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भारत में ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में चिंताजनक वृद्धि :- जागरुकता की कमी के कारण बढ रही हैं चिंता

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इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन द्वारा “ब्रेन स्ट्रोक – टाइम टू एक्ट” जागरूकता अभियान की शुरूआत

भारत में हर साल 18 लाख से ज्यादा स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं

आईएसए ने जीवन बचाने के लिए त्वरित कदम उठाने का आह्वान किया।

 

जयपुर, दिव्यराष्ट्र/– भारत में ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, मुख्य कारण यह है कि लोग इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाते। देश में हर 20 सेकंड में एक स्ट्रोक का मामला आता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन (आईएसए ) ने पूरे भारत में “ब्रेन स्ट्रोक – टाइम टू एक्ट” जागरूकता अभियान शुरू किया है। यह अभियान का मुख्य उद्देश लोगों में जागरुकता बढाना हैं| क्योंकी 4,5घंटे के भीतर मतलब “गोल्डन विंडो” में इलाज करना जरुरी है, जिससे मरीजों के बचने और ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

जयपुर में जागरूकता फैलाने के लिए आईएसए ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ( एपीआई , जयपुर चैप्टर) और सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन इंडिया (सेमी) के साथ साझेदारी की। इस कार्यक्रम में पब्लिक एजुकेशन सेशन्स, वर्कशॉप और कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन ( सीएमई) जैसे आयोजन शामिल थे। इसका उद्देश्य डॉक्टरों और इमरजेंसी रिस्पॉन्डर्स को स्ट्रोक के मामलों में तेज और सही कार्रवाई करने की जानकारी देना है। इसी तरह के कार्यक्रम देशभर के अन्य शहरों में भी आयोजित किए जाएंगे।

सही जागरूकता और समय पर इलाज से 80% स्ट्रोक मामलों को रोका जा सकता है। लक्षण पहचानने के लिए आईएसए “बी फास्ट” मेथड को बढ़ावा दे रहा है। इस अवसर पर जयपुर के एस एम एस अस्पताल में न्यूरो विभाग की अधीक्षक डॉ भावना शर्मा ने कहा लकवा रोग का समय पर रहते इलाज नहीं किया गया तो यह गंभीर समस्या बन सकती है इस रोग का मुख्य कारण मानसिक तनाव है। कोए भी व्यक्ति अपनी जीवन प्रक्रिया को सुधारकर लकवा के संभावित खतरे से बच सकता है। इस संकट

के प्रारंभिक लक्षण बी – बैलेंस लॉस (संतुलन खोना),
ई– आई विजन चेंजेस (दृष्टि में बदलाव),एफ – फेस ड्रॉपिंग (चेहरे का टेढ़ा होना)ए – आर्म वीकनेस (हाथ-पैर में कमजोरी),एस – स्पीच डिफिकल्टी (बोलने में कठिनाई), हो सकते है जिन्हें हम सावधानी रखकर हल कर सकते हैं।टी–तुरंत मदद के लिए कॉल करें)

 

आईएसए की अध्यक्ष डॉ. पी. विजया ने कहां की स्ट्रोक की बिमारी किसी को भी हो सकती है| दो प्रकार के स्ट्रोक होते हैं, जिसमें सबसे आम रक्त के थक्के (ब्लड क्लॉट) के कारण होता है। इसका इलाज “4 थ्रोम्बोलाइसिस” नाम की एक खास इंजेक्शन थेरेपी से किया जा सकता है, जो थक्का घोल देती है। लेकिन भारत में केवल १०० में से १ मरीज को ही समय पर यह इलाज मिल पाता है। जागरुकता की कमी के कारण मरीज समय पर इलाज के लिए नहीं डॉक्टर के पास नहीं आता हैं| इस कारण बिमारी का खतरा बढता हैं।

उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य है स्थानीय डॉक्टरों और इमरजेंसी स्टाफ को प्रशिक्षित करना, ताकि वे लक्षण पहचानकर पहले घंटे में ही इलाज शुरू कर सकें। उन्होंने दोहराया कि “टाइम इज़ ब्रेन” – जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, उतने अच्छे नतीजे मिलेंगे। खासकर पहले 4.5 घंटे में हर मिनट कीमती है।

आईएसए के सचिव डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा,* “स्ट्रोक अचानक होता हैं और हर मिनट की देरी स्थायी नुकसान या मौत का कारण बन सकती है। यह सिर्फ मेडिकल जानकारी फैलाने का कार्यक्रम नहीं है, यह जीवन बचाने का प्रयास है। समय रहते निदान और इलाज करने से जान बच सकती है।”

आईएसए के कोषाध्यक्ष डॉ. त्रिलोचन श्रीवास्तव ने कहां कि,* हाई ब्लड प्रेशर ब्रेन स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है, लेकिन अधिकांश लोग इसके बारे में नहीं जानते। इसी कारण आईएसए ने “चेक बीपी – स्टॉप स्ट्रोक” अभियान शुरू किया है। भारत में हर 4में से 1 वयस्क को हाई बीपी की समस्या होती है, लेकिन केवल आधे लोग इसके बारे में जानते हैं और बहुत कम लोग इसे नियंत्रित रखते हैं। अगर आपका बीपी 140/90या उससे ज्यादा है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर इलाज शुरु करना काफी जरूरी है। स्ट्रोक का खतरा कम करने के लिए नियमित बीपी की जांच करना जरुरी हैं।

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