ध नहीं है मोबाइल चार्ज नहीं है कुछ समय बाद बैटरी बंद हो जाएगी इस तरह के बहाने लेकर हम बच्चों को मोबाइल का उपयोग करने से रोक सकते हैं। वही सोशल मीडिया के दुष्परिणामों से बचने के लिए बच्चों को रोचक कहानियां भी समय-समय पर सुनाते रहना चाहिए तथा बच्चों को चित्रकला एवं क्रिएटिव एक्टिविटीज सिखानी चाहिए जिससे कि बच्चों में क्रिएटिव माइंड डेवलप हो सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here