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एनआईआईएमएस ने वर्चुअल रियलिटी पर कार्यशाला का आयोजन किया

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मेडिकल एजुकेशन में निपुणता बढ़ाने पर केंद्रित

नोएडा, दिव्यराष्ट्र/: नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एनआईआईएमएस) के सामुदायिक चिकित्सा विभाग ने आईएपीएसएम यूपी-यूके चैप्टर के सहयोग से वर्चुअल रियलिटी (वीआर) को मेडिकल शिक्षा में शामिल करने पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों और पेशेवरों को बिना किसी जोखिम के व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना था।

वर्चुअल रियलिटी तेजी से मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला रही है। यह छात्रों को इंटरएक्टिव और इमर्सिव सिमुलेशन के जरिए प्रक्रियाओं का अभ्यास करने और निर्णय लेने की क्षमता विकसित करने में मदद कर रही है। कार्यशाला ने दिखाया कि किस प्रकार वीआर तकनीक सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक कौशल के बीच की खाई को पाट सकती है, जिससे प्रतिभागियों को एक अनुकूलित और इंटरएक्टिव प्लेटफार्म मिलता है।

कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक एनआईआईएमएस के चेयरमैन डॉ. देवेश कुमार सिंह और संरक्षक निदेशक डॉ. एस.एन. गुप्ता थे। इस कार्यशाला का आयोजन सामुदायिक चिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. रंजना सिंह के नेतृत्व में किया गया। कार्यशाला की मेजबानी ब्रिगेडियर (डॉ.) भुवनेश चौधरी ने की, और आयोजन सचिव डॉ. (ब्रिग) विनीत रस्तोगी ने सफल संचालन में योगदान दिया।

कार्यशाला में इमर्सिव टेक्नोलॉजी के प्रबंध निदेशक डॉ. नीरज राज और अभिमन्यु मोरे ने विशेष सत्रों का संचालन किया। उन्होंने मेडिकल प्रशिक्षण में वीआर की तकनीकी और व्यावहारिक संभावनाओं पर प्रकाश डाला और दिखाया कि यह तकनीक बिना किसी भौतिक संसाधन या रोगी की जरूरत के वास्तविक और अनुकूलनीय प्रशिक्षण प्रदान कर सकती है।

इस आयोजन को चेयरमैन डॉ. देवेश कुमार सिंह , की प्रेरणा से संभव बनाया गया, साथ ही निदेशक डॉ. एस.एन. गुप्ता, डीन डॉ. अशुतोष निरंजन, और मेडिकल सुपरिन्टेन्डेंट मेजर जनरल (डॉ.) सी.एस. आहलूवालिया का भी सहयोग प्राप्त हुआ। इमर्सिव टीम के विशेषज्ञों, डॉ. नीरज राज और अभिमन्यु के मोरे, के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया गया। साथ ही ओएसडी राजवर्धन दीक्षित, आईटी टीम के सैयद अस्करी काजिम, और सामुदायिक चिकित्सा विभाग के सहयोगियों का योगदान भी सराहा गया।

एनआईआईएमएस का यह प्रयास मेडिकल शिक्षा को आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे छात्र और पेशेवर अपनी निपुणता बढ़ा सकें और उच्चतम मानकों के साथ मरीजों की देखभाल कर सकें।

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