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तुली रिसर्च सेंटर फ़ॉर इंडिया स्टडीज़’ ने tuliresearchcentre.org का शुभारंभ किया

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भारत की कलात्मक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने हेतु समर्पित


नई दिल्ली | 30 अप्रैल 2025 । ‘तुली रिसर्च सेंटर फॉर इंडिया स्टडीज़’ (T.R.I.S.) आज बहुत गर्व के साथ tuliresearchcentre.org के शुभारंभ की घोषणा करता है। यह एक क्रांतिकारी डिज़िटल प्लेटफ़ॉर्म है जो भारत की आधुनिक और समकालीन ललित कला, पॉपुलर आर्ट, सिनेमा, फ़ोटोग्राफ़ी, स्थापत्य की विरासत, ग्राफ़िक आर्ट, पशु कल्याण और सांस्कृतिक अर्थशास्त्र व चिंतन पर सबसे व्यापक विज़ुअल-टेक्स्चुअल ज्ञान के भंडार को एक मंच पर बिना किसी शुल्क के, सभी के लिए खुली पहुँच के साथ प्रस्तुत करता है। इस तरह यह मंच ‘भारत अध्ययन’ के लिए एक नवीन वैचारिक ढांचा प्रदान करता है।

इस प्लेटफ़ॉर्म की शुरुआत नेविल तुली की तीन दशक लंबी यात्रा की परिणति है। यादगार सांस्कृतिक संस्थानों के निर्माता के रूप में नेविल तुली का यह सफ़र प्रेरणादायी रहा है। इसकी शुरुआत HEART (दि तुली फॉउंडेशन फ़ॉर होलिस्टिक एजुकेशन एंड आर्ट, 1995-99) की स्थापना से हुई, ‘ओसियांस कॉनोसर्स ऑफ़ आर्ट’ (2000-2021) और ‘वनराजा सेंचुरी एंड हॉस्पाइस’ (2015-) के माध्यम से यह सफ़र आगे बढ़ा और अब T.R.I.S. में इसे एक नया आयाम मिला है। ‘तुली रिसर्च सेंटर फ़ॉर इंडिया स्टडीज़’ एक ऐसा संस्थान है जो अपने विस्तृत अभिलेखागार, ज्ञान भंडार एवं समृद्ध पुस्तकालय को सार्वजनिक उपयोग और शैक्षणिक शोध हेतु समर्पित करता है।
तुली के शिक्षा से जुड़े अन्तरअनुशासनिक ज्ञान निर्माण के विचार ने इस कोशिश खड़ा किया है। उनका मानना है कि विमर्श के वैचारिक धरातल पर छवि-पाठ-श्रव्य माध्यम के संगम से और उसमें अनुभव एवं सरंक्षण के पक्ष को शामिल करने से इस कोशिश की ज़मीन तैयार होती है। नेविल तुली का नज़रिया हमेशा से ऐसी स्वतंत्र और सहभागी बौद्धिक अनुसंधान की जगहों के निर्माण के पक्ष में रहा है जहाँ ज्ञान मुक्त हो, सर्वव्यापक हो और सभी के लिए सुलभ हो।

प्लेटफ़ॉर्म की एक झलक: tuliresearchcentre.org
tuliresearchcentre.org की संकल्पना नेविल तुली द्वारा सन् 2020 के बाद की गई लेकिन कहना होगा कि इसकी जड़ें उनके लेखन, निजी शोध, क्यूरेशन और ज्ञान-विकास के तीन दशक से निरंतर चले आ रहे सफ़र में खोजी जा सकती हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म छवि को पाठ और श्रव्य सामग्री के साथ बराबरी की जगह देता है। तकनीकी स्तर पर देखें तो यह प्लेटफ़ॉर्म सबसे बुनियादी एक्सेल शीट के माध्यम से तैयार किया गया है। छवि, ज्ञान एवं ध्वनि को बड़ी बारीक़ी से हजारों हज़ार एक्सेल शीट्स में विश्लेषित कर इंसानी ज़रूरतों के अनुसार तैयार किया गया और निश्चित टेम्पलेट के अनुसार उन्हें वर्गीकृत एवं व्यवस्थित किया गया। इसके बाद ज्ञान की इस संपदा को कोडिंग टीम द्वारा वेब डेटा में परिवर्तित किया गया।
इस मज़बूत आधार पर खड़े नज़रिये के चलते एक विश्वस्तरीय ‘सर्च एंड फ़िल्टर इंजन’ सामने आता है जिसमें प्रत्येक सांस्कृतिक वस्तु और अभिलेखीय दस्तावेज़ को एक मूल इकाई माना गया है। इसका इस्तेमाल करनेवाले विविध दायरों में जाकर अपने ख़ास नज़रिये के साथ अनुसंधान को अंजाम दे सकते हैं, या किसी एक दायरे में भीतर शोध की गहराई तक भी जा सकते हैं।

यह ‘भारत अध्ययन प्लेटफ़ॉर्म’ नेविल तुली की विशिष्ट संकल्पना से निर्मित विशेष सोलह शोध श्रेणियों पर खड़ा है। इन सोलह शोध श्रेणियों को बहुत सावधानीपूर्वक चुनी गई उन हज़ारों मास्टरलिस्ट से जोड़ा गया है, जिन्हें यहाँ “ए-ग्राफ़ी” पृष्ठों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। ये सभी आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और ‘वर्ज़न 1.0’ में 1,00,000 से अधिक दृश्य और पाठ आधारित वस्तुओं द्वारा संदर्भित किए गए हैं।

वर्ज़न 1.1 में पोस्ट और उनसे जुड़े सवाल-जवाब का ढांचा इसमें जोड़ा जाएगा, जिससे आगंतुकों के साथ और ज़्यादा गहराई के साथ संवाद आरंभ हो सके। वर्ज़न 1.2 में व्यक्तिगत ज़रूरतों के अनुसार तैयार पाठ्यक्रम ढांचे की शुरुआत होगी जो इसे इस्तेमाल करनेवालों को अभिलेख एवं शिक्षा के एक ऐसे मॉडल की ओर ले जायेगा जहाँ इन व्यवस्थाओं की एक नई आज़ाद ज़मीन पर पुनर्कल्पना किया जा सकना संभव हो।

संस्करण 1.0 (30 अप्रैल, 2025): ‘सर्च एंड फ़िल्टर इंजन’ का सार्वजनिक शुभारंभ, मास्टरलिस्ट के चुनिंदा पृष्ठ और 100,000+ वस्तुओं तक पहुँच।
संस्करण 1.1 (30 जून, 2025): मास्टरलिस्ट ए-ग्राफ़ी पृष्ठों और वस्तु संग्रह का विस्तार।
संस्करण 1.2 (30 सितंबर, 2025): “सेल्फ़-डिस्कवरी वाया रीडिस्कवरिंग इंडिया” के लिए विशेष तौर पर निर्मित पाठ्यक्रम ढांचे की शुरुआत।
संस्करण 2.0 (1 जनवरी, 2026): भारत में सांस्कृतिक अध्ययन से जुड़े शीर्ष कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए सपोर्ट प्रणालियों का पूर्ण अनावरण।

शिक्षा के क्षेत्र में पुनर्कल्पना का आह्वान
अपने मूल में tuliresearchcentre.org एक सरल किंतु गहरे मूल्य आधारित विश्वास पर आधारित है और वो विश्वास है कि ज्ञान पर सबका हक़ होना चाहिए। शिक्षा सबके लिए मुक्त होनी चाहिए। जिज्ञासा की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए। हम उस सिद्धांत को मानते हैं और इसे जीते हैं कि हर जवाब दरअसल एक और गहरे सवाल की ओर ले जाता है। यह एक ऐसी शाश्वत प्रक्रिया है जिसमें सीखने की, खोज की और खुद को पहचानने की प्रफुल्लित कर देनेवाली जुगलबंदी मौजूद है।

‘तुली रिसर्च सेंटर’ उन सभी छात्रों, शिक्षकों और कुछ सीखने की इच्छा से हमेशा स्पंदित रहे लोगों के साथ खड़ा है जो एक ऐसे शैक्षिक भविष्य की मांग करते हैं जिसके रास्ते में आर्थिक और संस्थागत बाधाएँ न हों। एक ऐसा भविष्य जहाँ सघन ज्ञान, आलोचनात्मक सोच और रचनात्मक अभिव्यक्ति तक पहुँच हर किसी का अधिकार हो, न कि कुछ चुनिंदा का विशेषाधिकार।

tuliresearchcentre.org इस भविष्य के लिए अपनी साहसिक प्रतिबद्धता दोहराता है: यह एक ऐसा मंच है जो भारत की कलात्मक, सांस्कृतिक, और बौद्धिक विरासत को अधिक लोकतांत्रिक बनाता है। यह विद्वानों, शिक्षकों, छात्रों और आम जनता को भारत की रचनात्मक परम्परा और उनसे जुड़े वैश्विक स्तर पर चल रहे विमर्श के साथ एक जीवन्त और निरंतर नवीन होते संवाद को बनाने के लिए आमंत्रित करता है।

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