अपोलों के दो हृदय रोगियों की जान बचाने के लिए डॉ.ब्रजेश कुंवर ने की सफल सर्जरी
नवी मुंबई, दिव्यराष्ट्र/ अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ( एएचएनएम) ने अपनी उन्नत हृदय संबंधी देखभाल क्षमताओं पर ज़ोर देते हुए, हाल ही में दो मामलों – एक पल्मनरी एम्बोलिज़म और दूसरा मायोकार्डियल इन्फार्क्शन – का सफलतापूर्वक इलाज करके एक 24 वर्षीय महिला और एक 55 वर्षीय पुरुष की जान बचाई।अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. ब्रजेश कुंवर ने मेडिकल प्रोफेशनल्स की एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम की मदद से दोनों मामलों में उपचारों का नेतृत्व किया।
पल्मोनरी एम्बोलिज़म फेफड़ों की धमनियों में खून के क्लॉट होने की वजह से होता है। इसमें जान का खतरा हो सकता है। मृत्यु दर 60% तक है। मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एमआई) यानी आम भाषा में दिल का दौरा, हृदय की मांसपेशियों में खून के प्रवाह में अचानक रुकावट के कारण होता है। भारत में, मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण एमआई है, और पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में एमआई अक्सर एक दशक पहले शुरू होता है।
डॉ.ब्रजेश कुंवर, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, अपोलो हॉस्पिटल्स, नवी मुंबई ने कहा,“पहले मामले में, सुश्री पूजा की उम्र 24 साल थी, उन्हें बड़े पैमाने पर पल्मनरी एम्बोलिज़म के निदान के साथ रात के 2 बजे भर्ती कराया गया था। इस स्थिति में, एक बड़ा क्लॉट फेफड़ों की धमनी को ब्लॉक करता है, इसलिए मरीज़ को तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। मरीज़ को अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में भर्ती करने पर सभी आपातकालीन हृदय संबंधी प्रोटोकॉल सुनिश्चित करते हुए तुरंत उन्नत कैथ लैब में ले जाया गया। तत्काल उपचारों से पूजा की हालत में बहुत ही अच्छा सुधार हुआ। 3 दिनों में उन्हें घर भेज दिया गया। इस तरह से एक युवा की जान बचाई गयी। आज वह अपने प्रियजनों के साथ अपने गांव में छुट्टियां मना रही है।”
दूसरे मामले में, 55 साल के संजीव सेठ को बड़े पैमाने पर मायोकार्डियल इंफार्क्शन के साथ अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में भर्ती कराया गया था। परिवार बहुत दृढ़ था और हमने इम्पेला प्लेसमेंट करने का फैसला किया। इम्पेला एक कृत्रिम हृदय है। इस प्रक्रिया के बाद संजीव ठीक होने लगे। उन्होंने उत्कृष्ट प्रतिक्रिया दिखानी शुरू कर दी और हमने उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया। सहायक देखभाल के साथ उनकी बहुत ही अच्छी रिकवरी होने लगी और उन्हें घर भेज दिया गया। ये दोनों मामले जटिल थे, और अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में डॉक्टरों की मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम के सहयोग से सफलतापूर्वक उपचार किए गए।”
रायगढ़ की रहने वाले सुश्री पूजा ने अपने अनुभव के बारे में बताया,”मुझे सीने में तेज़ दर्द और सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, और मैं इलाज के लिए एक अस्पताल गई। उन्होंने मुझे पल्मनरी एम्बोलिज़म का निदान किया, और मुझे अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में रेफर किया। अपोलो में डॉ. ब्रजेश ने मेरा इलाज किया, और मैं तुरंत महसूस कर पा रही थी कि मेरा स्वास्थ्य बेहतर हो रहा है। मेरी जान को खतरा था, लेकिन अगली सुबह तक मैं ठीक हो गयी। मैं डॉ. ब्रजेश और उनकी टीम को मेरी जान बचाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूँ।”
नवी मुंबई निवासी संजीव के भाई राजेश सेठ ने कहा,”हम जिस चुनौती और दुःख का सामना कर थे, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मेरे भाई को बहुत गंभीर अटैक के बाद अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई में लाया गया था, और डॉ. ब्रजेश और उनकी टीम ने जो काम किया है, वह बहुत ही सराहनीय और अनुकरणीय है। यह एक गंभीर स्थिति थी, और डॉ. ब्रजेश ने मेरे भाई को होश में लाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी। जब उन्होंने इम्पेला का इस्तेमाल करने की सलाह दी, तो हमने तुरंत हाँ कर दी, क्योंकि इसका मतलब था कि मेरे भाई को आसन्न मौत से बचाया जा सकता था। उनके समय पर दिए गए सुझाव की वजह से ही आज मेरा भाई अभी ज़िंदा है, और मैं उनका बहुत आभारी हूँ।”