Home बिजनेस प्रेस वक्तव्य – वेदांता लिमिटेड

प्रेस वक्तव्य – वेदांता लिमिटेड

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12 मार्च 2024 को सेबी के आदेश के संदर्भ में, जिसके तहत वेदांता लिमिटेड को केयर्न यूके होल्डिंग्स लिमिटेड (अब केपरीकोर्न यूके होल्डिंग्स लिमिटेड- सीयूएचएल) को रु 77.6 करोड़ के भुगतान के निर्देश दिए गए हैं, अप्रैल 2016 से जून 2017 के बीच की अवधि में रु 667 करोड़ के लाभांश के भुगतान में देरी के लिए ब्याज के रूप में इस भुगतान के निर्देश दिए गए हैं, इस आदेश के संदर्भ में कंपनी निम्नलिखित स्पष्टीकरण देना चाहती हैः
वेदांता लिमिटेड द्वारा सीयूएचएल को लाभांश का भुगतान, कैयर्न यूके और भारत सरकार के बीच कर के एक विवाद के तहत था। कथित लाभांश राशि को नियमानुसार ‘अनपेड डिविडेंड अकाउन्ट’ में चुकाया गया और इसे आयकर विभाग के आदेशानुसार वेदांता लिमिटेड द्वारा जारी किया जाना था। जिसे बाद में विभाग के आदेश के बाद जारी किया गया है और वेदांता लिमिटेड द्वारा कोई भी लाभ प्राप्त नहीं हुआ। वास्तव में सेबी के आदेश का पैरा 111 कहता है कि वेदांता लिमिटेड/ कैयर्न इंडिया लिमिटेड ने विशेष अकाउन्ट- अनपेड डिविडेंड अकाउंट में लाभांश की राशि का भुगतान किया और इसे ‘1 अप्रैल 2016 से 15 जून 2017 के बीच’ नहीं चुकाए गए लाभांश से कोई फायदा नहीं हुआ।

जब कैयर्न यूके अपने कर विवाद में भारत सरकार के साथ एक समझौते तक पहुंच गया, कथित लाभांश राशि सहित सभी बकाया राशियों का भुगतान कर दिया गया। सथ ही कर विवाद पर भारत सरकार के साथ हुए समझौते के अनुमसार, कैयर्न यूके ने कर के रीफंड (इस लाभांश के कारण उत्पन्न) पर ब्याज का दावा करने के अधिकार को समर्पित करने का संकल्प लिया।

सीएचयूएल से लाभांश भुगतान रोकने का वेदांता लिमिटेड का कोई इरादा नहीं था। वेदांता लिमिटेड का लाभांश भुगतान में अनुकरणीय रिकाॅर्ड रहा है। वेदांता लिमिटेड ने पिछले दस सालों में हितधारकों को रु 84000 करोड़ से अधिक का लाभांश चुकाया है। इसने किसी भी लाभांश भुगतान में कभी देरी नहीं की है और न ही इस पर ऐसे किसी मामले में जुर्माना लगाया गया है। रु 667 करोड़ की राशि, वेदांता लिमिटेड द्वारा चुकाई जानी वाली लाभांश राशि के संदर्भ में बहुत छोटी राशि है। यह किसी भी शेयरधारक को भुगतान रोकने के तर्क और कंपनी के ऐसे किसी रिकाॅर्ड की अवहेलना करता है।

यह पूरी तरह विशेष परिस्थितियां थीं, जहां कैयर्न यूके ने 2016-17 में अपने आप को भारत सरकार के आयकर विभाग के समक्ष पाया जिसके चलते ‘देरी’ हुई।

वेदांता लिमिटेड सेबी के आदेश के खिलाफ़ उचित मंच पर अपील करेगी।

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