दिव्यराष्ट्र, मुंबई: दुनिया में हेल्थकेयर की अग्रणी कंपनी एबॅट ने भारत में चक्कर को चेक कर कैम्पेन लॉन्च किया है। यह कैम्पेन संतुलन की अक्सर नजर अंदाज की जाने वाली एक समस्या ‘वर्टिगो’ पर रोशनी डालता है। इस समस्या से भारत में करीब 70 मिलियन लोग प्रभावित हैं। वर्टिगो में लोगों को ऐसा अनुभव हो सकता है कि उनके आस-पास की दुनिया घूम रही है। इस कैम्पेन के माध्यम से एबॅट अपनी सेहत पर काबू रखने और इस समस्या को बेहतर तरीके से संभालने में लोगों की मदद करना चाहता है। वर्टिगो की गुमराह करने वाली सच्चाई से दुनिया को रूबरू कराने के लिये एबॅट ने एक डिजिटल फिल्म के माध्यम से यह कैम्पेन शुरू किया है। इसमें बॉलीवुड एक्टर और यूनिसेफ इंडिया के एम्बेसेडर आयुष्मान खुराना नजर आ रहे हैं। इसमें दिखाया गया है कि वर्टिगो में अचानक आने वाले चक्कर कैसे जीवन का संतुलन बिगाड़ सकते हैं। इस परेशानी का अनुभव करने वाल ेलोगों से इसके सम्बंध में कुछ कदम उठाने आग्रह भी किया गया है।
एबॅट इंडिया के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. जेजॉय करण कुमार ने कहा लगभग 70 मिलियन भारतीय वर्टिगो का अनुभव करते हैं। संतुलन की यह समस्या लोगों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है, लेकिन इसे संभाला जा सकता है। एबॅट वर्टिगो से पीड़ित लोगोंकी जिन्दगी को आसान बनाना चाहता है। इसके लिये जागरूकता पैदा करने और मरीजों को सही जानकारियों एवं टूल्स से सशक्त करने की आवश्यकता है। इससे उन्हें इस स्थिति के संकेतों को समझने में मदद मिलेगी और वे सही समय पर चिकित्सकीय सलाह एवंसहयोग लेकर एक अच्छा जीवन जी सकते हैं।’’
वर्टिगो काखुद सामना कर चुके आयुष्मान खुराना ने अपना निजी अनुभव बताते हुए कहा वर्टिगो से निपटना एक चुनौती रहा, लेकिन मुझे मजबूती के साथ वापसी करने की ताकत भी पता चली। मुझे इस समस्या का पता 2016 में चला था और मेरा अचानक होने वाला हर मूवमेंट मेरे इर्द-गिर्द दुनिया को घुमा देता था। फिल्मों के व्यस्त शेड्यूल्स के बीच चक्कर आने का डर लगातार बना रहता था। हालांकि सही दवाएं लेने और मेडिटेशन करने से मेरी समस्या पूरी तरह संभल गई। ऐसा करना मुश्किल लग सकता है, लेकिन यह याद रखना चाहिये कि इस लड़ाई को आप जीत सकते हैं। उम्मीद है कि मेरी कहानी दूसरों को भी मदद लेने और नये आत्मविश्वास के साथ जीनेके लिये प्रेरित करेगी।’’
यह अनुभव आम है। करोड़ों लोग इस परेशानी को चुपचाप झेल रहे हैं और इसे सामान्य चक्कर समझ रहे हैं। सही समय पर सही पहचान होना और उपचार करने और जीवनशैली में बदलाव लाने सेइस स्थिति को संभाला जा सकता है और अपनी सेहत पर काबू पाया जा सकता है। इस कैम्पेन का एक अभिन्न हिस्सा है वह सर्वे, जो एबॅट ने आईक्यूवीआईए के साथ मिलकर किया है। इस सर्वे के नतीजे यह समझने में मददगार हैं कि भारत में वर्टिगो के मरीजों की हकीकतें क्या हैं।
यह सर्वे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु और कोलकाता में किया गया था और इसमें 1250 लोगों से जानकारियाँ ली गईं। इन लोगों में वर्टिगो के मरीज, उनकी देखभाल करने वाले लोग और वे लोग थे, जिनके परिजनों को चक्कर आते हैं, लेकिन उनमें वर्टिगो की समस्या का पता नहीं चला है।