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भारत में स्ट्रक्चरल हृदय रोग में जागरूकता लाने की जरुरत

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अपोलो ने स्ट्रक्चरल हृदय रोग के इलाज में नवाचारों का सफलतापूर्वक उपयोग किया

नवी मुंबई, दिव्यराष्ट्र/: अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ( एएचएनएम) ने हर साल 22 फरवरी को मनाए जाने वाले, हृदय वाल्व रोग जागरूकता दिवस के अवसर पर, अपने स्ट्रक्चरल हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की अध्यक्षता में एक अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया था। लोगों को हृदय वाल्व की बीमारी के बढ़ते मामलों और उपलब्ध विभिन्न इलाज विकल्पों के बारे में जानकारी देकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से अस्पताल ने यह कदम उठाया। स्ट्रक्चरल हृदय रोग एक ऐसी बीमारी है जो हृदय के वाल्व और उसके चेम्बर्स को प्रभावित करती है। हर साल इसके मामले बढ़ रहे हैं। इसके कारण जन्मजात हो सकते हैं, या बाद में पैदा हो सकते हैं।

एट्रियल सेप्टल दोष (एएसडी) और वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष ( वींएसडी) जन्मजात हृदय रोग ( सीएचडी) के उदाहरण हैं और इनका इलाज पेडिएट्रिक इंटरवेंशनल कार्डिओलॉजिस्ट्स द्वारा किया जाता है। इस रोग के बाद में पैदा होने वाले कुछ आम कारण आमवाती हृदय रोग (आरएचडी), उम्र बढ़ना, कैल्शियम का जमाव या आनुवंशिक हो सकते हैं। स्ट्रक्चरल हृदय रोग के लक्षण कई हो सकते हैं, इनमें ज़्यादातर सांस की तकलीफ, सीने में दर्द, चक्कर आना, घबराहट, टखनों, पैरों या पेट में सूजन आदि शामिल हैं। बहुत से लोग शुरूआती चेतावनी के संकेतों को अनदेखा कर देते हैं, इसलिए जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण है। रोग का समय पर पता लगने से आगे की बड़ी जटिलताओं को रोका जा सकता है।

हृदय वाल्व रोग जागरूकता दिवस के उपलक्ष्य में, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने अपने असाधारण कार्डियक विशेषज्ञों के साथ मिलकर जीवन बचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मज़बूत किया। यह सभी कार्डियक विशेषज्ञ कार्डियक वाल्व और रिदम मैनेजमेंट उपकरणों, पेसमेकर और वेंट्रिकुलर सहायक उपकरणों जैसे उन्नत संरचनात्मक हृदय उपकरणों का उपयोग करने में प्रशिक्षित हैं। इन सभी कार्डियक विशेषज्ञों ने हृदय रोग का जल्द से जल्द निदान कर पाने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच के महत्व पर ज़ोर दिया।

डॉ. राहुल गुप्ता – सीनियर कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, स्ट्रक्चरल हार्ट डिजीज एंड रिदम डिसऑर्डर स्पेशलिस्ट, वाल्व एक्सपर्ट – टीएवीआई, टीएमवीआर अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा,”उन्नत न्यूनतम इनवेसिव उपचारों के साथ मरीज़ों को स्वस्थ जीवन का एक और मौका देने में हम सक्षम हैं। हमारी एक मरीज़, 73 वर्षीय महिला काफी कमज़ोर हो चुकी थी, उनमें कई जटिलताएं थी, जिसके कारण उन पर ओपन हार्ट प्रक्रिया करने में बहुत बड़ी जोखिम थी। उन्हें पहले रूमेटिक हार्ट डिजीज़ हो चूका था, जिसके लिए 2017 में माइट्रल वाल्व रिप्लेसमेंट किया गया था। ईसीजी से पता चला कि उन्हें गंभीर ट्राइकसपिड वाल्व रोग है। पारंपरिक प्रक्रियाएं उनके लिए व्यवहार्य विकल्प नहीं थीं, हमने टीआरआईसी वाल्व प्रक्रिया की, जिसके बेहतरीन परिणाम मिले। मरीज़ को दूसरे दिन छुट्टी दे दी गई, उनकी कार्यात्मक क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ। यह नवी मुंबई में रिपोर्ट किया गया पहला मामला है। उचित योजना और प्रक्रिया के लिए सही मरीज़ का चयन ऐसी प्रक्रियाओं की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।”

डॉ. ब्रजेश कुंवर-सीनियर कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, स्ट्रक्चरल हार्ट डिजीज स्पेशलिस्ट अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा,”आजकल लोगों की जीवनशैली उन्हें हृदय की बिमारियों के करीब ले आती है; साथ ही, उन्हें ऐसे समाधानों की आवश्यकता होती है जिनसे उन्हें कम से कम जटिलताओं का सामना करना पड़ें और वे जितनी जल्दी हो सके अपनी दिनचर्या में वापस आ सकें। एक 80 वर्षीय पुरुष मरीज़ रक्त पतला करने वाली दवाएं ले रहे थे और पहले बाईपास सर्जरी करवा चुके थे। उन पर पारंपरिक पेसमेकर के इस्तेमाल को लेकर कई मतभेद थे। उनकी स्थिति को सुरक्षित रूप से संबोधित करने के लिए, हमने सबसे नए लीडलेस पेसमेकर को सफलतापूर्वक इम्प्लान्ट किया। यह एक उन्नत, न्यूनतम इनवेसिव उपकरण है जो पारंपरिक पेसमेकर की तुलना में संक्रमण की जोखिम और दीर्घकालिक जटिलताओं को कम करने में मदद करता है। मरीज़ को बिना बेहोश किए, 1 घंटे की प्रक्रिया में, सफलतापूर्वक इम्प्लान्ट किया गया और मरीज़ को 24 घंटों के बाद घर भेज दिया गया। इस नए पेसमेकर की लाइफ 25 साल है, जो पारंपरिक पेसमेकर की लाइफ से दोगुनी है।”

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