
नए रिसर्च में पता चला है कि 10 में से 9 वेटेरिनरी डॉक्टर मानते हैं कि भारतीय पालतू जानवरों को सही पोषण नहीं मिल रहा है।
नई दिल्ली, दिव्यराष्ट्र*/ — भारत में पालतू जानवरों के प्रति बढ़ते प्रेम और भावनात्मक जुड़ाव के बावजूद, उन्हें अब भी इंसानों का खाना दिया जाता है – वही घर का खाना और कई बार वही थाली, जिसमें वे आवश्यक पोषक तत्व नहीं होते जो पालतू जानवरों के लिए जरूरी हैं। इस समस्या को समझते हुए, पालतू जानवरों की देखभाल से जुड़ी दुनिया की एक अग्रणी कंपनी मार्स इनकॉर्पोरेटेड ने पेडिग्री और व्हिस्कस ब्रांड के लिए ‘फीड देम लाइक कैट्स एंड डॉग्स’ नाम से एक कैंपेन शुरू किया है। इसका उद्देश्य कुत्तों और बिल्लियों की विशेष पोषण आवश्यकताओं के बारे में लोगों को जागरूक करना है। इस कैंपेन का संदेश सरल और सभी के लिए समझने योग्य है: पालतू जानवर परिवार का हिस्सा होते हैं, लेकिन उनकी पोषण संबंधी जरूरतें जैविक रूप से इंसानों से अलग होती हैं।
पेडिग्री ब्रँड फिल्म में दिखाया गया है कि एक पालतू जानवर के मालिक को यह एहसास होता है कि कुत्ते खाने के मामले में अपनी प्राकृतिक आदतों के अनुसार प्रतिक्रिया देते हैं। व्हिस्कस ब्रँड फिल्म में एक शांत और भावनात्मक क्षण को दिखाया गया है, जिसमें पालतू जानवर के मालिक को यह अहसास होता है कि हम बिल्लियों को भले ही परिवार का हिस्सा मानते हों, लेकिन उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताएं बिल्कुल अलग और खास होती हैं। इस कैंपेन को बीबीडीओ इंडिया और बीबीडीओ ग्युरेरो ने मिलकर तैयार किया है।
यह कैंपेन भारत के पशु चिकित्सकों (वेटनरी डॉक्टरों) के बीच किए गए एक हालिया सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें यह जानने की कोशिश की गई कि पालतू जानवरों को क्या खिलाया जा रहा है और इसका उनके स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ रहा है। सर्वेक्षण में पाया गया कि, जो पालतू जानवर घर का बना खाना खाते हैं, उनमें पोषण की कमी आम तौर पर देखी गई है। ज़्यादातर वेट डॉक्टर संपूर्ण और संतुलित पैकेज्ड पेट फूड को एक सुरक्षित और विश्वसनीय विकल्प मानते हैं। कई डॉक्टरों ने यह भी बताया कि जब मालिक अपने पालतू जानवरों को पैकेज्ड फूड देना शुरू करते हैं, तो उनकी पाचन क्षमता, ऊर्जा स्तर और फर (बालों) की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलता है।
डॉ. उमेश कल्लाहल्ली, सीनियर वेटरनरी और स्मॉल अनिमल कंसल्टेंट, बेंगलुरु ने कहा, “हम हर दिन ऐसे पालतू जानवरों का इलाज करते हैं, जो प्यार की कमी के कारण नहीं, बल्कि पोषण की सही जानकारी न होने के कारण बीमार होते है। आज के पालतू जानवरों के मालिक पहले से कहीं ज्यादा सतर्क, जुड़ाव रखने वाले और प्यार करने वाले होते हैं। लेकिन घर का बना खाना, चाहे जितना भी पौष्टिक क्यों न लगे, तब तक पालतू जानवरों की असली ज़रूरतें पूरी नहीं कर सकता, जब तक वह किसी योग्य वेटरनरी न्यूट्रिशनिस्ट द्वारा विशेष रूप से न बनाया गया हो। हम रोज़ जानवरों में थकान, कमजोर इम्युनिटी, बेजान बाल और पाचन की समस्याएं देखते हैं। ये संकेत लापरवाही के नहीं, बल्कि जानकारी की कमी के कारण किए गए प्यार के हैं। इसी वजह से मार्स जैसी कंपनियों द्वारा पालतू जानवरों के सही पोषण को लेकर चलाए जा रहे ऐसे कैंपेन भारत जैसे देश के लिए बहुत ज़रूरी हैं।”
सलिल मूर्ति, मैनेजिंग डायरेक्टर, मार्स पेटकेयर इंडिया ने कहा “भारत में पालतू जानवरों के प्रति जुड़ाव को लेकर लोगों का नजरिया अब तेजी से बदल रहा है। आज पालतू जानवर सिर्फ जानवर नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा और साथी बन गए हैं। लेकिन यही भावनात्मक जुड़ाव कई बार पोषण जैसी ज़रूरी बातों को नज़रअंदाज़ कर देता है। भारत में पालतू जानवरों के मालिक अक्सर भावनाओं के आधार पर खाना चुनते हैं, न कि वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर। हमारा यह कैंपेन पालतू जानवरों के मालिकों को भावनात्मक प्यार और पोषण आधारित सही जानकारी दोनों को समझने ने में मदद कर रहा है, ताकि ‘भावनाओं से खाना देने’ की जगह ‘समझदारी से खाना देने’ की सोच विकसित हो। एक अग्रणी ब्रँड के रूप में हम मानते हैं कि मालिकों को यह समझाना हमारी ज़िम्मेदारी है कि सही खाना खिलाना असल में क्या होता है, और पोषण से जुड़ी आम गलतफहमियों को दूर करना भी जरूरी है।”