
दिव्यराष्ट्र के लिए विमलेश शर्मा
अर्थ आड़े नहीं आया स्नेह में आर्थिक रूप से सम्पन्न और वह भी ब्राह्मण , लेकिन रति मात्र भी धन कुबेर होने का घमंड और गर्व गुमान नहीं हो। ऐसे व्यक्ति बिरले ही होते है। उनमें एक नाम श्रद्धेय बनवारी लाल सोती का है। उदारमना चूरू के मूल निवासी और कोलकाता प्रवासी सोती में एक नहीं अनेक विशेषताएं हैं जिन्हें मैंने देखा और महसूस किया। लॉजिस्टिक किंग आदरणीय सोती को उनके व्यवसाय से अधिक एक बड़े भामाशाह और दानदाता के रूप में जाना जाता है। समाज सेवा के सैकड़ों प्रकल्प साक्षी है जिसमें श्री सोती जी ने मुक्त हस्त से सहयोग किया है। चूरू, कोलकाता, पथमेड़ा सहित अनेक ऐसे स्थल है जहां निर्जीव पत्थर के शिलालेख इस बात की गवाही देते नजर आते है कि सोती जी ने धार्मिक एवं सामाजिक सरोकारों में खुले मन से खर्च किया। जो भी उनके दर पर आया किसी को निराश नहीं लौटाया। अपनी आय में से एक निश्चित धनराशि समाज सेवा को समर्पित करने का उनका संकल्प ही उन्हें विराट बनाता है। उन्होंने पालक मां स्व.केसरदेवी के नाम से ही अनेकों प्रोजेक्ट समाज को समर्पित किए है।
आठ दशक से अधिक की जीवन यात्रा पूरी कर चुके ऐसे आदर्श पुरुष है जो व्यवसाय में एक अनूठा इतिहास रचे हुए है। ट्रांसपोर्ट का उनका व्यवसाय सांझे का है, लेकिन 50 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही साझेदारी में चार चार पार्टनर होने के बावजूद मतभेद की नौबत नहीं आई। सभी एक संयुक्त परिवार की तरह अपने व्यापार व्यवसाय को बुलंदियों पर लेते जा रहे है। मेरे जैसे अहंकारी प्रवृति वाले जीव पर भी ऐसा आशीर्वाद है कि जब चिंतन करता हूं तो उनका सानिध्य पाकर कृतज्ञ भाव से अपने आपको धन्य समझता हूं। ऐसे अभिभावक सबको मिले। उनके जन्म दिवस पर एक कमी हम सबको खल रही है। वह आदरणीय चाचीजी स्व. सत्यभामा जी की, जिनका कुछ माह पूर्व ही गोलोकगमन हो गया। धर्मपरायण स्व. सत्यभामा जी के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। पुण्य कार्यों में सहधर्मिणी होने के नाते उनका योगदान भी अद्वितीय रहा। चाचाजी दीर्घायु हो और कीर्ति पुरुष के रूप में आपकी ख्याति एक प्रकाश पुंज की चहूं और फैले। यहीं मंगलकामना।





