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लिवर ट्यूमर से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं

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दिव्यराष्ट्र, नई दिल्ली: डॉ सुदीप खन्ना, सीनियर कंसलटेंट- गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ने बताया लिवर ट्यूमर का मतलब है कि लिवर में कोशिकाओं की असामान्य बढ़ोतरी हो रही है। ये ट्यूमर सौम्य  या घातक  हो सकते हैं। सौम्य ट्यूमर जैसे हेमेंजियोमा या हेपेटिक एडेनोमा आमतौर पर शरीर में नहीं फैलते और कई बार लक्षण नहीं देते। लेकिन घातक ट्यूमर, जैसे हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा, गंभीर होते हैं और इलाज जरूरी होता है। कई बार लिवर में ऐसा ट्यूमर भी बन सकता है जो शरीर के किसी और हिस्से से कैंसर फैलने के कारण आता है इसे मेटास्टेटिक ट्यूमर कहते हैं। लक्षणों में पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में दर्द या सूजन, वजन घटना, थकान, पीलिया और पेट में गांठ शामिल हो सकते हैं। कई बार ट्यूमर की पहचान एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड जैसे जांच में गलती से हो जाती है। इसका पता लगाने के लिए खून की जांच, सीटी/एमआरआई स्कैन और कभी-कभी बायोप्सी की जाती है। समय रहते पहचान से इलाज का असर बेहतर होता है।

लिवर ट्यूमर के आज के समय में मुख्य कारण क्या हैं?: आजकल लिवर ट्यूमर के मामलों में बढ़ोतरी का कारण जीवनशैली और कुछ संक्रमण हैं। हेपेटाइटिस बी और सी जैसे वायरस इसके प्रमुख कारण हैं, खासकर विकासशील देशों में। वहीं, विकसित देशों में मोटापा, डायबिटीज और फैटी लिवर डिजीज के बढ़ते मामले चिंता का कारण हैं। ज्यादा शराब पीना भी लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है और लंबे समय में ट्यूमर बना सकता है। कुछ दवाइयों का लंबे समय तक सेवन, अफ्लाटॉक्सिन (जो खराब अनाज या नट्स में होता है), और कुछ आनुवंशिक रोग (जैसे हीमोक्रोमैटोसिस) भी वजह हो सकते हैं। खराब खानपान, बैठने की आदतें, और लिवर की समय पर जांच न होना भी खतरा बढ़ाते हैं। ये सभी कारण लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे वहां ट्यूमर बनने की संभावना बढ़ जाती है।

क्या लिवर ट्यूमर के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है?: हां, दुनियाभर में लिवर ट्यूमर खासकर हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा के मामलों में बीते 20 सालों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। भारत और एशिया के अन्य हिस्सों में इसका बड़ा कारण हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण है। जबकि अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में एनएएफएलडी और मोटापा प्रमुख कारण हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हर साल 3-5 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब लिवर कैंसर मौतों के मुख्य कारणों में से एक बन गया है। बेहतर जांच तकनीकों से अब यह बीमारी पहले से जल्दी और अधिक लोगों में पकड़ी जा रही है। चिंता की बात यह है कि अब युवाओं में भी इसके मामले सामने आने लगे हैं, जो खराब लाइफस्टाइल का असर है।

किन लोगों में यह बीमारी ज्यादा होती है और क्यों?: अक्सर यह बीमारी 40 से 60 साल के पुरुषों में ज्यादा पाई जाती है। पुरुषों में यह बीमारी महिलाओं के मुकाबले लगभग दोगुनी होती है, क्योंकि उनमें शराब पीने, हेपेटाइटिस संक्रमण और मोटापा/डायबिटीज जैसी समस्याएं ज्यादा होती हैं। एशिया और अफ्रीका में कई बार कम उम्र के युवाओं को भी यह बीमारी हो जाती है क्योंकि उन्हें बचपन से हेपेटाइटिस का संक्रमण हो जाता है। जिन लोगों को पहले से लिवर से जुड़ी समस्याएं हैं जैसे सिरोसिस, फैटी लिवर या पुराना हेपेटाइटिस उनमें खतरा ज्यादा होता है। साथ ही जिन इलाकों में वैक्सीनेशन, जांच और इलाज की सुविधा कम है, वहां के लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं। मोटापा और डायबिटीज अब युवाओं में भी लिवर ट्यूमर का खतरा बढ़ा रहे हैं।

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