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पिंकफेस्ट के दूसरे दिन शास्त्रीय संगीत की गूंज से साहित्य प्रेमियों का मन हुआ आनंदित

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वाद-विवाद और संवाद भारत की संस्कृति का हिस्सा रहे हैं : पंडित तिलक शर्मा

कला की साकार मूर्ति है प्रकृति : भवानीशंकर शर्मा

जयपुर – गुलाबी नगरी में चल रहे कला के कुंभ ‘जयपुर पिंकफेस्ट’ का दूसरा दिन भी कला प्रेमियों, विद्वानों और कलाकारों का संगम बना। दूसरे दिन भारतीय संस्कृति और साहित्य पर विभिन्न चर्चा सत्र आयोजित किए गए। इसके साथ ही आर्ट एवं डिज़ाइन एग्जीबिशन, साहित्यिक चर्चाएं, कल्चर वॉक ‘ताना-बाना’, आर्ट पवेलियन ‘सृष्टि मंडपम’, ‘पिकासो’ एग्जीबिशन, ‘अनुगूंज’ लाइव स्टेज परफॉरमेंस, कविता पाठ आदि आयोजन कला प्रेमियों के लिए अनूठा अनुभव रहा।

दूसरे दिन की शुरुआत साउंड मैडिटेशन ‘नाद योग’ से की गई, जिसके बाद डिजिटल एस्थेटिक: अल्गोरिदम और वर्चुअल वास्तविकता पर आयोजित पैनल डिस्कशन में विशेषज्ञों ने डिजिटल युग में सौंदर्यशास्त्र की नई परिभाषाओं पर चर्चा की। पैनल में भवानीशंकर शर्मा, तरुण टाक तथा मुकेश तोंगरिया उपस्थित रहे। बदलते एस्थेटिक के स्वरूप पर बात करते हुए तरुण टाक ने कहा, “हम सौंदर्य को किस तरह प्रस्तुत हैं यह हमारे अवलोकन और अनुभव पर निर्भर करता है।” सत्र का संचालन डॉ रुचि दवे ने किया।

अगला डिस्कशन ‘कला और संस्कृति का संचयन एवं संरक्षण’ पर आयोजिय किया गया, जिसमें पारंपरिक कलाओं और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण पर चर्चा करते हुए पंडित तिलक शर्मा ने कहा कि, “कलाओं और संस्कृति के संरक्षण के लिए आपसी संवाद आवश्यक है, वाद-विवाद और संवाद भारत की संस्कृति का हिस्सा रहे हैं।” डिस्कशन में पंडित तिलक शर्मा के साथ डॉ नीकी चतुर्वेदी, एडवोकेट सूर्यप्रताप सिंह शामिल रहे। वक्ताओं ने बताया कि आधुनिक तकनीक किस तरह से विरासत को सहेजने में सहायक हो सकती है। सत्र का संचालन रीमा हूजा ने किया।

भारतीय वांग्मय और सनातन संस्कृति पर हुआ अगला पैनल डिस्कशन भारतीय साहित्य और दर्शन की समृद्ध परंपराओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण रहा, जिसमें नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, सुनील शर्मा, प्रोफेसर भरत गुप्त, सिद्ध स्वरूप दास उपस्थित रहे। इसी कड़ी में भारतीय ज्ञान परंपरा पर हुए सत्र में इनरव्हील क्लब दिल्ली की अध्यक्षा मनीषा कौशिक, डॉ राजीव जैन, रश्मि जैन तथा पूरण सिंह उपस्थित रहे। इसी प्रकार भारतीय कला और संवाद साहित्य के पहलुओं पर भी चर्चा सत्र आयोजित किए गए जो रुचिकर और ज्ञानवर्धक रहे।

फेस्ट के दूसरे दिन की शाम डागर घराने के लाइव प्रस्तुति से शुरू हुई। इसके अलावा उस्ताद साबिर खान के सारंगी वादन ने संगीत प्रेमियों का मन मोह लिया। कार्यक्रम का अंत ‘ताना-बाना’ कल्चर वॉक से किया गया।

जयपुर पिंकफेस्ट का यह अनूठा सफर कला, संस्कृति और विचारों के गहरे समागम के साथ जारी है। अगले दिनों में भी कई महत्वपूर्ण सत्र, प्रदर्शनियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम दर्शकों को सृजनात्मकता की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तैयार हैं।

तीसरे दिन की गतिविधियाँ

पिंकफेस्ट के पहले और दूसरे दिन के आयोजनों ने दर्शकों को भारतीय कलात्मक विरासत से जोड़ा और एक अनूठा अनुभव दिया। फेस्ट के तीसरे दिन जयपुरवासियों को आर्ट एग्जीबिशन के साथ साथ, नाट्य और नृत्य प्रस्तुतियां, पुस्तक विमोचन और भारतीय कला शैलियों पर कई चर्चा सत्रों का रसास्वादन करने को मिलेगा।

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