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अपोलो ने कैंसर देखभाल में उठाया महत्वाकांक्षी कदम

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‘लिविंग ड्रग’ उपचार दुर्दम्य बी-सेल लिंफोमा, बी-सेल लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया मरीज़ों को नई आशा प्रदान करता है

नवी मुंबई, दिव्यराष्ट्र*/ अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई (एएचएनएम) ने भारत में विकसित की गयी सीएआर टी-सेल थेरेपी से दो मरीज़ों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। यह एक अभूतपूर्व इम्यूनोथेरेपी है जो मरीज़ की अपनी आनुवंशिक रूप से संशोधित प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उपयोग करके कैंसर को टारगेटऔर नष्ट करती है।

अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने 85 अस्थिमज्जा प्रत्यारोपण (बीएमटी) प्रक्रियाओं में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है, जिनकी दीर्घकालिक सफलता दर 70% से अधिक है, और वयस्क और बाल रोगियों, दोनों का सफलतापूर्वक इलाज किया है, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय मामलें भी शामिल हैं। यह विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित बीएमटी केंद्रों की सफलता दर के अनुरूप है। अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई के कंसल्टेंट, हेमेटोलॉजी, हेमेटो ऑन्कोलॉजी और प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर बीएमटी और सीएआर टी-सेल थेरेपी – डॉ. पुनीत जैन के नेतृत्व में हाल ही में सीएआर टी-सेल प्रक्रियाएं उच्च गुणवत्ता वाली, जीवन रक्षक प्रत्यारोपण सेवाएं प्रदान करने के लिए अस्पताल की प्रतिबद्धता को उजागर करती हैं।

ओडिशा की 49 वर्षीय श्रीमती शर्मा, बी-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया इस जिद्दी रक्त कैंसर से जूझ रही थीं। उनकी प्रतिरक्षा कोशिकाओं (जिन्हें टी-कोशिकाएं कहा जाता है) को इम्यूनोएक्ट लैब में निकालकर फिर से इंजीनियर किया गया ताकि वे अपने कैंसर को बेहतर ढंग से पहचानकर और उस पर हमला करने के लिए अपनी सतह पर संशोधित कनेक्टरों को एक्सप्रेस करें जिन्हें काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स (सीएआर) कहा जाता है। श्रीमती शर्मा ने कहा, “थेरेपी बहुत कठिन थी, लेकिन अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई की टीम की विशेषज्ञता और सहयोग ने मुझे इससे उबरने में मदद की। अब मैं अपने भविष्य को लेकर आशावादी हूँ।”

दूसरे मरीज़, मुंबई के 57 वर्षीय श्री दास को फॉलिक्युलर लिंफोमा हुआ था। यह एक प्रकार का रक्त कैंसर है जो कीमोथेरेपी और रेडिएशन सहित कई इलाजों के बाद फिर से आया था। उनकी प्रतिरक्षा कोशिकाओं (जिन्हें टी-कोशिकाएँ कहा जाता है) को एकत्रित करके संशोधित किया गया और जून 2025 में उन्हें सीएआर टी-कोशिका थेरेपी दी गई। उन्हें बुखार हुआ, लेकिन दवाओं से उनकी स्थिति ठीक हो गई और कुछ हफ़्तों बाद उन्हें घर भेज दिया गया। श्री शिवदास ने कहा, “कई उपचारों और असफलताओं के बाद, इस नई थेरेपी ने मुझे फिर से जीवन की आशा प्रदान की है। हालाँकि यह बस शुरूआत है, लेकिन डॉक्टरों का समर्थन मुझे प्रेरित करता है और मुझे विश्वास है कि मैं जल्द ही ठीक हो जाऊँगा।”

डॉ. पुनीत जैन, कंसल्टेंट, हेमेटोलॉजी, हेमेटो ऑन्कोलॉजी और प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर बीएमटी और सीएआर टी-सेल थेरेपी, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा,”पारंपरिक इलाज के बाद फिर से बीमार पड़े हुए रक्त कैंसर के मरीज़ों के लिए सीएआर टी-सेल थेरेपी नयी संभावनाएं लेकर आयी है। आक्रामक या उपचार-प्रतिरोधी कैंसर के मरीज़ों को यह थेरेपी पूर्ण इलाज की आशा प्रदान करती है। हम चुनौतीपूर्ण उच्च-जोखिम वाले अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक कर रहे हैं और सीएआर टी-सेल प्रक्रियाओं से गुजरने वाले अपने मरीज़ों को उन्नत, प्रमाण-आधारित उपचार प्रदान करने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं।”

अपोलो हॉस्पिटल्स के पश्चिमी क्षेत्र के रीजनल सीईओ, श्री अरुणेश पुनेथा ने कहा, “अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में सीएआर-टी सेल मामलों में मिल रही सफलता आज भारत में उन्नत कैंसर देखभाल प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता का एक उदाहरण हैं। अपोलो समूह के कई अन्य अस्पतालों में भी सीएआर टी-सेल प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक किया जा रहा है। मरीज़ों को उच्चतम मानक की देखभाल प्रदान करने की हमारी क्षमता इसमें दर्शायी जाती है। इन प्रक्रियाओं के लिए न केवल कुशल क्लिनिशियन्स और प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, साथ ही संक्रमण नियंत्रण के सख्त प्रोटोकॉल के साथ एक समर्पित इकाई की भी आवश्यकता होती है। विशेष देखभाल चाहने वाले, दुनिया भर के मरीज़ों के लिए आज अपोलो हॉस्पिटल्स, नवी मुंबई आशा की किरण बन चूका है।”

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