– सोनिया शाह, हेल्थ कोच-न्यूट्रिशन सलाहकार, फॉर्च्यून फूड्स, AWL एग्री बिजनेस लिमिटेड
मुंबई,, दिव्यराष्ट्र/ क्या खाना खाने के बाद आप थकान महसूस करते हैं या ऊर्जा के स्तर में बार-बार उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं? इसका कारण आपका ब्लड शुगर रिस्पॉन्स हो सकता है। जहां रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज के स्तर में तेजी से उछाल और गिरावट लाते हैं, वहीं पोषण-केंद्रित दृष्टिकोण इसे संतुलित रखने में मदद कर सकता है। प्रोटीन, फाइबर, हेल्दी फैट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का सही संयोजन ग्लूकोज रिलीज को स्थिर करता है, भूख को नियंत्रित करता है और लंबे समय तक मेटाबॉलिक हेल्थ को सपोर्ट करता है। आइए जान लेते है सोनिया शाह, हेल्थ कोच-न्यूट्रिशन सलाहकार, फॉर्च्यून फूड्स, AWL एग्री बिजनेस लिमिटेड से अपने ब्लड शुगर को स्मार्ट न्यूट्रिशन से संतुलित कैसे करे करें।
सबसे पहले, क्वालिटी प्रोटीन को प्राथमिकता दें। प्रोटीन धीरे-धीरे पचता है, इंसुलिन रिस्पॉन्स को कम करता है और मांसपेशियों की मरम्मत व हार्मोन संतुलन के लिए जरूरी अमीनो एसिड प्रदान करता है। हर मुख्य भोजन में 20-30 ग्राम प्रोटीन शामिल करने का लक्ष्य रखें, जैसे कि अंडे, ग्रीक दही, पनीर, दाल, बीन्स, टोफू, सोया चंक्स, मछली और लीन पोल्ट्री। दालचीनी या मेथी जैसे मसाले डालने से ग्लूकोज-कम करने वाला अतिरिक्त लाभ मिल सकता है।
अपनी थाली का आधा हिस्सा फाइबर से भरपूर सब्जियों से भरें। चना दाल, ओट्स और सेब जैसे खाद्य पदार्थों में मौजूद सॉल्यूबल फाइबर आंत में एक जेल बनाता है जो ग्लूकोज अवशोषण को धीमा करता है, जबकि सब्जियों और साबुत अनाज की रोटी से मिलने वाला इनसॉल्यूबल फाइबर तृप्ति और आंत की गतिशीलता को बेहतर बनाता है। महिलाओं को प्रतिदिन कम से कम 25 ग्राम और पुरुषों को लगभग 38 ग्राम फाइबर लेना चाहिए।
हेल्दी फैट्स को शामिल करें – ताकि ब्लड शुगर और बेहतर ढंग से नियंत्रित हो। अनसैचुरेटेड फैट्स, खासकर मोनोअनसैचुरेटेड (MUFA) और ओमेगा-3 पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स (PUFA), गैस्ट्रिक खाली होने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं और खाने के बाद शुगर स्पाइक्स को कम करते हैं। सरसों, मूंगफली, राइस-ब्रान या विशेष रूप से तैयार किए गए तेल जैसे फॉर्च्यून एक्सपर्ट प्रो शुगर कॉन्शियस ऑयल और फॉर्च्यून राइस ब्रान हेल्थ ऑयल जैसे MUFA स्रोत शामिल करें। अलसी, अखरोट और फैटी मछली से ओमेगा-3 लें। इन फैट्स को भोजन में मिलाने से लिपिड सपोर्ट संतुलित रहता है।
स्मार्ट कार्बोहाइड्रेट चुनें – ताकि ग्लाइसेमिक लोड कम हो। पॉलिश्ड सफेद चावल या मैदा की बजाय कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले स्टेपल्स जैसे बासमती चावल, मिलेट, क्विनोआ और दालें चुनें। कार्ब्स की मात्रा को सीमित रखें प्रति भोजन लगभग आधा कप पके हुए अनाज और इन्हें हमेशा प्रोटीन और फाइबर के साथ मिलाकर खाएं ताकि इनका प्रभाव संतुलित रहे।
हाइड्रेशन और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी महत्वपूर्ण हैं – दिन भर सादा या इन्फ्यूज्ड पानी पिएं और गर्म दोपहर में इलेक्ट्रोलाइट्स के लिए नारियल पानी ले सकते हैं। साबुत अनाज, नट्स और हरी पत्तेदार सब्जियों से क्रोमियम और मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा लें, जो इंसुलिन संवेदनशीलता को सपोर्ट करते हैं। ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म के लिए विटामिन डी जरूरी है, जिसे सुबह की धूप या फोर्टिफाइड डेयरी प्रोडक्ट्स से प्राप्त किया जा सकता है।
इन सिद्धांतों को लागू करने के लिए, संतुलित भोजन जैसे सोया एंड एग स्क्रैम्बल रैप (पूरी रोटी के साथ, ~28 ग्राम प्रोटीन, 7 ग्राम फाइबर), चना दाल के बैटर और हरी मिर्च से बने चना दाल सैवरी पैनकेक्स, या बासमती चावल, सोया चंक्स, दाल और मिक्स्ड सीड्स के साथ MUFA-रिच फॉर्च्यून तेल की ड्रिजलिंग वाला प्रोटीन-पैक्ड राइस बाउल ट्राई करें।
आम गलतियों से बचें – जैसे भोजन छोड़ना, सिर्फ कार्ब्स वाले स्नैक्स खाना, शक्करयुक्त पेय पीना या बार-बार डीप-फ्राइड चीजें खाना। सही रास्ते पर रहने के लिए, हर थाली को प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट्स के इर्द-गिर्द बनाएं; साबुत, न्यूनतम प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का उपयोग करें; हाइड्रेटेड रहें और जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स शामिल करें; और कार्ब्स को दिन भर में समान रूप से बांटते हुए उनकी मात्रा पर नजर रखें। संतुलित स्नैक्स जैसे मुट्ठी भर नट्स के साथ फल, मसालेदार छाछ या हर्बल टी चुनें, और कभी-कभार तले हुए खाद्य पदार्थों को कच्चे सलाद के साथ खाएं ताकि उनका ग्लाइसेमिक प्रभाव कम हो।