Home हेल्थ एंटीबॉडी ड्रग कॉन्जुगेट्स – कैंसर उपचार में एक क्रांतिकारी कदम

एंटीबॉडी ड्रग कॉन्जुगेट्स – कैंसर उपचार में एक क्रांतिकारी कदम

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विश्व कैंसर दिवस विशेष

जयपुर। दिव्यराष्ट्र/ प्रदूषण और गलत जीवन शैली के चलते जहां कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी ओर एडवांस स्टेज के कैंसर में भी रोगी को बेहतरीन परिणाम देने वाली चिकित्सा तकनीक विकसित हो रही है। इसी दिशा में कैंसर उपचार में एंटीबॉडी ड्रग कॉन्जुगेट्स (एडीसी) एक नवीन चिकित्सा पद्धति है, जो कैंसर कोशिकाओं को सटीक रूप से लक्षित करके उन्हें नष्ट करने में मदद करती है। भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ असीम कुमार सामर ने बताया कि यह एक विशेष प्रकार की बायोलॉजिकल थेरेपी है, जो कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ अलग तरीके से काम करके उन्हें नष्ट कर रही है।

डॉ असीम ने बताया कि यह थेरेपी पारंपरिक कीमोथेरेपी की तुलना में अधिक प्रभावी और सुरक्षित है। इसमें तीन प्रमुख घटक होते जिसमें मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, साइटोटॉक्सिक ड्रग और लिंकर होता है। उदाहरण के लिए ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ब्रेंटक्सिमैब वेडोटिन है। यह घटक एक शक्तिशाली एंटी-कैंसर एजेंट है, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते है। डॉ असीम ने बताया कि यह एक यह केवल कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जिससे स्वस्थ कोशिकाओं पर दुष्प्रभाव कम होते हैं। इससे थेरेपी के साइड इफेक्ट्स भी कम होते है। जिसमें कीमोथेरेपी की तुलना में बाल झड़ने, कमजोरी और मतली जैसी समस्याएँ कम होती हैं।

इन कैंसर के उपचार में अधिक प्रभावी
डॉ असीम ने बताया कि एंटीबॉडी ड्रग कॉन्जुगेट्स स्तन कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, मूत्राषय कैंसर, लिंफोमा के उपचार में कई अधिक प्रभावी साबित हो रही है। इन कैंसर के स्टेज फॉर्थ के रोगियों के उपचार में भी कई बेहतरीन परिणाम सामने आ रहे है। इस थेरेपी को ट्यूमर एंटीजन के आधार पर तैयार करके दिया जाता है। ऐसे में इसे व्यक्तिगत थेरेपी बनाने के कारण यह थेरेपी अधिक प्रभावी है।
इन लक्षणों को पहचानें
रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ नरेश झाखोटिया ने बताया कैंसर के लक्षणों की पहचान ना होने के कारण अधिकांश लोग आज भी बीमारी की बढी हुई अवस्था में डॉक्टर के पास पहुंचते है। मुँह या गले में न भरने वाला छाला, कुछ निगलने में दिक्कत होना या आवाज में परिवर्तन, शरीर के किसी भी भाग में गांठ, स्तन में गांठ या आकार में परिवर्तन, लंबे समय तक खांसी या कफ में खून, मलद्वार या मूत्रद्वार में खून आना, मासिक धर्म के अलावा या रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्त्राव, शौच की आदत में परिवर्तन। यह सभी लक्षण कैंसर के शुरुआती लक्षणों में शामिल है। इन्हें नजर अंदाज करें बगैर चिकित्सक को समय पर दिखाकर लक्षणों के कारण की पहचान करना जरूरी है।
15.7 लाख कैंसर रोगी होने की संभावना
इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर)-नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ इंफोर्मेटिक्स एंड रिसर्च (एनसीडीआईआर) की ओर से जारी नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट में देशभर में कैंसर के आंकडों में वृद्वि बताई गई। रिपोर्ट में सामने आया कि 2020 में कैंसर के 13.9 लाख मामले सामने थे। ऐसे में 2025 के अंत तक इन मामलों में 15.7 लाख तक होने की संभावना है। ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 के अनुसार इंडिया में नए मामलों में से 32 प्रतिशत केस ब्रेस्ट कैंसर, ओरल और सर्वाइकल कैंसर के हैं। महिलाओं में कैंसर के मामले पुरुषों की तुलना में 7,22,138 अधिक हैं, जिनमें से 6,91,178 पुरुष प्रभावित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2040 तक कैंसर के मामलों की संख्या 29.9 मिलियन होने की संभावना है।

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