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डोल का बाढ़ जंगल – जयपुर की अंतिम हरित सांस पर संकट

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जयपुर के डोल का बाढ़ जंगल में चल रहे निर्माण कार्य के खिलाफ रविवार को 300 से अधिक नागरिकों ने एक दिवसीय प्रतीकात्मक सत्याग्रह में भाग लिया। इस शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में छात्र, पर्यावरणविद्, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक संगठनों और जागरूक नागरिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

डोल का बाढ़ वन क्षेत्र 2400 से अधिक पेड़ों, अनेक पक्षी प्रजातियों और विविध जैवविविधता का घर है। यह क्षेत्र जयपुर का अंतिम “ग्रीन लंग” (हरित फेफड़ा) माना जाता है, जो शहर की वायु गुणवत्ता और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सरकार की ओर से संवाद के अभाव और निर्माण कार्य जारी रहने के विरोध में यह सत्याग्रह आयोजित किया गया। प्रदर्शन के दौरान आठ लोगों ने अनशन की शुरुआत की, और प्रधानमंत्री को संबोधित 150 से अधिक हस्तलिखित पोस्टकार्ड भेजे गए।

प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की कि सोमवार से क्रमिक भूख हड़ताल की शुरुआत की जाएगी, जिससे आंदोलन को और अधिक गति मिलेगी।

एक छात्र आयोजक ने कहा, “हम केवल पेड़ों के लिए नहीं, बल्कि जयपुर की आत्मा के लिए खड़े हैं। डोल का बाढ़ का विनाश विकास नहीं, विनाश है।”

यह विरोध स्पष्ट संदेश देता है—जयपुर के नागरिक अपने पर्यावरण के विनाश को चुपचाप सहन नहीं करेंगे।

 

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