इंडस्ट्री कोलैबोरेशन से स्टूडेंट्स को मिलेगा प्रैक्टिकल लर्निंग का लाभ अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव, सीनियर कंसल्टेंट, टीसीएस
लखनऊ, दिव्यराष्ट्र/ चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी की बिज़नेस और कॉमर्स फैकल्टी ने 2030 में शिक्षा के द्वारा भारत में होने वाले परिवर्तन व देश को सात ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लक्ष्य को लेकर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया जिसमें इंडस्ट्री लीडर्स, शिक्षाविद समेत एक्सपर्ट पैनलिस्ट ने भाग लिया। इस दौरन दो सत्रों में शिक्षा में बदलाव और इकॉनॉमी का फ्यूचर व सात ट्रिलियन डॉलर इकॉनॉमी का रोडमैप जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। इस अवसर पर भारत में एआई का प्रभाव आने वाले वर्षों में कैसे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा इस पर भी मंथन किया गया। वक्ताओं ने बताया की आने वाले पाँच वर्षों में एआई आधारित नौकरियों में 40 प्रतिशत तक वृद्धि होने की संभावना है। दरअसल इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में एआई इंडस्ट्री का आकार वर्ष 2025 के अंत तक 28.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच सकता है। वहीं, सर्विसनाउ और पियर्सन की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2028 तक एआई से भारत में 28 लाख नई नौकरियाँ उत्पन्न होने की उम्मीद है। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किए गए यूपी एआई सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत अगले पाँच वर्षों में 50,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। जो भारत में एआई के उज्जवल भविष्य को दर्शाता है।
स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत एआई स्किल पेनिट्रेशन में पूरे विश्व में पहले स्थान पर है और 2016 से अब तक इस क्षेत्र में 263 प्रतिशत की वृद्धि भी दर्ज की गई है। इसके अतिरिक्त, भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम भी बन चुका है, जहाँ 1.57 लाख स्टार्टअप्स के माध्यम से अब तक 16 लाख से अधिक नौकरियाँ उत्पन्न हुई हैं। यह सभी आँकड़े दर्शाते हैं कि भारत एआई स्किल्स, इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति बनकर उभर रहा है।
स्पीकर्स ने फाइनेंस और कॉमर्स सेक्टर में एआई की भूमिका पर बोलते हुए कहा की, कैसे एआई की मदद से डेटा एनालिसिस, कस्टमर केयर, धोखाधड़ी की पहचान और निवेश सलाह जैसे कार्य पहले से कहीं अधिक तेज़, सटीक और सुरक्षित हो गए हैं। एआई आधारित चैटबॉट्स और ऑटोमेटेड टूल्स न केवल ग्राहक अनुभव को बेहतर बना रहे हैं, बल्कि जोखिम प्रबंधन और क्रेडिट स्कोरिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को भी अधिक प्रभावी बना रहे हैं। इससे बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ और भी पारदर्शी और कुशल हो रही हैं।
स्पीकर्स ने बताया की डिजिटल युग में साइबर फ्रॉड एक गंभीर चुनौती बन चुका है और इस दिशा में एआई एक प्रभावी हथियार साबित हो रहा है। एआई आधारित सिस्टम संदिग्ध लेन देन को रियल टाइम में पहचान सकते हैं। इस प्रकार, एआई तकनीक न केवल आर्थिक और शैक्षणिक विकास में बल्कि साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभा रही है। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि लखनऊ यूनिवर्सिटी की प्रो वाइस चांसलर प्रो. मनुका खन्ना व विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व वाइस चांसलर, बीबीआरएयू, लखनऊ प्रो. नील मणि वर्मा, व अम्बरीश श्रीवास्तव सीनियर कंसल्टेंट, टीसीएस, लखनऊ मौजूद रहे।
इस दौरान एक्सपर्ट्स ने इस बात पर भी जोर दिया की यदि शिक्षा को इनोवेशन, इंडस्ट्री की आवश्यकताओं और डिजिटल इंडिया की सोच के अनुरूप ढाला जाए, तो न केवल युवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकता है, बल्कि भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर एवं समृद्ध राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है। चर्चा में इस बात पर भी बल दिया गया कि शिक्षा नीतियों में दीर्घकालिक सोच और समावेशी दृष्टिकोण अनिवार्य है, ताकि हर वर्ग को आर्थिक विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।
चर्चा के प्रथम सत्र में शिक्षा में बदलाव और इकॉनॉमी का फ्यूचर विषय पर विस्तृत चर्चा की गई। इस सत्र का संचालन प्रो. अलका सिंह, फैकल्टी ऑफ बिज़नेस एंड कॉमर्स, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी द्वारा किया गया। इस दौरान भारत की नई शिक्षा नीति, तकनीक आधारित शिक्षा प्रणाली, इंडस्ट्री और शिक्षा के आपसी संबंध तथा शिक्षा के ज़रिए आर्थिक विकास की संभावनाओं पर अपने विचार मंथन किया गया।