
3 प्रतिशत दिव्यांग होने पर सेना सेवा कोर प्रशिक्षण केंद्र से निकाला
अहमदाबाद, दिव्यराष्ट्र*। बीते वर्ष गुजरात का 20 वर्ष का एक युवा अग्निवीर में भर्ती होता है। प्रशिक्षण के दौरान पिफनिशिंग लाइन को पार करने से पहले ही वह गिर जाता है और उसके पैर में फेक्चर हो जाता है। बंगलुरु के कमांड हॉस्पीटल में उपचार के बाद 8 सप्ताह की छुट्टी पर भेज दिया जाता है, इसी बीच उसे ड्यूटी से 45 दिन से अधिक अनुपस्थित का नोटिस मिलता है और जब अग्निवीर के सेना सेवा कोर प्रशिक्षण केंद्र पहुंचता है तो उसे मेडिकल बोर्ड के दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर अयोग्य बताकर निकाल दिया जाता है।
उत्तर गुजरात के पाटण जिले की सिद्धपुर तहसील के वनासणा गांव के वाघुजी ठाकोर 26 अक्टूबर 2024 को अग्निवीर में चयनित हुए तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन प्रशिक्षण के दौरान दौडते हुए जब वो पिफनिशिंग लाइन के करीब पैर मुडने से गिर गये तो फ्रेक्चर के कारण उन्हें कमांड हॉस्पीटल एयर फोर्स बंगलुरु में भर्ती होना पडा। तीन दिन उपचार के बाद मेडिकल बोर्ड ने उनहें 8 सप्ताह की छुट्टी पर भेज दिया और जब वापस लौटे तो उनके पैर तले की जमीन खिसक गई। 2 टीआरजी बीएन, एएससी केंद्र के कमान अधिकारी ने उन्हें मेडिकल अनफिट बताते हुए बोर्ड आउट कर दिया। उनका कहना है कि मेडिकल बोर्ड ने उनहें 3 प्रतिशत दिव्यांग माना है ऐसे में ना उन्हें दिव्यांग का कोई लाभ प्राप्त हो सकता है और ना ही उन्हें सेना की किसी विंग में नौकरी मिल सकती है। केंद्र व राज्य सरकार तथा स्थानीय प्रशासन से उन्होंने मदद के लिए पत्र लिखा लेकिन कहीं से कोई जवाब तक नहीं मिलता। उनकी मांग है कि उनकी शारीरिक क्षमता के अनुसार सरकारी अथवा अर्ध सरकारी संस्था में काम मिलना चाहिए अन्यथा उनका जीवन तो 21 वर्ष की उम्र में ही समापत हो गया।
सैन्य अधिकारी का बयान*
सेना के एक अधिकारी से जब इस बारे में पुछा गया तो उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के बिना अग्निवीर के लाभ संभव ही नहीं है। सैन्य व अर्ध सैन्य बलों में मेडिकल बोर्ड का फैसला अंतिम होता है उसके बाद किसी तरह के सवाल व जवाब की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है





