
दिव्यराष्ट्र, मुंबई: गोल्ड लोन के क्षेत्र में काम करने वाली एवं जमा स्वीकार नहीं करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) इंडेल मनी लिमिटेड ने 1 हजार रुपये के अंकित मूल्य वाले सिक्योर्ड एनसीडी के अपने छठे पब्लिक इश्यू की घोषणा की. यह इश्यू 13 अक्टूबर 2025 को खुलेगा और 28 अक्टूबर 2025 को बंद होगा. इसमें ओवरसब्सक्रिप्शन की स्थिति में जल्दी बंद करने का विकल्प भी है.
इंडेल मनी के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी उमेश मोहनन ने कहा, ‘‘हम बाजार से धन जुटाने के बारे में बहुत आशावादी हैं, क्योंकि निवेशकों ने हमारे पिछले पब्लिक इश्यूज में गहरी रुचि दिखाई है. उन्हें हमारे व्यवसाय के मॉडल, विकास की संभावनाओं, लाभ कमाने की क्षमता और कंपनी संचालन की संस्कृति पर मजबूत भरोसा है. हम अपनी मुख्य ताकतों का लाभ उठाकर और देश भर में अपनी उपस्थिति का विस्तार करके गोल्ड लोन के क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. जैसे-जैसे हम अपनी शाखाओं के नेटवर्क के माध्यम से अपने ऋण पोर्टफोलियो को बढ़ा रहे हैं, वैसे-वैसे लाभ कमाने की क्षमता बढ़ाने पर हमारा ध्यान बरकरार रहेगा. हमें ग्रामीण और अर्ध-शहरी बाजारों में काफी अवसर दिख रहे हैं. हमारा लक्ष्य इन बाजारों में व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों को विश्वसनीय, पारदर्शी और परेशानी मुक्त वित्तीय समाधान प्रदान करना है.’’
सिक्योर्ड एनसीडी का अंकित मूल्य 1 हजार रुपये है. इश्यू में 150 करोड़ रुपये तक का बेस इश्यू साइज शामिल है, जिसमें 150 करोड़ रुपये तक के ओवरसब्सक्रिप्शन का विकल्प है, जो कुल मिलाकर 300 करोड़ रुपये तक हो सकता है. इश्यू के प्रमुख प्रबंधक इन्क्रेड कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड, ट्रस्ट इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड हैं. साथ ही लीड ब्रोकर्स, ट्रस्ट और मोतीलाल ओसवाल हैं.
इस इश्यू से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल आगे कर्ज देने, वित्तपोषण प्रदान करने और कंपनी के बकायों के मूलधन एवं ब्याज के भुगतान/पूर्व-भुगतान के लिए किया जाएगा. इसमें कम से कम 75 प्रतिशत रकम का इस्तेमाल किया जाएगा. वहीं सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए अधिकतम 25 प्रतिशत तक रकम का इस्तेमाल होगा.
*शुद्ध प्राप्तियों का इस्तेमाल पहले ऊपर बताए गए काम में किया जाएगा. शेष रकम का इस्तेमाल सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए करने का प्रस्ताव है, जो सेबी के एनसीएस नियमों के तहत कुल प्राप्तियों के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा.