
जयपुर : राजस्थान के 26 शहरों में सफाईकर्मियों की सुरक्षा व गरिमा बढ़ाने के लिए बैंडीकूट रोबोट तैनात किए गए हैं, जो उन्हें सीवर की सफाई करने में मदद करेंगे। ये रोबोट तैनात हो जाने के बाद सीवर साफ करने के लिए मनुष्यों को मेनहोल में उतरने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिसकी वजह से भारत में हर पाँच दिन में एक व्यक्ति की जान चली जाती है। बैंडीकूट प्रोजेक्ट शुरू हो जाने के बाद ‘‘विकसित भारत’’ के लाभ अंतिम छोर तक पहुँचाने में मदद मिलेगी, जिससे जरूरतमंद लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। विकसित देश बनने के सफर में प्रगति की माप उन कूड़ा-करकट उठाने वाले लोगों के जीवन में आने वाले बदलाव से होती है, जो अक्सर नजरंदाज हो जाते हैं। किसी भी देश को विकासशील से विकसित देश में तब्दील करने के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण हिस्से मानव जीवन और स्वास्थ्य हैं।
राजस्थान में सबसे पहले बैंडीकूट रोबोट जयपुर में पेश किया गया। इसके सफल पायलट के बाद यहाँ तीन रोबोट तैनात किए गए। लगभग एक साल तक बैंडीकूट रोबोट का संचालन करने के बाद सरकार से जान लिया कि बैंडीकूट मनुष्यों द्वारा कूड़ाकरकट साफ करने की परंपरा को समाप्त करने का सबसे ज्यादा प्रभावशाली और सस्टेनेबल तरीका है। इसके बाद डीएलबी और रूडिप के साथ राजस्थान के 26 शहरों में बैंडीकूट रोबोट तैनात किए गए। ये बैंडीकूट रोबोट हर माह 10,000 मैनहोल साफ करते हैं, यानी वो हर साल 120,000 मैनहोल को साफ करके शहर में सीवेज व्यवस्था का संगम संचालन बनाए रखते हैं। बैंडीकूट रोबोट्स के साथ उन क्षेत्रों में जहाँ अधिकारियों के पास कम कर्मचारी हैं, तीन साल तक संचालन और मेंटेनेंस की सपोर्ट भी दी जाती है, जिससे राजस्थान में 100 से ज्यादा नई नौकरियों के अवसर उत्पन्न हुए। भविष्य में इस प्रोजेक्ट का विस्तार अन्य शहरों में किया जा सकता है।
ये आधुनिक और ऑटोनोमस रोबोट जटिल सीवर प्रणाली में सटीकता से काम करते हुए उनकी सफाई के खतरनाक काम को सुरक्षित और प्रभावशाली बना देते हैं। इन रोबोट्स में हाई-डेफिनिशन कैमरा और सेंसर लगे हैं, जो रियल टाईम डेटा प्रदान करके सुनिश्चित करते हैं कि सीवर मैनहोल के हर कोने की सफाई पूरी तरह से हो सके। बैंडीकूट रोबोट्स में एक गैस सेंसिंग सिस्टम लगा होता है, जो मैनहोल के अंदर मौजूद खतरनाक गैसों को पहचान लेता है, जिससे उनका संचालन करने वाले लोगों के जीवन की सुरक्षा होती है। इन रोबोट्स में एक्सटेंडेबल लेग्स और नाईट विज़न कैमरे लगे हैं, जिनकी मदद से ये मैनहोल के अंदर जाकर और गहराई तक उतरकर पूरी तरह से सफाई कर सकते हैं। इन रोबोट्स की कलाईयाँ शक्तिशाली और निपुण हैं, जो हर दिशा से कचरे को एकत्रित कर लेती हैं। इसके बाद बकेट सिस्टम मैनहोल से कचरे को बाहर निकाल देता है।
बेस्ट कैंपस-इनिशिएटेड रोबोटिक्स एवं एआई स्टार्टअप के लिए राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार विजेता, जेनरोबोटिक्स द्वारा विकसित बैंडीकूट रोबोट इंजीनियरिंग के चार छात्रों – राशिद के, विमल गोविंद एमके, निखिल एनपी और अरुण ने 2017 में घटित हुई एक दुर्घटना के बाद बनाया है, जिसमें एक मैनहोल में दो स्वच्छताकर्मियों और एक रिक्शा ड्राईवर की जान चली गई। इस दुर्घटना ने टीम को दुनिया का पहला रोबोटिक स्कैवेंजर, बैंडीकूट 2.0 बनाने के लिए प्रेरित किया, जिसका अनावरण 2018 में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और यूएन सेक्रेटरी जनरल, श्री एंटोनियो गुटेरस द्वारा दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल सैनिटेशन कन्वेंशन में किया गया।
आज बैंडिकूट रोबोट महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और केरल सहित भारत के 19 राज्यों एवं 3 केंद्र शासित प्रदेशों में तैनात किए जा चुके हैं। इस सोशल इनोवेशन में ज़ोहो के पद्मश्री श्री श्रीधर वेंबू और पद्मश्री श्री आनंद महिंद्रा जैसे बड़े निवेशकों ने अपना सहयोग दिया है। ‘जीरो मैन्युअल स्कैवेंजिंग स्टेट’ बनने के राजस्थान के लक्ष्य के साथ बैंडिकूट रोबोट सफाईकर्मियों की प्रगति, गरिमा और सुरक्षित भविष्य का प्रतीक हैं।





