जयपुर,, दिव्यराष्ट्र/ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों को सराहने और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का अवसर देता है। लेकिन जब हम महिलाओं की प्रगति की बात करते हैं, तो एक बेहद अहम मुद्दा रह जाता है—महिलाओं का स्वास्थ्य। अधिकतर महिलाएं अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं, और यह उनकी पूरी जिंदगी पर असर डालता है। वे अपने परिवार, काम और समाज में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि अपनी खुद की जरूरतों को प्राथमिकता नहीं देतीं।
डॉ. सुनीता शर्मा, मेडिकल सुप्रिटेंडेंट, कोकून हॉस्पिटल, जयपुर ने बताया
महिलाओं की सेहत को प्रभावित करने वाले कई कारक होते हैं, जैसे खासकर युवा लड़कियों और प्रेग्नेंट महिलाओं में एनीमिया (खून की कमी) की समस्या बहुत आम है। इसके पीछे मुख्य कारण आयरन और फोलिक एसिड की कमी है, जो महिलाओं में कमजोरी, चक्कर आना और थकान का कारण बनती है। सही पोषण न मिलने से यह समस्या और गंभीर हो सकती है। इसके अलावा हार्मोनल समस्याएं जैसे पीसीओडी, थायरॉयड, और मेनोपॉज के दौरान होने वाली दिक्कतें भी महिलाओं के स्वास्थ्य को काफी प्रभावित करती हैं। इन समस्याओं का असर केवल शरीर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, जिससे डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं जैसे चिंता, डिप्रेशन और स्ट्रेस के मामले भी महिलाओं में तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों की कमजोरी यानी ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या भी बढ़ती है, जिससे जोड़ों में दर्द, शरीर में अकड़न और हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही दिल की बीमारियां भी सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि महिलाओं में भी हार्ट अटैक और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत बढ़ रही है। गलत खानपान, व्यायाम की कमी और मानसिक तनाव इस समस्या को और बढ़ा सकते हैं। महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की संभावना भी बढ़ रही है, लेकिन सही समय पर जांच करवाने से इन बीमारियों को रोका जा सकता है।
डॉ. मिनाक्षी बंसल, सीनियर कंसल्टेंट गाइनोकोलॉजिस्ट, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के अनुसार
काम और घर की जिम्मेदारियों के बीच उनकी सेहत कहीं पीछे छूट जाती है। नतीजा यह होता है कि वे कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं, जिनका समय पर इलाज नहीं होने से स्थिति बिगड़ सकती है। कई बार महिलाओं को यह लगता है कि उनके हल्के-फुल्के स्वास्थ्य संबंधी लक्षण सामान्य हैं और खुद ही ठीक हो जाएंगे, लेकिन यही लापरवाही आगे चलकर बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है। आजकल महिलाएं न सिर्फ घर संभाल रही हैं, बल्कि ऑफिस और बिजनेस में भी अपनी जगह बना रही हैं। जिससे थकान, अनिद्रा और शारीरिक कमजोरी जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। लेकिन क्या वे अपनी सेहत के लिए उतनी ही जागरूक हैं? अधिकतर महिलाएं अपनी थकान, तनाव, और शरीर में होने वाले छोटे-मोटे बदलावों को नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे वे कई तरह की बीमारियों की शिकार बन सकती हैं।
डॉ. पवित्रा शर्मा, कंसल्टेंट – ऑब्सट्रिक्स और गाइनेकोलॉजी, अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, जयपुर के अनुसार
महिला स्वास्थ्य की समस्याएं: महिलाएं अक्सर डॉक्टर के पास तब आती हैं, जब बीमारी गंभीर हो चुकी होती है। यह लापरवाही सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। कई महिलाएं सालों तक पीरियड्स से जुड़ी परेशानियों को सहती रहती हैं, लेकिन डॉक्टर से सलाह नहीं लेतीं। वे इसे सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देती हैं, लेकिन यह भविष्य में गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सही खानपान और दवाओं की जानकारी का अभाव रहता है। कई बार महिलाएं आवश्यक पोषण नहीं लेतीं, जिससे मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों की समय पर जांच नहीं करवाई जाती। यह एक गंभीर समस्या है, क्योंकि अगर इन बीमारियों का समय रहते पता चल जाए, तो इलाज संभव है। लेकिन जागरूकता की कमी और सामाजिक संकोच के कारण महिलाएं नियमित जांच नहीं करवातीं।
जीवन में खुश रहना सीखें और तनाव को खुद पर हावी न होने दें। सकारात्मक सोच रखना और अपने लिए समय निकालना बहुत जरूरी है। कई बार महिलाएं घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि वे खुद के लिए समय निकाल ही नहीं पातीं। यह जरूरी है कि वे अपने शौक पूरे करें, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं और मानसिक रूप से संतुलित रहें। महिला दिवस के मौके पर महिलाएं अपने स्वास्थ्य के महत्व को समझें और उसे प्राथमिकता दें। यह जरूरी है कि महिलाएं खुद को प्राथमिकता दें, क्योंकि जब महिलाएं स्वस्थ रहेंगी, तो पूरा समाज खुशहाल होगा।